विरोध के बावजूद सूबे की सरकार जबरन शराब पिलाने पर तुली

sharabएक तरफ जिले सहित प्रदेशभर में लोग शराबबंदी को लेकर सड़को पर है और दूसरी तरफ सरकार के इसारे पर सरकारी खजाने को भरने की दुहाई देकर प्रशासन ने इंद्रा गांधी स्टेडियम में मजमा लगाकर ऐसे लाटरी निकाली ,जैसे मानो राज्य सरकार का राजतिलक हो रहा हो। पुलिस जाप्ता और लोगोँ की भीड़ देखकर तो यहीँ अहसास हुआ की प्रशासन कोई जनहित में विशेष निर्णय लेकर बेरोजगारोँ को रोजगार, गरीबो के लिए दो वक्त की रोटी और समाज के दबे कुचलो के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करने वाली है,लेकिन हमारे पैरो के नीचे से जमीन उस समय खिसक गई जब लोगो ने बताया की यहाँ कोई समस्याओँ के निराकरण के लिए शिविर नहीँ लगाया गया है, बल्कि प्रशासन लोगो को शराब पिलाने के लिए लाइसेंस दे रहा है। कहने को तो सूबे की सरकार भगवा सरकार यानि श्रीराम(धर्म) के रास्ते पर चलते वाली सरकार बताई जाती है,लेकिन इस सरकार को बिहार के नितीश सरकार का शराबबंदी का निर्णय कुछ अलग हटकर नजर आता है और हो सकता सूबे की सरकार को मलाल हो की कहीँ बिहार सरकार ने यह निर्णय क्यू ले लिया। कहीँ भगवा सरकार को भी नितीश के निर्णय की जबरन दबाव में नकल नहीँ करनी पड़ जाए।नकल करने में भी हमारी सूबे की सरकार को विचार करना पड़ रहा है। धन्य है ऐसी भगवा सरकार जो जनहित के निर्णय को भी लागू करने में नानुकर कर रही है।दरअसल, हमारे प्रदेश में किसी भी सरकार की जनता के दुःख, दर्द से हमदर्दी नहीँ है।जिले में गुलाबी टीम की महिलाओँ सहित अन्य लोग शराबबंदी के पक्ष में है और आंदोलन भी कर रही है,लेकिन सरकार शराब को जबरन लोगो को पिलाने पर उतारू है। आप मान लीजिये शराब अपराधो की मूल जड़ है। विशेषकर घरेलू हिंसा का मुख्य कारण ही शराब है। शराब सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से उस परिवार को अवश्य तोड़ती है जिस परिवार में किसी भी व्यक्ति को शराब की लत लग चुकी हो। शराब का खामियाजा उन महिलाओँ को प्रतिदिन भुगतना पड़ता है जिस महिला के पति या फिर पुत्र शराब को पानी की तरह पीते है। शराब से घर की माली हालत होने पर पीड़ित महिलाओँ को दो वक्त की रोटी के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ती है। शराब का दूसरा पहलू यह भी है की शराब पिने वाला व्यक्ति फिर धीरे धीरे मांसाहारी भी बन जाता है। शहर के मांसाहारी ढाबो पर आपको अमूमन वहीँ लोग नजर आएंगे जो शराब के नशे में मदहोश रहते है। यानि शराब एक व्यक्ति को शराबी बनाने के साथ मांसाहारी भी बना देती है। हमारी अलवर की भाषा में कहा जाता है की किसी के घर को तबाह करना है तो उस घर के किसी सदस्य को शराब पिलाना सीखा दो, वह परिवार धीरे धीरे जलकर खाक हो जायेगा।असल में जितने भी अपराध होते है उनमे भी शराब की ही मुख्य भूमिका होती है। कितना भी क्रूर व्यक्ति क्यू ना हो वह अपराध करने से पहले सौ बार विचार करता है,लेकिन शराब एक कमजोर व्यक्ति को भी हत्या के लिए उकसा देती है। हाल ही अनेक हत्याएं ऐसी हुई है जिनमे आरोपियों ने कबूला की उन्होंने शराब के नशे में ही मामूली सी कहासुनी में ही हत्या की है, जबकि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीँ की थी की वे हत्या भी कर सकते है। असल में शराब लोगो का घर बर्बाद करती है तो दूसरी और सरकार के साथ दो विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी मालामाल करती है। यानि शासन और प्रशासन मिलकर आमजन को बर्बाद करने पर तुला हुआ है। अब समय आ गया है,क्यू ना हम सब मिलकर शराबबन्दी की एक स्वर में आवाज उठाकर जिले सहित प्रदेश को शराब मुक्त बना दे। हमे उन महिलाओँ का समर्थन करना चाहिए जो लगातार शराबबंदी की मांग उठा रही है।
जनता की सरकार को चेतावनी— सूबे की सरकार ने शराबबंदी को लेकर समय रहते ठोस निर्णय नहीँ लिया तो हो सकता है वहीँ जनता उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में अपार समर्थन देकर ख़ुशी दे सकती है उसी तरह प्रदेश की जनता का माथा ठनक गया तो कहीँ आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गम ना दे दे, जिससे पार्टी को बाद में मंथन करना पड़े।इसीलिए सरकार जनता के निर्णय से पहले ही मंथन कर ले तो सबका साथ सबका विकास सम्भव हो सकेगा।
राजीव श्रीवास्तव
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