बीकानेर (जयनारायण बिस्सा)। लालफीताशाही शासन प्रशासन पर किस कदर हावी है। इसका अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट को ही गायब कर दिया। जब शिकायकर्ता ने इसकी जानकारी अधिकारियों से चाही तो अधिकारी इसका जबाब देने से बचते नजर आये। इतना ही नहीं आरटीआई में भी इसकी जानकारी उपलब्ध करवाने से अधिकारी बच रहे है। मामला बीक मपुर क्षेत्र में डिग्गी निर्माण के पेटे वहां कार्यरत कृषि अधिकारी प्रेमसिंह पर करोड़ों का गबन करने का बताया जा रहा है। जिसकी जांच के लिये सिचिंत क्षेत्र विकास इंगानप के उपनिदेशक कृषि विस्तार ने तीन सदस्यों की जांच कमेटी बनाई। इस कमेटी के सदस्य जिला विस्तार अधिकारी बज्जू दलबीर सिंह,सहायक कृषि अधिकारी तेजपात ाारद्वाज व कृषि पर्यवेक्षक दिलीप सिंह भाटी ने अपनी जांच रिपोर्ट नवबर में ही सौंप दी थी। लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी परिवादी को इस जांच रिपोर्ट की न तो जानकारी दी जा रही है और न ही सूचना के अधिकार में उसे इस बारे में अवगत करवाया जा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि गंगाशहर क्षेत्र निवासी मनफूलसिंह जाखड़ द्वारा फर्जी तरीके से डिग्गी निर्माण कर करोड़ों के गबन की जो शिकायत की थी। उस पर पर्दा डालने के लिये अधिकारी जानकारी देने से बच रहे है। इससे ऐसा लगता है कि शिकायतकर्ता की शिकायत काफी हद तक सही प्रतीत हो रही है।
प्राारी मंत्री को ाी नहीं है जानकारी
मजे की बात ये है कि इस करोड़ों रूपये के घोटाले की जानकारी प्रभारी मंत्री डॉ रामप्रताप तक को नहीं है। ये इस बात को स्पष्ट करता है कि बीकमपुर में डिग्गी निर्माण को लेकर हुए इतने बड़े घोटाले की भनक प्रभारी मंत्री को संबंधित विभाग के आलाधिकारियों तक ने नहीं लगने दी।
मंत्री और अधिकारी अनजान,पर आरटीआई कर रही हैरान
हालात ये है कि इस मामले को लेकर जहां अधिकारी दोहरे मापदंड को अपना रहे है। एक ओर तो वे पूरे मामले को ही झूठा बताकर शिकायतकर्ता को ब्लैकमेलर कर रहे है,वहीं दूसरी ओर जयपुर स्थित विभागीय कार्यालय में जांच चलने की बात कह रहे है। इधर प्रभारी मंत्री भी इस प्रकरण को लेकर अपनी अनिाज्ञता जता रहे है और मीडिया को ही इससे संबंधित दस्तावेज उलब्ध करवाने को कह रहे है। ऐसे में सही किसे माने। जबकि आरटीआई में दी गई जानकारी में बीकमपुर में इस प्रकार के घोटाले की बू आ रही है।
पुलिस भी कर चुकी है तहकीकात
पुलिस ने शिकायत के बाद जब इसकी जांच की तो शिकायत की पुष्टि सही पाई गई। जबकि विभाग के नोडल अधिकारी जे एस संधू को ाी इस मामले में भ्रमित किया जा रहा है। उनके द्वारा भेजे गये जांच दल को अधिकारियों ने गलत जगह का अवलोकन करवा कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की जुगत में लगे हुए है।
ये है पूरा मामला
बीकानेर जिले बीकमपुर क्षेत्र में प्रकाश में आया है। सूचना के अधिकार के तहत बीकानेर के गंगाशहर क्षेत्र निवासी मनफूलसिंह जाखड़ ने जब कार्यालय संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार बीकानेर खंड से सूचना मांगी तो प्राप्त सूचना के आधार पर पता चला कि बीकमपुर क्षेत्र में डिग्गी निर्माण के पेटे वहां कार्यरत कृषि अधिकारी प्रेमसिंह ने करोड़ों का गबन कर अनुदान पर बनने वाली डिग्गीयों का निर्माण सिर्फ कागजों में ही करवाया है। जाखड़ ने आरएसीपी योजना के तहत वर्ष 2016-17 में बीकमपुर क्षेत्र में अनुदान पर बनी 305 डिग्गीयों में से करीब 100 डिग्गीयों का निर्माण कागजों मेंं होने की जांच करवाने व बिना डिग्गीयों के निर्माण हुए भुगतान कर दिए जाने की जांच करवाने के लिए सूचना मांगी थी। जाखड़ ने बताया कि ऐसे दर्जनों उदाहरण सामने आए जहां पहले से ही डिग्गी निर्माण हो चुका था लेकिन कागजों में दोबारा उन्हीं स्थानों पर डिग्गी निर्माण दिखाकर लाखों रुपए का भुगतान राज्य कोष से उठा लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीकमपुर में कार्यरत कृषि अधिकारी प्रेमसिंह द्वारा फर्जी तरीके से इन डिग्गीयों के किए गए सत्यापन की प्रतियां यह साफ दर्शाती है कि एक ही व्यक्ति दोबारा डिग्गी स्वीकृत करवाकर उसका भुगतान उठा लिया गया। ज्ञात रहे कि एक डिग्गी की अनुमानित निर्माण लागत 3 लाख रुपए होती है। इस प्रकार लगभग 100 डिग्गीयों का फर्जी तरीके से भुगतान उठाकर उक्त कृषि अधिकारी प्रेमसिंह ने सरकारी खजाने में से लगभग 3 करोड़ रुपए का गबन किया है तथा अन्य योजना में 48 डिग्गीयों का भी निर्माण सिर्फ कागजों में ही करवाकर गलत तरीके से भुगतान उठा लिया गया। इस प्रकार लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपए का गबन किया गया। सूचना मांगने वाले आरटीआई कार्यकर्ता मनफूलसिंह जाखड़ ने बताया कि उन्होंने इस सारे प्रकरण की पूरी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेज दी है।
आरटीआई कार्यकर्ता मनफूलसिंह जाखड़ के अनुसार इस प्रकार फर्जी तरीके से उठाया भुगतान
केस-1:बीकमपुर के चक 12 केडब्ल्यूडी के भंवराराम पुत्र लालूराम विश्नोई के मुरब्बा नं 207/2 में दिनांक 14 अगस्त 2014 की लिस्ट क्रमांक 501 के अनुसार डिग्गी निर्माण हो चुका है जबकि इसी स्थान पर आरएसीपी योजना के तहत वर्ष 2016-17 में फिर से डिग्गी निर्माण स्वीकृत हुआ और भुगतान भी हो चुका।
केस-2 : बीकमपुर के चक 18 केडब्ल्यूडी में कोजाराम पुत्र जौराराम विश्नोई को 30 मार्च 2012 में ही लिस्ट क्रमांक 17 के अनुसार डिग्गी स्वीकृत हो चुकी है जबकि इस व्यक्ति को दोबारा वर्ष 2016-17 में आरएसीपी योजना के तहत पुन: डिग्गी स्वीकृत करवाकर भुगतान भी कवाया जा चुका है।
ये दो ही नहीं ऐसे सैंकड़ों उदाहरण सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में सामने आए हैं। जिनका अवलोकन करने पर पता चलता है कि किस प्रकार एक कृषि अधिकारी ने अपने ही विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर सरकारी राजस्व को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है और सरकारी कोष का गबन किया है। मामले का खुलासा होने पर इंगानप विभाग में हडक़ंप मच गया है। विभाग के आला अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।