राजुवास में 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण

वैज्ञानिकों द्वारा राजुवास के कोड़मदेसर, चांदन केन्द्र और अश्व अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण

zzबीकानेर, 16 नवम्बर। वेटरनरी विश्वविद्यालय में चल रहे शीतकालीन प्रशिक्षण के 18वें दिन देश भर से आए 25 वैज्ञानिक-विशेषज्ञों नें गुरूवार को पशुधन अनुसंधान केन्द्र, कोड़मदेसर का भ्रमण किया। वैज्ञानिकों ने देशी गौवंश की कांकरेज और साहीवाल नस्लों के संवर्द्धन, प्रजनन और वैज्ञानिक पालन के तौर तरीकों की जानकारी ली। केन्द्र पर सेवण घास उत्पादन और नहरी पानी की डिग्गियों से फव्वारा सिंचाई कार्यों का जायजा लिया। राजुवास के छात्र कल्याण अधिष्ठाता एवं प्रशिक्षण के निदेशक प्रो. एस.सी. गोस्वामी ने बताया कि देशी पशुओं की नस्लों के संरक्षण और संवर्द्धन पर 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में गत रविवार को वैज्ञानिकों के दल ने पशुधन अनुसंधान केन्द्र, चांदन (जैसलमेर) का भ्रमण किया। वहां थारपारकर गौ नस्ल संवर्द्धन, चारा उत्पादन कार्यों को देखा और इस केन्द्र पर देशी बकरी पालन के बारे में जानकारी ली। बुधवार को संभागियों ने राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र का भ्रमण कर अश्व प्रजनन के लिए वीर्य संकलन और अन्य वैज्ञानिकों उपायों की जानकारी लेकर कार्यों को देखा। इससे पूर्व शीतकालीन प्रशिक्षण में वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. त्रिभुवन शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों के साथ देशी गौवंश के महत्व और संवर्द्धन उपायों पर चर्चा की। राजुवास के प्रो. हेमन्त दाधीच ने फोरेन्सिक नेक्रोस्कोपी प्रोटोकॉल पर, प्रो. जी.एन. पुरोहित ने देशी गौवंश की प्रजनन क्षमताओं और अश्व अनुसंधान केन्द्र के टी.के. राव ने अश्वों में अनुसंधान उपायों व डॉ. सी.के. मुरड़िया ने बकरी पालन पर व्याख्यान प्रस्तुत किए।
समन्वयक
जनसम्पर्क प्रकोष्ठ

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