अतीत से छेड़छाड़ भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

(श्रीओम बन्ना टाइगर फोर्स कर रहा संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का विरोध)

Aqua Y2 Pro_20171014_132847बीकानेर 14 अक्टूबर 2017। श्री ओम बन्ना टाइगर फोर्स के पदाधिकारियों ने कहा है कि वे बीकानेर के सिनेमाघर संचालकों से संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का प्रदर्शन यहां नहीं करने का आग्रह करेंगे। क्योंकि तथाकथित रूप से फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ कर मिथ्या रूप में दर्शकों के सामने लाया जा रहा है जो कि भारत के गौरवशाली अतीत से छेड़छाड़ की श्रेणी में आता है। साथ ही इससे खास वर्ग के भविष्य से खिलवाड़ के कुचक्र रचे जाने का अंदेशा है। शनिवार को व्यास कॉलोनी के गोल मार्केट स्थित फोर्स के कार्यालय में प्रेसवार्ता आयोजित कर संगठन के संगठन मंत्री वीरेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया को फिल्म का विरोध करने के कारण बताए। उन्होंने कहा कि पद्मावती के चरित्र पर आंच लाने वाले दृश्यों एवं कथानक को संगठन और समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। तथाकथित रूप से प्रेम प्रसंग के फिल्मांकन की बात सामने आने से समाज का युवा आक्रोषित है। शेखावत ने बताया कि फिल्म के विरोध स्वरूप समाज और संगठन के युवा दर्शकों से फिल्म नहीं देखने का आग्रह करेंगे। सिनेमाघरों में यदि फिल्म प्रदर्शित की जाएगी तो शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया जाएगा। संगठन की मांग है कि फिल्म के रिलीज होने से पहले इतिहासविज्ञों से सत्यापित करवाया जाए जिससे कि संगठन को तथ्यात्मक फिल्मांकन किए जाने का भरोसा मिले। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए संगठन की महिला इकाई की प्रदेश उपाध्यक्ष आशा भाटी ने कहा कि हमारा विरोध भ्रमित कथानक से है जो कि इतिहास से छेड़छाड़ कहा जा सकता है तथा इससे समाज की युवा पीढ़ी तक गलत संदेश जाता है। यथार्थ फिल्मांकन होगा तो संदेश भी सही तरीके से संप्रेषित होगा। प्रेसवार्ता में संगठन के सूरज भान सिंह, मनोज सुथार, सुरेंद्र सिंह, भानूप्रताप सिंह, रतन सिंह, पुनीत जाखड़, जितेंद्र लखेसर आदि ने अपने संदेश में लोगों से सही कार्य में सहयोग करने की अपील की। साथ ही संगठन ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एवं स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी लोगों का आह्वान किया कि स्वच्छता और बेटियों को मान देने के साथ साथ श्रेष्ठ विचारों को भी सम्मान दें ताकि भविष्य में भी इतिहास और समाज की भावनाओं से खिलवाड़ करने के कथानकों पर फिल्में नहीं बनाई जाएं।

– मोहन थानवी

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