खतरे में वसुंधरा की गद्दी, ओम माथुर या अर्जुन राम मेघवाल की लग सकती है लॉटरी

अपने अहंकारी तेवर के कारण केंद्र की स्कीम में फ़ीट नहीं होती वसुंधरा ।

vasundharaफोकस भारत। राजनीतिक जानकार मानते है कि पहले वसुंधरा राजे की गिनती मोदी विरोधी के रुप में होती थी। औऱ वाजेपयी सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कई बार नरेन्द्र मोदी के खिलाप टिका-टिप्पणी की थी। वहीं राजे और प्रधानमंत्री के बीच की अनबन सबसे पहले साल 2008 में दुनिया के सामने आयी थी। उस वक्त राजस्थान-गुजरात की संयुक्त नर्मदा नहर परियोजना के उद्घाटन के समय, एक ही पार्टी से होने के बावजूद, मोदी और राजे ने एक दूसरे के कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लिया था। ऐसे में वसुंधरा राजे आरएसएस और मोदी की पसंद कभी नही रही है। हालांकि वसुंधरा राजे ने अपने तीखे तेवर हमेशा आलाकमान को दिखाए है । मजबूती के साथ विधायक संख्या बल भी दिखाया है।

ऐसे में राजस्थान की राजनीति के समीकरण तेजी से बदलने वाले है। ऐसी अटकलों का बाजार फिर से गर्म हो गया है। क्योंकि राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले उत्तरप्रदेश में मिली अप्रत्याशित जीत ने अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा की वापसी की संभावनाएं कई गुना बढ़ा दी हैं।
दरअसल ऐसी चर्चा है कि जनता राज्य सरकार के अब तक के प्रदर्शन से बेहद नाखुश है. साथ ही हर पांच साल में तख्ता पलट करने में राजस्थानी वोटर की महारत भी जगजाहिर है। ऐसे में अटकले फिर से तेज है कि अगले विधानसभा चुनावों पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जल्द ही यहां के संगठन और सरकार में बड़े बदलाव कर सकता है।

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पद से हटाए जाने की बात एक बार फिर राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब उन्हें हटाए जाने की बातें की जा रही हैं. सबसे पहले इस तरह की खबरें 2014 में सामने आयी थीं जब राजस्थान के उपचुनावों में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी. उसके बाद से लगातार अलग-अलग वजहों से इस तरह की चर्चाएं होती रही हैं। विश्लेषक मानते हैं कि इन चर्चाओं के पीछे वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असहज रिश्ते ज्यादा जिम्मेदार रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए वसुंधरा राजे को उम्मीद थी कि उनके पुत्र और झालावाड़ से सांसद दुष्यंत सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं । फिर ललित मोदी कांड में जब वसुंधरा राजे का नाम उछला तो सभी को लग रहा था कि इस बार केंद्र उन्हें नहीं मौका देगा।

लेकिन वसुंधरा राजे आसानी से चुप होने वालों में से नहीं थी. उपचुनाव हारने के अगले महीने ही उन्होंने मीडिया के सामने एक चौंकाने वाला बयान दिया – ‘कोई व्यक्ति इस गुमान में ना रहे कि उसकी वजह से पार्टी राजस्थान में लोकसभा की 25 और विधानसभा की 163 सीटें जीती हैं. जनता जिताने निकलती है तो दिल खोलकर और हराने निकलती है तो घर भेज देती है.’ हालांकि इस बयान में उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था लेकिन जानकारों का मानना था कि चुनावों में जीत का सेहरा प्रधानमंत्री के सिर बांधना उन्हें रास नहीं आ रहा था.

कई जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत के बाद मोदी-शाह की जोड़ी इतनी मजबूत हो चुकी है कि अब वह वसुंधरा को हटाने का बड़ा निर्णय लेने मे देर नहीं करेगी। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यदि भाजपा डेढ़ साल बाद होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों में अपनी वापसी करना चाहती है तो उसे इस बारे में तुरंत ही कोई फैसला करना होगा। प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी,वसुंधरा राजे को केंद्र में कोई जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें वापिस दिल्ली बुला सकते हैं। इन नामों में ओम माथुर और बीकानेर सांसद एवं केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल शीर्ष पर हैं। ऐसा माना जा रहा हैकि ओम माथुर या फिर अर्जुन राम मेघवाल की लॉटरी निकल सकती है!

फोकस भारत से साभार

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