एंटीबायोटिक के दुष्प्रभाव पर जागरूकता कार्यक्रम

सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग मगंसिविविबी में सम्पन्न

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एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग एक वैश्विक समस्या हैं। यह जीवाणुओं में अभी प्रयोग मंे लाई जाने वाली प्रतिजैविक दवाईयों के प्रति उच्च प्रतिरोधकता का कारण हैं। अतः हमें एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करते समय विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। यह संदेश महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग, WHO एवं IIMAR के तत्वाधान में आयोजित जीवाणुओं में एंटीबायोटिक प्रतिरोध जागरूकता कार्यक्रम में दिया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए एस.पी. मेडिकल कॉलेज के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बी.पी.शर्मा ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कई बार दुष्प्रभाव होते हैं। तथा यह मृत्यु का कारण भी बन सकती हैं। कई उदाहरणों की सहायता से उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि हमारे शरीर में वैदिक रीति के अनुसार स्वतः ठीक होने की क्षमता हैं। अतः हमें केवल चिकित्सक के निर्देशानुसार ही एंटीबायोटिक का उपयोग करना चाहिए। इस विषय पर बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कहा कि आज के दौर में केवल प्राकृतिक के अनुरूप जीवन जीने से ही बीमारियों से बचा जा सकता हैं। उन्होंने योग तथा व्यायाम को अपनाकर दवाओं को दूर करने का संदेश दिया। उन्होंने होम्योपैथी एवं आयुर्वेद के उपयोग पर प्रकाश डाला। प्रो. सिंह ने देश व काल के अनुसार जीवन ढालने पर जोर दिया। इससे पूर्व डॉ. गौतम मेघवंशी ने विषय प्रवर्तन करते हुए एंटीबायोटिक के उपयोग से पयवर्जन पर होने वाले दुष्प्रभावों तथा नए जीवाणुओं के उत्पन्न होने के बारे में बताया। विश्वविद्यालय के डीन डॉ. अनिल छंगाणी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें सनातन भारतीय परंपरा के अनुसार दिनचर्या रखनी चाहिए। इस अवसर पर विभाग द्वारा पोस्टर निर्माण सलोग्न प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक, कर्मचारी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहें। डॉ. धर्मेश हरवानी ने सभी आगंतुको, शैक्षणिक/ अशैक्षणिक कर्मचारियो एवं विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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