एम.एड डिग्री को पी.एच.डी. कोर्स के लिये योग्य मानते हुये प्रवेश के आदेश

(राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर का मामला)

Rajasthan High Court Jaipur Bench 450जयपुर, राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने राजस्थान विश्वविद्यालय की रिट याचिका को खारिज करते हुये एकलपीठ के फैसले को बहाल रखा जिसके तहत एकलपीठ ने राजस्थान विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि प्रार्थी की कोटा खुला विश्वविद्यालय से प्राप्त एम.एड की डिग्री को राजस्थान विश्वविद्यालय की एम.एड डिग्री के समतुल्य मानते हुये प्रार्थी को पी.एच.डी. कोर्स हेतु योग्य मानते हुये पी.एच.डी. कोर्स में प्रवेश दिया जावे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रामप्रकाश द्वारा कोटा खुला विश्वविद्यालय से एम.एड की डिग्री प्राप्त कर रखी है। प्रार्थी द्वारा पी.एच.डी. डिग्री हासिल करने हेतु राजस्थान विश्वविद्यालय में पी.एच.डी. कोर्स हेतु आवेदन-पत्रा दाखिल किया गया जिसके साथ प्रार्थी ने कोटा खुला विश्वविद्यालय से प्राप्त एम.एड डिग्री की प्रति भी संलग्न की गई। राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा यह कहते हुये प्रार्थी को पी.एच.डी. कोर्स के लिये अयोग्य करार कर दिया कि प्रार्थी द्वारा एम.एड की डिग्री कोटा खुला विश्वविद्यालय से प्राप्त कर रखी है जो कि राजस्थान विश्वविद्यालय की एम.एड डिग्री के समतुल्य नहीं है। इससे पिड़ित होकर प्रार्थी ने जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से रिट याचिका दायर कर निवेदन किया कि राजस्थान विश्वविद्यालय ने प्रार्थी द्वारा कोटा खुला विश्वविद्यालय से प्राप्त एम.एड की डिग्री को पी.एच.डी. कोर्स हेतु उचित नहीं मानते हुये प्रार्थी को पी.एच.डी. कोर्स हेतु अयोग्य घोषित कर दिया जबकि एक अन्य पी.एच.डी. विद्यार्थी अनीता सैनी जिसने वर्ष 2003 में पी.एच.डी. कोर्स में प्रवेश लिया था उसने भी कोटा खुला विश्वविद्यालय से ही एम.एड की डिग्री हासिल कर रखी है, को राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा पी.एच.डी. कोर्स में प्रवेश हेतु योग्य मानकर प्रवेश दे दिया गया तथा न्यायालय के समक्ष ऐसी कोई सामाग्री प्रस्तुत नहीं की जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रार्थी की डिग्री मान्यता प्राप्त नहीं है तथा यह भी तर्क दिया कि कोटा खुला विश्वविद्यालय राज्य सरकार द्वारा पारित कानून के तहत गठित संस्था है जैसा कि राजस्थान विश्वविद्यालय है तथा कोटा खुला विश्वविद्यालय राजस्थान विश्वविद्यालय के अधीनस्थ नहीं है। कोटा खुला विश्वविद्यालय को यू.जी.सी. व एन.सी.ई.टी. से मान्यता प्राप्त है। ऐसी स्थिति में विपक्षी संस्थान का आदेश पूर्णतः मनमाना है। मामले की सुनवाई के पश्चात् राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने उक्त आदेश पारित किया तत्पश्चात राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा प्रार्थी के पक्ष में हुये एकलपीठ के फैसले को खण्डपीठ में चुनौति दी गई परन्तु राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा भी उक्त अपील को खारिज करते हुये एकलपीठ के फैसले को बहाल रखा।

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