‘रूहानी रूह जा पांधीअड़ा’- काव्य संग्रह का विमोचन

Sita Sindhu_0022हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर सीता सिंधु भवन, सांताक्रूज, मुम्बई के एक भव्य समारोह में सुश्री देवी नागरानी के अनुदित काव्य संग्रह “‘रूहानी रूह जा पांधीअड़ा का लोकार्पण संपन्न हुआ। मंच पर सन्माननीय हस्ताक्षर जिनके हाथों विमोचन सम्पन्न हुआ वे रहे : श्रीमती पारु चावला, प्रमुख मेहमान श्री महेश चंदर , हमारे सिंधी के सिरमोर गुलोकार , सम्माननीय श्री जयराम रूपणी, हिंदवासी की प्रधान संपादिका शोभा ललचंदनी, देवी नगरानी और गीता बिंदरानी जी।  देवी नागरानी के इस अनुदित काव्य संग्रह में 50 अलग-अलग प्रान्तों के प्रबुध लेखकों की कविताओं का हिन्दी से सिंधी में अनुवाद हुआ है। अनेक प्रान्तों से स्थापित कवि व राष्ट्रकवि कुसुमाग्रज, विष्णु प्रभाकर,रवीन्द्रनाथ ठाकुर, कुसुम अंसल…..! पुस्तक का स्वरूप देवनागरी लिपि में है, जो नव पीढ़ी को मधे-नज़र रखते हुए किया गया है।

 पद्मश्री प्रो॰ राम पंजवानी जी की स्थापित यह संस्था ‘सीता सिंधु भवन पिछले 25 बरसों से सिद्धस्त साहित्यकार व सिंधी समाज के सम्माननीय दस्तावेज़ स्वर्गीय श्री ठाकुर चावला एवं उनकी पत्नी श्रीमति पारु चावला जी के निष्ठापूरक प्रयासों से चलाते आए। अब परंपरा बरकरार रखने के अथक प्रयास कर रहे हैं परिवार के सदस्य—उनकी सुपुत्रियाँ,नातिन अमृता। इस आंगन में सिन्धी साहित्य, संस्कृति एवं संगीत का संगम प्रत्यक्ष सामने आता है। यह उनके अनवरत अथक निष्ठा का नतीजा है जो आज हिन्द में भी सिन्ध की गूँज सुनाई देती है। संचालिका अमृता जी ने देवी जी के साहित्य सफ़र की बात करते हुए इस बात का खुलासा किया किया की अनुवाद सिन्ध और हिन्द के बीच का एक सेतु बनकर एक पुख्ता पल बन रहा है। भाषा की टहनियों पर प्रांत प्रांत के परिंदे आश्रय प रहे है, जो अपने आप में एक मुबारक क़दम है। यह देवी जी की अपनी लगन और मेहनत का प्रतिफल है।

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