भक्त होना बुरा नहीं, मगर अंधभक्ति, लानत है

तेजवानी गिरधर
तेजवानी गिरधर
कोई किसी का भक्त हो, तो इसमें कोई बुराई नहीं। भक्ति निजी आस्था का मामला है, उस पर सवाल खड़ा करना ही गलत है, मगर अफसोस तब होता है कि जब कुछ अंध भक्त अपने भगवान के तनिक विपरीत मगर सच्ची टिप्पणी को भी बर्दाश्त नहीं कर पाते और लगते हैं अनर्गल प्रलाप करने। घटिया टिप्पणियां करते हैं। लानत है ऐसे लोगों पर।
दरअसल प्रकरण ये है कि मैने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक विडियो शेयर किया, जिसमें इंडिया टीवी के आप की अदालत शो में तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात और पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कह रहे हैं कि पाक को पाक की भाषा में जवाब देना चाहिए। मैने इस वीडियो के साथ सिर्फ एक पंक्ति लिखी कि ये वे ही मोदी जी हैं, जो पाक को पाक की भाषा में जवाब देने का उपदेश दे रहे हैं, मगर तब वे विपक्ष में थे। इस पर कुछ मोदी भक्त उबल पड़े। लगे मोदी जी के पक्ष में दलील देने। यहां तक कि मेरी अब तक बेदाग रही पत्रकारिता पर सवाल उठाने लगे। मुझे अफसोस हुआ कि मैं कैसे दोस्तों के साथ घिरा हुआ हूं कि उन्हें मोदी जी की अंधभक्ति में सच नजर ही नहीं आता। भला मेरी पत्रकारिता का मोदी जी के दोहरेपन का क्या संबंध?
असल में उरी में हुई आतंकी वारदात की जब पूरा देश निंदा व आलोचना कर रहा है, गुस्से से भरा है और जवाबी कार्यवाही की अपेक्षा में है, तब मोदी जी के चंद अंधभक्त सच्चाई से आंख फेर कर लगे हैं मोदी जी के गुणगान करने में। वस्तुत: ये मुद्दा बहस का है ही नहीं। यदि मोदी जी ने कांग्रेस की कायरतापूर्ण नीति पर हमला करते हुए ये दंभ भरा उपदेश दिया है कि पाक को पाक की भाषा में जवाब देना चाहिए, और ऐसे ही बयानों के दम पर सत्ता हासिल की है तो आज के हालात में उनके इस बयान को याद किया ही जाएगा। उसे स्वीकार करना ही चाहिए। कुछ मोदी भक्त स्वीकार भी कर रहे हैं, मगर कुछ मोदी जी के खिलाफ एक भी शब्द सुनना नहीं चाहते। उलटा, बेसिरपैर की टिप्पणियां कर रहे हैं। मेरी पोस्ट को छोड भी दीजिए, मगर आप सोशल मीडिया पर ऐसी सैकडों पोस्ट देख सकते हैं, जिसमें मोदी जी के भक्त किस प्रकार बकवास कर रहे हैं।
अरे भाई, अगर आपने विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस को कोई उपदेश दिया है और उसी देशभक्ति के नाम पर वोट बटोरे हैं तो आज सत्ता में रहते आपको स्वयं भी उस उपदेश पर चल कर दिखाना ही होगा। पाक को करारा जवाब देना ही होगा। वरना आपको लोग लफ्फाज कहेंगे।
सच तो ये है कि यह विषय भाजपा, कांग्रेस का है ही नहीं। पाकिस्तान यदि बदमाशी कर रहा है तो उसे सबक सिखाया ही जाना चाहिए। इस मुद्दे पर पूरा देश प्रधानमंत्री के साथ खड़ा है। निजी तौर पर किसी को मोदी जी नापसंद भी हो सकते हैं, मगर वे देश के प्रधानमंत्री हैं और बहादुरी का दावा करके बने हैं तो उसी बहादुरी का परिचय देने का यह उचित वक्त है। वैचारिक भिन्नता अलग बात है, मगर देश की खातिर तो सब एक ही हैं।
लीजिए, वह वीडियो भी देख लीजिए, इस लिंक पर:-

-तेजवानी गिरधर
7742067000
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1 thought on “भक्त होना बुरा नहीं, मगर अंधभक्ति, लानत है”

  1. अंधभक्तों का यही रवैय्या रहता है. ऐसी नाराज़गी को मन से निकाल दें. मेरे अभी हाल ही लिखे दोनों लेख “जेटी के राजा” और “आस्था+फूहड़ पने” पर मेरे भी कई मित्र अनर्गल इसे हिन्दू मुस्लिम , हिन्दू क्रिस्चियन विवाद की तरफ घसीट रहे हैं. जो इन लोगों की ना समझी ही कही जायेगी. मैंने कोई धर्म विरोधी शब्द नहीं लिखा. सिर्फ वो तकलीफ उजागर की है जो आगे जाकर विकराल रूप ले सकती है. पत्रकार तो हर राजनेतिक पार्टी को आइना दिखा सकता है चाहे वो सत्ता में हो या सत्ता से बाहर हो. वेसे आपकी बात यदि मोदी जी पड़ेंगे तो स्वागत ही करेंगे क्यूंकि उनका स्वयं का मानना है की विरोध जताना ज़रूरी है.

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