प्रशासन शहरों के संग अभियान पर लगा सवालिया निशान

सुदर्शन नगर के वाशिंदों को नहीं मिल रहे है पट्टे
मूलचंद पेसवानी/शाहपुरा/स्थानीय कोठी आहता क्षेत्र में स्थित सुदर्शन नगर द्वितीय के वाशिंदों को प्रशासन शहरों के संग अभियान का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इस क्षेत्र के २० भूखंड धारियों को लाख जतन के बाद भी पट्टे नहीं मिल रहे है।
भूखंड धारक अपनी भूमि को गेरमुमकिन आहता बता रहे है तो नगर पालिका इस भूमि को खातेदारी की जमीन बता रही है। स्टेट ग्रांट एक्ट के तहत पट्टों के लिए लगायी गयी पत्रावली कभी एसडीओ आफिस जाती है तो कभी लौटकर नगर पालिका में। लोटा फैरी में अभियान का समय निकलता जा रहा है। भूखंड धारकों ने इस संबंध में स्थानीय स्तर पर फैसला न होने पर ६ जनवरी को बैठक करके हाइकोर्ट की शरण लेने का निर्णय किया है। उधर नगर पालिका ईओ ने इस प्रकरण को अपनी रिपोर्ट के साथ उपखंड अधिकारी के यहां मार्गदर्शन के लिए भेज दिया है।
सुदर्शन नगर द्वितीय कोठी आहता क्षेत्र का एक भाग है। इस भू भाग में राजपरिवार ने भूखंड काट कर उसका विक्रय जरिये पंजीकृत विक्रय पत्र के कर दिया गया। पंजीकृत पत्र में भी कोठी आहता आबादी क्षेत्र में बताया गया है। परंतु नगर पालिका अब तक इस भाग को आबादी क्षेत्र में न मानकर कृषि भूमि ही मान रही है। नगर पालिका का तर्क है कि जिस क्षेत्र में भूखंड है वो आराजी खसरा संख्या आज भी राजस्व रिकार्ड में राजपरिवार व अन्य खातेदार के नाम पर दर्ज है। जबकि भूखंड धारकों का कहना है कि इस भूमि पर आज तक न तो भू राजस्व निर्धारित हुआ है तथा न ही किसी भी प्रकार का लगान लिया गया है।
इस क्षेत्र के भूखंड धारक गोपाल पंचोली ने बताया कि अहाता कोठी में जो भूखंड उसके विक्रेता ओमप्रकाश पुत्र मूलजी व दिलीपचंद पुत्र नानू खटीक निवासी शाहपुरा से क्रय किया था। यह भूखंड आबादी क्षेत्र में नहीं होता तो अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति से उनके नाम पर रजिस्टरी कैसे होती।  तत्त्कालीन तहसीलदार ने जिला कलेक्टर के मार्ग दर्शन के बाद ही पंजीयन किया था। पंजीयन आबादी क्षेत्र की भूमि का किया गया तो आज वो भूमि कृषि की कैसे हो सकती है। सुदर्शन नगर द्वितीय के चारों ओर रियासतकाल से परकोटा बना है जो आज भी विद्यमान है।
सुदर्शन नगर प्रथम में भी तो दिये पट्टे
सुदर्शन नगर प्रथम आहता कोठी क्षेत्र में स्थित करीब १०० भूखंड जिनको राजपरिवार ने सेटेलाइट चिकित्सालय के विकास के लिए राज्य सरकार को सशर्त दान कर दिये थे। उनको निलामी के जरिये उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता वाली नजूल कमेटी खुली निलामी के जरिये विक्रय कर रही है। अब तक बिके भूखंडों की रजिस्टरी व बापी पट्टा बनाने का काम उपखंड अधिकारी द्वारा आबादी भूमि होने से किया गया है।

इनका कहना है
प्रकरण की भूमि के संबंध में तथ्यात्मक विवरण के साथ उपखंड अधिकारी को प्रेषित किया है। आवेदक बिना शुल्क पट्टा चाहते है। उप शासन सचिव व जिला कलेक्टर से मिले निर्देश व परिपत्र के अनुसार इन भूखंडों  का निस्तारण धारा ९० क(८) के तहत शुल्क जमा कराने के बाद हो सकता है।
-राजाराम कुंभकार
अधिशाषी अधिकारी, नगर पालिका, शाहपुरा
सुदर्शन नगर द्वितीय के भूखंड की भूमि आज भी राजपरिवार के सदस्यों व अन्य खातेदार के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज है। इन भूखंडों का पट्टा धारा ९० ए में शुल्क जमा कराने के बाद दिया जाना संभव है।
-रघुनंदन सोनी
अध्यक्ष, नगर पालिका, शाहपुरा
हमने भूखंड का क्रय अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति से किया। अगर यह भूमि कृषि की होती तो पंजीयन हीं नहीं होता। विक्रय के समय इस भूमि को आबादी की माना तभी भूखंड का पंजीयन तहसीलदार के यहां से संभव हो पाया। उस समय आबादी माना गया तो आज क्यों नहीं कोठी आहता गेर मुमकिन को आबादी माना जा रहा है।
-गोपाल पंचोली
भूखंड स्वामी, सुदर्शन नगर, शाहपुरा

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