हल्दीघाटी में प्रताप की हुई थी निर्णायक विजय : ओमप्रकाश

Pratap 2Pratap 1उदयपुर, 2 मार्च. प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक ओमप्रकाश नें कहा कि महाराणा प्रताप हल्दी घाटी युद्ध में निर्णायक रुप से विजयी रहे थे। मुगल सेना की पराजय से व्यथित अकबर नें मानसिंह की ड्योढ़ी बंद कर दी थी। वे भारत विकास परिषद “प्रताप” द्वारा आयोजित प्रताप व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रुप में संबोधन दे रहे थे। ओमप्रकाश नें कहा कि महाराणा प्रताप एक कुशल कूटनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने मेवाड़ की कृषि व्यवस्था में सुधार के क्रांतिकारी कदम उठाए थे। हल्दी घाटी युद्ध से प्रताप के पराजय और दो मुगल सेनिकों द्वारा उनका पीछा करने की कहानी कपोल कल्पित है। शक्ति सिंह नें हल्दीघाटी युद्ध में भाग ही नहीं लिया था। प्रताप की सेना में सभी छत्तीस कोम के सैनिक थे। मेवाड़ वासियों को प्रताप के जीवन की मुख्य घटनाओं का संज्ञान अवश्य रहना चाहिए। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता कर रहे पेसेफिक विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. भगवती प्रसाद शर्मा नें प्रताप के बारे में प्रचलित किंवदतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आर्थिक राष्ट्रवाद को देश की प्रगति के लिए आवश्यक माना और कहा कि हम जहां अच्छा विकल्प उपलब्ध हो, वहाँ स्वदेशी उत्पाद के उपयोग का संकल्प लेना चाहिए। विषय प्रवर्तन करते हुए भारतीय विकास परिषद ‘प्रताप’ के संरक्षक डॉ. सत्यनारायण माहेश्वरी नें कहा कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली इस व्याख्यानमाला में देश की कई लब्ध प्रतिष्ठित विभूतियाँ आ चुकी है। महाराणा प्रताप के संबंध में इतिहास की पुस्तकों में कई अप्रमाणिक एवं मिथ्या विवरण दिए गऐ हैं। प्रताप के बारें में व्यापक जन चेतना के लिए भाविप प्रताप अभियान चलाएगी। व्याख्यानमाला में ओमप्रकाश को मेवाड़ के इतिहास पर नवीन शोध एवं डॉ. भगवती प्रसाद को स्वदेशी चेतना जागरण में उल्लेखनीय कार्य करने पर जीवन परक उपलब्धि सम्मान प्रदान किया गया। अध्यक्ष डॉ. सुजान सिंह, सचिव आशा कोठारी, नरेन्द्र पोरवाल, चेतन लुणदिया, बसंत पोरवाल, सुरेन्द्र भण्डारी, निर्मल धाकड़, डॉ. अजित गुप्ता, रेन प्रकाश जैन, गोपाल पारिक सहित कई सदस्य एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

डॉ. सत्यनारायण माहेश्वरी

संरक्षक

error: Content is protected !!