सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय की विशेष अपील याचिका खारिज की

(कोटा खुला विश्वविद्यालय की एम.एड. डिग्री को पीएचडी
हेतु योग्य माना)

suprim coartनई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय की विशेष अपील याचिका खारिज करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ व एकलपीठ के फैसले को बहाल रखा। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रामप्रकाश चन्देल ने राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष रिट याचिका अपने अधिवक्ता डी पी शर्मा के माध्यम से दायर करते हुए निवेदन किया कि उसका पीएचडी हेतु रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है जो कि पूर्णतया मनमाना है प्रार्थी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी को अनुचित रूप से पीएचडी करने से रोका जा रहा है जिसका जबाव देते हुए विश्वविद्यालय की तरफ से तर्क दिया गया कि कोटा खुला विश्वविद्यालय से प्राप्त एम.एड की डिग्री राजस्थान विश्वविद्यालय की एम.एड डिग्री के समतुल्य नहीं है इसलिए प्रार्थी को पी.एच.डी. हेतु अयोग्य माना गया। जिसके जवाब में प्रार्थी के अधिवक्ता का तर्क था कि प्रार्थी की सहपाठी श्रीमती अनिता सैनी को विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की उपाधि दी गई जबकि प्रार्थी को अयोग्य करार दिया गया। कोटा विश्वविद्यालय कानून द्वारा निर्मित विश्वविद्यालय है। एकलपीठ ने प्रार्थी की याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि प्रार्थी को पीएचडी हेतु योग्य माना जावे। उक्त आदेश को विश्वविद्यालय द्वारा खण्डपीठ के समक्ष चुनौती दी गई। खण्डपीठ ने भी विश्वविद्यालय की रिट याचिका को खारिज कर दिया। विश्वविद्यालय द्वारा प्रार्थी के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर खण्डपीठ के आदेश को चुनौती दी गई एवम् तर्क दिया कि प्रार्थी ने आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध नहीं करवाये तथा एम.एड. की डिग्री कोटा खुला विश्वविद्यालय से प्राप्त की है अतः यह डिग्री पीएचडी हेतु अमान्य है। प्रार्थी के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि कोटा खुला विश्वविद्यालय कानून द्वारा निर्मित विश्वविद्यालय है तथा राजस्थान विश्वविद्यालय ने प्रार्थी की सहपाठी को पीएचडी हेतु योग्य माना अतः विश्वविद्यालय का उक्त कृत्य पूर्णतया मनमाना है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रार्थी के अधिवक्ता के उक्त तर्को से सहमत होतु हुए प्रार्थी को पीएचडी के लिए योग्य माना एवम् विश्वविद्यालय की विशेष अपील याचिका को खारिज फरमा दिया।

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