स्वामी ब्रह्मानंद को मिले भारत रत्न

(32वीं पुण्यतिथि पर स्वामी ब्रह्मानंद याद किये गये)
brahmanand-jiआगरा। 14 सितंबर दिन बुधवार को शास्त्रीपुरम में अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी एवं परिचय पत्रिका की ओर से अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी कार्यालय पर स्वामी ब्रह्मानंद जी की 32वीं पुण्यतिथि पर स्वामी

ब्रह्मानंद को याद किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने उनके आदर्शो को अपनाने का आहवान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह राजपूत एडवोकेट ने स्वामी ब्रह्मानंद जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं माल्यार्पण कर किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद का व्यक्तित्व महान था। उन्होंने समाज सुधार के लिए काफी कार्य किए। देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने जहां स्वयं को समर्पित कर कई आंदोलनों में जेल काटी। आजादी के बाद देश की राजनीति में भी उनका भावी योगदान रहा है। उन्होंने सभी से उनके बताए मार्ग पर चलने का आहवान किया। इस अवसर पर सम्पादक मानसिंह राजपूत एडवोकेट ने प्रदेश सरकार से त्यागमूर्ति पूज्यवाद स्वामी ब्रह्मानंद पर डाक टिकट जारी करने की अपील की। और बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी का नाम स्वामी ब्रह्मानंद जी के नाम पर करने की मांग की। क्योंकि सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड में शिक्षा के क्षेत्र में जिसने सबसे ज्यादा काम किया है वो त्यागमूर्ति पूज्यवाद स्वामी ब्रह्मानंद जी ही थे।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसम्पादक ब्रहमानंद राजपूत कहा कि स्वामी जी ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही कार्य किए। समाज के लोगों को शिक्षा की ओर ध्यान देने का आहवान किया। स्वामी जी ने सम्पूर्ण बुन्देलखंड में शिक्षा की अलख जगाई आज भी उनके नाम से हमीरपुर में डिग्री कॉलेज चल रहा है। जिसकी नीव स्वामी ब्रह्मानंद जी ने ब्रह्मानंद विध्यालय के रूप में रखी। स्वतंत्रता आन्दोलन में भी स्वामी ब्रह्मानंद जी ने बढ चढकर हिस्सा लिया पूरे उत्तर भारत में उन्होने अग्रेजों के खिलाफ लोगों में अलख जगाई। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय स्वामी जी का नारा था उठो! वीरो उठो!! दासता की जंजीरों को तोड फेंको। उखाड़ फेंको इस शासन को एक साथ उठो आज भारत माता बलिदान चाहती है। उन्होने कहा था की दासता के जीवन से मृत्यु कही श्रेयस्कर है। ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि स्वामीजी ने इस समाज के उत्थान के लिए अपना सारा जीवन अर्पित कर दिया। ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि कर्मयोगी शब्द का जीवंत उदाहरण यदि भारत में है तो उनका नाम अग्रिम पंक्ति में लिखा है। उन्होने कहा कि कर्म को योग बनाने की कला अगर किसी में थी तो वो स्वामी ब्रह्मानंद जी में थी। उन्होने कहा कि स्वामी जी का वैराग्य नैसर्गिक था उनका वैराग्य स्वयं या अपने आप तक सीमित नहीं था। बल्कि उसका लाभ सारे समाज को मिला। इस अवसर पर ब्रहमानंद राजपूत ने केन्द्र सरकार से स्वामी ब्रह्मानंद जी को भारत रत्न देने की मांग की।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सचिव पवन राजपूत ने अपने संबोधन में कहा कि हमें स्वामी ब्रहमानंद महाराज के पद चिंहों पर चलकर समाज को ऊंचा उठाना होगा। उन्होंने समाज के लोगों से कहा कि प्रत्येक गांव में स्वामी ब्रहमानंद महाराज की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। कहा कि देश की संसद में स्वामीजी पहले वक्ता थे जिन्होने गौवंश की रक्षा और गौवध का विरोध करते हुए संसद में करीब एक घंटे तक अपना भाषण दिया था।
इस मौके पर अरब सिंह राजपूत, प्रभाव सिंह, धारा राजपूत, दुष्यंत लोधी, मोरध्वज राजपूत, नीतेश, राकेश, विष्णु लोधी, धर्म राजपूत, दीपक, मुकेश, लोकेश, दिनेश, जीतेन्द्र, राजवीर, राहुलसिंह, सोहन सिंह राजपूत, कांति प्रसाद, रोशन लाल, हरपाल सिंह, राजपाल सिंह, वेद प्रकाश, मोहर सिंह आदि उपस्थित रहे।

2 thoughts on “स्वामी ब्रह्मानंद को मिले भारत रत्न”

  1. त्यागमूर्ति स्वामी ब्रह्मानंद जी ,जो इस संसार के सभी संबंधों से नाता तोड़ चुके ,एक संत होकर कभी कोई मंदिर नहीं बनवाया ,विकत परिस्थितिओं में शिक्षा का मंदिर बनवाया ,कभी धन हाँथ से नहीं छुआ ,कभी किसी भी बुराई के सामने अपने को नहीं झुकने दिया ,भारत रत्न के असली हक़ दार है स्वामी ब्रह्मानंद जी ,आज इनकी संस्था भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ़ गयी धीरे धीरे संस्था से सभी मान्यताएं समाप्त होने जा रही है ,अर्थात स्वामी जी का शिक्षा का दीपक बुझने की कगार पर है |स्वामी जी अमर रहें

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