जोधपुर में हुई प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि मोदी को देश बदलने के लिए युवा अनुभवी नेताओं की जरूरत है। इसलिए 75 साल की उम्र पार कर चुके नेताओं को संन्यास लेना होगा। यह खबर शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के सुकून भरी हो सकती है, क्योंकि उनके विरोधी खेमे में इस बात को लेकर तसल्ली थी कि आगामी विधानसभा चुनाव के वक्त उनकी उम्र 70 साल से ज्यादा हो जाएगी और उनका टिकट कट जाएगा। ज्ञातव्य है कि अब तक यही माना जा रहा था कि भाजपा 70 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को संन्यास दिलाने के मूड में है। यहां बता दें कि देवनानी की जन्म दिनांक 11 जनवरी 1948 है, जिसके हिसाब से 11 जनवरी को उनकी उम्र सत्तर साल हो जाएगी। भाजपा हाईकमान के नए निर्णय से कम से कम उम्र की वजह से तो उनकी टिकट नहीं कटेगी, मगर एक वजह से उनकी टिकट अब भी खतरे में है। वो यह कि इस बार दुबारा सत्ता में आने की खातिर भाजपा एंटी इंकंबेंसी फैक्टर के मद्देनजर बड़े पैमाने पर विधायकों के टिकट काटने के मूड में है। वैसे चूंकि उन पर संघ का आशीर्वाद है, इस कारण उनका टिकट काटना इतना आसान भी नहीं है, जितना कि विरोधी समझते हैं।
1 thought on “यानि उम्र तो बाधक नहीं बनेगी देवनानी के टिकट की”
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Jab govt.servant ki educational & age limit hoti h
To politicians ki bhi honi chahiye. young edu.
Ko mauka mile. achhi kranti aa sakti h. Sr. Ka experience liya ja sakta h q