भाजपा बड़े पैमाने पर काटेगी मौजूदा विधायकों के टिकट?

तेजवानी गिरधर
तेजवानी गिरधर
हालांकि मोटे तौर पर यही माना जाता है कि नरेन्द्र मोदी के नाम में अब भी चमत्कार है और मोदी लहर अभी नहीं थमी है, बावजूद इसके स्वयं भाजपा का मानना है कि एंटी एस्टेब्ल्शिमेंट फैक्टर भी अपना काम करता है, जिसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश व पंजाब हैं। उत्तर प्रदेश में चूंकि भाजपा को बंपर बहुमत मिला, इस कारण उसे मोदी लहर की संज्ञा मिल गई, मगर सच्चाई ये थी कि मायावती व अखिलेश की सरकारों के प्रति जो असंतोष था, वहीं मोदी लहर में शामिल हो गया। उधर पंजाब में मोदी लहर नाकायाब हो गई, क्योंकि वहां एंटी एस्टेब्ल्शिमेंट फैक्टर पूरा काम कर गया। ऐसे में पार्टी केवल इसी मुगालते में नहीं रहना चाहती कि चुनाव जीतने के लिए केवल मोदी का नाम ही काफी है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के अंदरखाने यह सोच बन रही है कि अगले साल होने जा रहे राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी मोदी फोबिया के साथ एंटी एस्टेब्ल्शिमेंट फैक्टर काम करेगा। इसके अतिरिक्त विशेष रूप से राजस्थान के संदर्भ में यह तथ्य भी ध्यान में रखा जा रहा है कि यहां की जनता हर साल पांच साल बाद सत्ता बदल देती है। हालांकि मौजूदा मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे चूंकि क्षेत्रीय क्षत्रप हैं और उनका भी अपना जादू है, मगर समझा जाता है कि वह भी अब फीका पड रहा है। हालांकि भाजपा का एक बड़ा खेमा यही मानता है कि वसुंधरा राजे का मौजूदा कार्यकाल संतोषजनक रहा है, मगर फिर भी यह आम धारणा बन गई है कि उनका मौजूदा कार्यकाल पिछले कार्यकाल की तुलना में अलोकप्रिय रहा है। इसकी एक वजह ये रही है कि इस बार भाजपा के पास ऐतिहासिक बहुमत था, इस कारण सभी विधायकों को संतुष्ट नहीं किया जा सका, जिसकी छाया आम जनता में भी नजर आती है। ऐसे में भाजपा के लिए चिंता का विषय है कि राजस्थान में सत्ता विरोधी पहलु से निपटने के लिए क्या किया जाए?
सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान की सोच है कि एंटी एस्टेब्ल्शिमेंट फैक्टर तभी कमजोर किया जा सकता है, जबकि बड़े पैमाने पर पुराने चेहरों के टिकट काटे जाएं। चेहरा बदलने से कुछ हद तक पार्टी के प्रति असंतोष को कम किया जा सकता है। पार्टी के भीतर भी मौजूदा विधायक के विरोधी खेमे का असर तभी कम किया जा सकता है, जबकि चेहरा ही नया ला दिया जाए। पार्टी का मानना है कि विशेष रूप से दो या तीन बार लगातार जीते हुए विधायकों के टिकट काटना जरूरी है। हालांकि ऐसा करना आसान काम नहीं है, और उसकी कोई ठोस वजह भी नहीं बनती, मगर फार्मूला यही रखने का विचार है। बस इतना ख्याल जरूर रखा जा सकता है कि सीट विशेष पर यदि किसी विधायक का खुद का समीकरण बहुत मजबूत है तो उसे फिर मौका दिया जा सकता है।
भाजपा हाईकमान ने ऐसे पुराने चेहरों को भी हाशिये पर रखना चाहती है, जो कि पूर्व में विधायक, सांसद या प्रभावशाली रहे हैं। इसके लिए संघ प्रचारकों की तर्ज पर पार्टी में भी विस्तारकों की टीम तैयार की गई है। पिछले दिनों ऐसे विस्तारकों को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने साफ तौर पर कहा कि न तो वे टिकट मिलने की आशा रखें और न ही इस गलतफहमी में रहें कि उनके रिपोर्ट कार्ड पर टिकट दिए जाएंगे। उनका काम केवल पार्टी का जनाधार बढ़ाना है। इसका मतलब साफ है कि पार्टी इस बार बिलकुल नए चेहरों पर दाव खेलना चाहती है।
सूत्रों का मानना है कि अगर चेहरे बदलने के फार्मूले पर ही चुनाव लड़ा गया तो तकरीबन साठ से सत्तर फीसदी टिकट काटे जाएंगे, जिनमें मौजूदा विधायक और पिछली बार चुनाव हारे प्रत्याशी शामिल होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

1 thought on “भाजपा बड़े पैमाने पर काटेगी मौजूदा विधायकों के टिकट?”

  1. Naye chehro ko bhi mauka milna chahiye.
    Bakiyo ka Number kab aayega.
    Karya karta SE band kamre me vasundharaji khud Rai shumari le Sakti hI.
    Chamcho koi rajneeti band honi chahiye

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