श्रवण सहरिया को कब मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ

बेटी सुशीला के पास नही है राशनकार्ड, जॉबकार्ड, आवास

IMG-20170720-WA0067IMG-20170720-WA0074फ़िरोज़ खान
बारां 26 जुलाई । निवाड़ी सहरिया कॉलोनी में निवासरत श्रवण सहरिया को अभी तक भी किसी भी सुविधा का लाभ नही मिला है । उसने बताया कि वह आज भी एक टापरी में अपनी परित्यक्ता व विकलांग बेटी सुशीला के साथ रहता है । और दिनभर मेहनत मजदूरी कर लाता है ।

और अपने परिवार का लालन पालन करता है । उसने बताया कि मेरी बेटी के पास राशनकार्ड, जॉब कार्ड, मकान, भी नही है । मेरे पास ही रहती है । और मेरे राशन कार्ड में भी इसका नाम जुड़ा हुआ नही है । और अलग से भी नही बन रहा है । इस कारण इसको राशन सामग्री भी नही मिलती है । मेरी बेटी को इसके पति ने छोड़ रखा है ।

तब से ही मेरे साथ ही रहती है । उन्होंने बताया कि कॉलोनी में सब के पास मकान है । मगर मुझे आज तक भी किसी भी योजना के तहत आवास नही मिला है । घास फूस की टापरी बनाकर उसमें ही रहता हूँ । उसने बताया कि मेरी बेटी को पेंशन भी नही मिलती है । अगर जॉब कार्ड बन जाये तो मनरेगा में ही रोजगार मिल जाये मगर पंचायत ने भी अभी तक जॉब कार्ड तक नही बनाया है । श्रवण सहरिया आज भी सरकारी सुविधाओं का मोहताज है । जीवन के 65 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इसको सरकारी आवास नही मिला है ।

टापरी में अंदर जाने के नीचे बैठकर जाना पड़ता है । सर्दी, गर्मी, बरसात भी इसी टापरी में निकलती है । यही नही और भी कई ऐसे परिवार है जिनके पास रहने के लिए मकान नही है । मगर इनके माता पिता को तो सरकारी आवास की सुविधा मिल चुकी है । इसी तरह इस बस्ती में एक मात्र बंजारा जाति का परिवार निवास करता है । उसको भी आज तक आवास का लाभ नही मिला है । बाबू पुत्र धन्ना बंजारा ने बताया कि वर्षो से टापरी में परिवार के साथ निवास कर रहा हूँ । कई बार आवास की मांग की मगर लाभ नही मिला है ।

फिर भी श्रवण को किसी से कोई शिकायत नही है । रोज मजदूरी के लिए घर से निकल जाता है । और शाम को घर लौटता है । उसको खुद की चिंता नही है । अगर चिंता है तो अपनी बेटी की है । जिसके पास कोई सुविधा नही है ।

उसने एच एम आर सी बारां की टीम को बताया कि मेरी बेटी की पेंशन, राशन कार्ड, जॉब कार्ड, आवास की सुविधा मिल जाये तो इसका जीवन चल जाएगा । नही तो मेरे मरने के बाद इसको दिक्कत का सामना करना पड़ेगा ।

2011 के सर्वे के अनुसार ही लोगो को आवास स्वीकृत हुए है । हो सकता उसमें नाम नही हो । रही बात सुशीला की तो पंचायत सचिव को भेजकर मामले की जानकारी करवाकर इन पीड़ित परिवार की हरसंभव मदद की जावेगी ।

दिनेशचंद्र मिश्रा विकास अधिकारी शाहाबाद ।

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