हिंदी पत्रकारिता के युग पुरुष का देहावसान

श्री रमेशचंद्र अग्रवाल
श्री रमेशचंद्र अग्रवाल
देश में हिंदी पत्रकारिता के युग पुरुष श्री रमेशचंद्र अग्रवाल का बुधवार को देहावसान हो गया। असल में यह सिर्फ उनकी देह का अवसान है, जबकि वे आज भी देशभर में सबसे बड़े नेटवर्क के साथ गांव-गांव ढ़ाणी-ढ़ाणी में आम पाठक के बीच जिंदा हैं।
उन्हें हिंदी पत्रकारिता का युग पुरुष कहना इस कारण सटीक है क्योंकि उनकी दूरदृष्टि व पक्का इरादे की वजह से ही आज हिंदी पत्रकारिता में युगांतरकारी परिवर्तन आया है। न केवल समाचार पत्र में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की शुरुआत करने का श्रेय उनके खाते में है, अपितु पत्रकारिता को केरियर की शक्ल प्रदान करना भी उनकी ही देन है। पत्रकारिता को मिशन से निकाल कर दुनिया के साथ कदमताल करते हुए प्रोफेशनल टच देना भी उनकी सोच का परिणाम है। मगर साथ ही सामाजिक सरोकारों को मिशन की भांति अपना कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि अखबार सिर्फ सूचना के आदान-प्रदान का जरिया नहीं, अपितु समाजोत्थान का भी माध्यम है। अपनी सोच को जिस प्रकार वृहद स्तर पर उन्होंने विस्तार दिया, उसी का परिणाम है कि आज दैनिक भास्कर दुनिया के श्रेष्ठ समाचार पत्रों में किए जा रहे प्रयोगों को अपनाता है और तकरीबन हर दो साल में उसके कलेवर में परिवर्तन देखा जा सकता है। पत्रकारिता में परंपरागत शैली का परित्याग कर इसे नए आयाम दिए हैं, उसका तो कोई सानी ही नहीं है।
दैनिक भास्कर के राजस्थान में पदार्पण के वक्त किसी ने भी नहीं सोचा कि यह समाचार पत्र जल्द ही न केवल पूरे राज्य पर छा जाएगा, अपितु एक के बाद एक अन्य गैर हिंदी भाषी राज्यों में भी पांव पसार लेगा। जयपुर के बाद जब अजमेर संस्करण का आरंभ करने श्री रमेश चंद अग्रवाल यहां आए तो मुझे भी इससे जुडऩे का अवसर मिला। तब हिंदी व अंग्रेजी के सिद्धहस्त पत्रकार प्रदीप पंडित को इस संस्करण को दिशा देने का दायित्व दिया गया। उनके साथ भोपाल से जो टीम आई, उसे देख कर तो मैं चकित रह गया। मात्र बीस-पच्चीस साल के युवा पत्रकारिता की हर विधा में पारंगत थे। तब पहली बार महसूस हुआ कि राजस्थान में पत्रकारिता की स्कूलिंग कितनी कमजोर है। बहरहाल, चंद माह बाद ही दैनिक नवज्योति से डॉ. रमेश अग्रवाल को बुलवा कर संपादन का दायित्व सौंपा गया। उन्हीं के नेतृत्व में मैंने सिटी डेस्क इंचार्ज व चीफ रिपोर्टर का दायित्व निर्वहन किया। वे तकरीबन पांच साल यहां रहे। इसके बाद उनका जयपुर तबादला हो गया। उनके बाद राजस्थान पत्रिका के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार श्री जगदीश शर्मा व अजमेर के सपूत मूर्धन्य पत्रकार श्री अनिल लोढ़ा के साथ काम करने सौभाग्य हासिल हुआ। आठ साल तक अजमेर संस्करण में सेवाएं देने के बाद जब मेरा तबादला जयपुर कर दिया गया तो होम सिकनेस की वजह से मैने इस्तीफा दे दिया। हालांकि यह सही है कि मेरी मजबूत स्कूलिंग वरिष्ठ पत्रकार श्री सतीश शर्मा की देखरेख में हुई और पत्रकारिता में खुल कर बल्ला चलाने का मौका दैनिक न्याय में श्री राजहंस शर्मा के आशीर्वाद से मिला, मगर पत्रकारिता के नए आयामों को छूने का सारा श्रेय दैनिक भास्कर को है। यही वह मंच रहा, जिसने मुझे पहचान प्रदान की। दैनिक भास्कर में काम करने का वह काल मेरे जीवन का स्वर्णिम काल रहा।
तेजवानी गिरधर
तेजवानी गिरधर
आज जबकि दैनिक भास्कर नामक वट वृक्ष के शीर्ष पुरुष श्री रमेशचंद्र अग्रवाल हमारे बीच नहीं हैं, लगता है कि उनकी क्षतिपूर्ति कभी नहीं हो पाएगी। उनके नेतृत्व में चल रहे पत्रकारिता के इस जंगी जहाज का कभी मैं भी एक कलपुर्जा था, यह कहते हुए मुझे गर्व है। मैं दैनिक भास्कर के प्रबंधन व साथी पत्रकारों से मिले स्नेह को कभी नहीं भुला पाउंगा।
अंत में दैनिक भास्कर के पुरोधा को मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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