भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड ने अपना मानेसर प्लांट तब तक बंद कर देने का फैसला किया है जब तक जांच में यह सामने नहीं आ जाता कि वहां हुई हिंसा का कारण क्या था.
दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कंपनी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि कंपनी के लिए सबसे अहम मैनेजरों और कर्मचारियों की सुरक्षा है.
आर सी भार्गव ने कहा, ”हम उत्पादन आरंभ करने की स्थिति में नहीं हैं. हम अपने लोगों को और खतरे में नहीं डाल सकते.”
उधर शनिवार सुबह मजदूरों ने कंपनी और हरियाणा सरकार के खिलाफ राजधानी दिल्ली में स्थित हरियाणा भवन के बाहर प्रदर्शन किया.
उनका आरोप है कि कंपनी एक सोची समझी योजना के तहत कार्य कर रही है जिसकी वजह से हिंसा हुई थी.
बुधवार को हुई हिंसा में मारुति के मानेसर स्थित प्लांट में आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी, जिसके बाद वहां से एक जली हुई लाश भी बरामद हुई. बाद में इसकी पहचान मारुति के एचआर मैनेजर के रूप में हुई थी.
कर्मचारियों की जिंदगी
मारुति के चेयरमैन ने मजदूरों पर अत्याचार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ”झड़पों में कंपनी के 90 अधिकारियों को चोटें आई हैं, जबकि कोई मजदूर घायल नहीं हुआ है. इसका निष्कर्ष मैं आप पर छोड़ता हूं.”
पूछे जाने पर कि उत्पादन कितने दिनों के लिए बंद किया जा रहा है उन्होंने कहा कि लॉक-आउट का कोई समय निर्धारित नहीं किया जाता.
भार्गव ने आगे कहा, ”हम जानना चाहते हैं कि यह हिंसा क्यों हुई. जब तक हम यह नहीं जानेंगे तब तक हम यहां सुधार नहीं ला पाएंगे.”
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कंपनी के लिए नुकसान से अधिक अपने कर्मचारियों की जिंदगी है.
उन्होंने कहा कि ऐसी खबरे गलत हैं कि प्लांट कहीं और ले जाया जा रहा है.
‘बाउंसर्स ने किया हमला’
भार्गव ने कहा कि इस हादसे उन्हें बहुत हैरानी हुई क्योंकि कर्मचारी यूनियन और प्रबंधन के बीच बैठक में सारी बात हो चुकी थी और एक समझौता भी हो गया था.
उधर मजदूरों का आरोप है कि उस दिन पहले तो अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे.
फिर जब वार्ता चल रही थी तो प्रबंधन ने बाउंसरों को दफ्तर में बुलाया और उनपर हमला कर दिया.
एक बयान में यूनियन के अध्यक्ष राम मेहर ने कहा कि इन्हीं बाउंसरों ने कंपनी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था.