एंटनी या पवारः यूपीए-2 में नंबर 2 कौन

यूपीए-2 में नंबर 2 के लिए मची खींचतान ने हर किसी का ध्यान रक्षा मंत्री एके एंटनी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सियासी कैरियर की ओर खींच लिया है। वैसे इन दोनों दिग्गज नेताओं का राजनीतिक कैरियर और अनुभव लगभग एक समान है। इन दोनों अनुभवी राजनेताओं का राजनीतिक कैरियर लगभग समान गति से परवान चढ़ा है।

इमरजेंसी के बाद दोनों ने कांग्रेस छोड़ दी थी और दोनों ही अपनी उम्र के 30 के दशक के अंत में मुख्यमंत्री बने। उस समय दोनों केंद्र से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के लिए भेजा गया था। एंटनी और पवार दोनों ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं। केंद्र में भी अलग-अलग समय पर वे रक्षा और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

पवार 1972 में महाराष्ट्र में मंत्री बने थे। उसी दौरान एंटनी ने केरल में पार्टी चीफ बनने के लिए वरिष्ठ नेता के. करुणाकरण के सामने चुनौती पेश की थी। सीएम बनने के मामले में एंटनी पवार से आगे रहे। वे 1977 में केरल के मुख्यमंत्री बने। महाराष्ट्र में पवार को यह मौका 1978 में मिला, लेकिन तब तक एंटनी सीएम पद से इस्तीफा दे चुके थे।

प्रणब मुखर्जी के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद हुई कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बगल वाली सीट पर 72 वर्षीय पवार बैठे थे। इसके बाद इस बात की अटकलें लगाई जाने लगी कि यूपीए सरकार में नंबर दो का दर्जा एनसीपी प्रमुख को मिलेगा। बहरहाल, इसके बाद हुई कैबिनेट की बैठक में पीएम के बगल में एंटनी बैठे और इसने स्पष्ट कर दिया कि सरकार में नंबर दो की कुर्सी एंटनी को सौंप दी गई है।

इस बात ने पवार को नाखुश कर दिया और उनके साथ ही उनकी पार्टी ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद स्थिति संभालने के लिए एंटनी को कहना पड़ा कि केंद्रीय कैबिनेट में जूनियर और सीनियर जैसी कोई बात नहीं है।

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