शिक्षा को मिले 300 करोड़, खर्च किये 35 करोड़

schoolबीकानेर । राज्य सरकार ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के तहत पिछले चार साल में मिली 300 करोड़ रूपये से अधिक की राशि में केवल 35 करोड़ रूपये ही खर्च किये हैं। अगर इस राशि का पूर्ण उपयोग किया गया होता तो राज्य के स्कूल सुविधाओं को बढ़ाया जा सकता था।

इस बात खुलासा रमसा संयुक्त समीक्षा मिशन (केन्द्र सरकार के अधिकारियों और विकास पार्टनर्स इंटरनेशनल तथा यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि) की समीक्षा में सामने आई है। 14 से 28 जनवरी 2013 तक आंध्र प्रदेश, मिजोरम, उड़ीसा, पंजाब और राजस्थान के राज्यों में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के काम की समीक्षा की गई थी।

इस समीक्षा में राज्य सरकार को कार्यान्वयन में सुधार की नसीहत दी गई है। साथ ही योजना बनाने, कार्यान्वयन तथा इस पर निगरानी किस तरह रखी जाए यह सिखाने के लिए कार्यशालाएं भी की जा रही हैं।

राज्य में चल रही केंद्र सरकार की रमसा योजना में विश्वबैंक, डिपार्टमेंट ऑफ इन्टरनेशनल डवलपमेंट (डीएफआईडी) व यूरोपीय यूनियन (ईयू) भागीदार हैं। चार साल पहले 2009-10 में प्रस्ताव मांगे जाने वर राजस्थान सराकार ने तत्परता दिखाई, लेकिन जब प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद पैसा जारी हो लगा तो इसके इस्तेमाल में राज्य सरकार विफल रही। इतना ही नहीं चार में से दो साल में तो राज्य सरकार एक पैसा भी उपयोग नहीं कर पाई।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर के सरकारी विद्यालयों में कक्षों का निर्माण, पुस्तकालयों की स्थापना, विज्ञान प्रयोगशाला बनाना सहित अन्य ढांचागत विकास कार्य करवाए जाते हैं। वहीं, माध्यमिक शिक्षा विभाग का कहना है कि रमसा के तहत मिलने वाली बजट राशि बहुत देर से मिलती है।

error: Content is protected !!