बीकानेर16/11/17। मिर्गी के रोग का इलाज संभव है, बशर्ते डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार को नियमित लिया जाए और कुछ सावधानियां बरती जाए तो मिर्गी रोगी का जीवन बेहतर हो सकता है। यह कहा सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज एवं पीबीएम अस्पताल के सहायक आचार्य, न्यूरोलोजी विभाग (डी.एम.न्यूरोलोजी) डॉ. जगदीश चंद्र कूकणा ने। वे मिर्गी दिवस के बारे में आयोजित प्रेसवार्ता में आमजन और मिर्गी रोगियों के आसपास जागरुकता पैदा करने का संदेश देते हुए बोले कि मिर्गी रोग से दुनियाभर के लगभग 5 करोड़ व्यक्ति प्रभावित है। मिर्गी भारत समेत विकासशील देशों में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। एक सवाल के जवाब में डॉ कूकणा ने कहा कि मिर्गी के रोगी डॉक्टर द्वारा निर्देशित समय पर अपनी दवा लें, कोई भी दुपहिया वाहन चलाते समय सर पर हेलमेट अवश्य पहनें, महसूस होने वाले किसी भी विपरीत प्रभाव के विषय में डॉक्टर को अवश्य बताएं, हर रोज भरपूर नींद लें, हमेशा अपने साथ पर्याप्त मात्रा में दवा रखें ताकि इसकी कमी न हो फिर चाहे आप यात्रा पर ही क्यों न जाएं, चिकित्सक के पास नियमित जांच के लिए जाएं। इसके अलावा डॉ. कूकणा ने यह भी बताया कि धूम्रपान नहीं करें, अपनी दवा दूसरे व्यक्ति को न देवें, अपने डॉक्टर से पूछे बिना कभी भी दवा लेना बंद न करें।
मस्तिष्क का विकार है मिर्गी :-
मिर्गी आज कोई खोजी गई स्थिति नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क का एक ऐसा जाना-पहचाना विकार है, जो सदियों से प्रचलित है, मिर्गी के लक्षणों एवं कारणों के विषय में लगभग तीन हजार वर्ष पहले ही काफी लिखा जा चुका है, उस समय लोग मिर्गी को एक बुरी आत्मा का प्रकोप मानते थे, आज हम सब जानते हैं कि मिर्गी एक बहुत ही सामान्य चिकित्सकीय स्थिति है। डॉ. कूकणा ने बताया कि हमारा मस्तिष्क शरीर का एकय ऐसा जटिल अंग है जो कई तरह की विशिष्ट कोशिकाओं से बना है, ये मस्तिष्क कोशिकाएं विद्युतीय गतिविधियां संचालित करती है जो कि एक सामान्य पैटर्न में होती है और मस्तिष्क तथा शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली के लिए भी ये जिम्मेदार होती है, मिर्गी मस्तिष्क कोशिकाओं सम्बन्धी विकार है, जिसमें अचानक जरुरत से ज्यादा विद्युतीय गतिविधि के कारण, व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन होने लगता है। इस अवसर पर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव महेश सेवग भी मौजूद थे।
– मोहन थानवी