स्क्रीन पर राजेश खन्ना को मरता नहीं देख पाती थीं मां

‘आनंद’, ‘सफर’ और ‘बहारों के सपने’ जैसी फिल्मों में राजेश खन्ना के मरने के दृश्यों ने भले ही उन्हें दर्शकों के दिलों में खास जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई हो, लेकिन इस स्टार की मां को यह बात कतई नहीं सुहाती थी। वह उन फिल्म निर्देशकों को खूब भला बुरा कहती थीं, जो उनके बेटे को फिल्म में ऐसी भूमिकाएं देते थे। वह राजेश खन्ना की इन फिल्मों को नहीं देख पाती थीं। यह राज खोला है पिछले सप्ताह दिवंगत हुए सितारे के बचपन के दोस्त रमेश भटलेकर ने।

राजेश खन्ना से अपने पारिवारिक संबंधों को याद करते हुए भटलेकर ने बताया कि पुणे में स्नातक डिग्री की पढ़ाई के लिए राजेश खन्ना कुछ दिनों तक उनके घर में रुके थे। भटलेकर के पिता राजेश खन्ना के पारिवारिक डॉक्टर थे। राजेश खन्ना के स्टार बनने के बाद भी उनका और उनके परिवार का भटलेकर परिवार में आना-जाना था।

भटलेकर ने कहा, ‘इन्हीं दिनों में जब राजेश की मां मेरी मां से मिलने आती थीं, तो अपने दिल की बात कहती थीं। बेटे को पर्दे पर मरते देख कर वह व्यथित हो जाती थीं।’ मुंबई में भटलेकर और खन्ना परिवार गिरगाम के ठाकुरद्वारा में स्थित ‘सरस्वती निवास’ नाम की बिल्डिंग में रहा करते थे।

70 वर्षीय भटलेकर ने बताया, ‘हम साथ में बड़े हुए। मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद मैं पुणे आ गया था। जहां आप्टे रोड पर मेरे पिता ने अपना बंगला बनवा लिया था। यहां मैंने कॉलेज में साइंस की पढ़ाई शुरू की। तब राजेश के परिवार ने भी तय किया कि उन्हें पढ़ाई के लिए पुणे भेजा जाए। वह आर्ट्स पढ़ने यहां आए थे। कुछ महीनों तक वह हमारे घर में ठहरे। लेकिन उनका कॉलेज दूर था, अत: उन्होंने बाद में कॉलेज के नजदीक रूम ले लिया।’

भटलेकर के अनुसार राजेश खन्ना 16 साल की उम्र में पुणे आए थे। यहां उन्होंने 1959 से 1961 तक बीए की पढ़ाई की और फिर मुंबई में ग्रेजुएशन पूरा किया। कॉलेज के दिनों में उनका नाम जतिंदर चुन्नीलाल खन्ना था।

बचपन के दिनों को याद करते हुए भटलेकर ने कहा कि उन दिनों में भी राजेश खन्ना खूबसूरत थे और उनकी त्वचा का रंग गुलाबी था वह हमेशा से ऐक्टर बनना चाहते थे। उन्होंने बताया, ‘एक बार उन्होंने मुझे अपने कुछ फोटोग्राफ दिखाए थे और कहा था कि मैंने ये तस्वीरें राज कपूर को भेज कर उनकी फिल्मों में काम मांगा है।’

error: Content is protected !!