महाराजा अग्रसेन

agrasenमहाराजा अग्रसेन अहिंसा और शांतिदूत के प्रतीक के रूप में जाने जाते है, महाराजा अग्रसेन त्याग, करुणा, अहिंसा, शांति और समृद्धि के लिए  जाने जाते है. वे एक सच्चे समाजवादी  विचार धारा वाले सम्राट थे. वे एक अवतारी युग पुरुष थे. अग्रवंशके प्रमुख महाराजा अग्रसेन जी राजा वल्लभ सेन, प्रताप नगर के सुपुत्र थे ( राजा बल्लभ एक सूर्यवंशी ) राजा थे. ऐसा कहा जाता है की महाराजा अग्रसेन भगवान रामके पुत्र कुश की 34 व़ी generation के थे. 15 वर्ष की उम्र मे  ही उन्होंने ने पांडवो की तरफ से महाभारत की लडाई मे भाग लिया था.कहते है की भगवान कृष्ण ने कहा था की अग्रसेन एक युग पुरुष होंगे

महाराजा अग्रसेन का जन्म आज से लगभग 5190 वर्ष पूर्व हुआ । पिता की मृत्यु के उपरान्त इन्होने अग्रोहा जिला हिसार , (हरियाणा )मे अपने गणराज्य की स्थापना की । इनके 18 विवाह हुए, जिनसे इनके 54 पुत्र तथा 18 पुत्रियाँ हुई ।

राजकुमार अग्रसेन , अपने बाल्यकाल से ही दया, करुणा  एवसहनशीलता की प्रति मूर्ति थे. वह कभी किसी के खिलाफ भेदभाव नहीं रखते थे, और बिना भेदभाव के पूर्ण अध्ययन करने के बाद  ही न्याय  किया करते थे.

विवाह
 युवा अग्रसेन ने  राजा नागराज की राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में भाग लिया, इस स्वयंवर मे उनके साथ दुनिया भर से कई राजाओं के साथ साथ स्वर्ग के सम्राटर इंद्र देव ने भी भाग लिया था. स्वयंवर में राजकुमारी माधवी ने राजकुमार अग्रसेन का चयन किया है. यह शादी दो अलग अलग परिवार  एव दो भिन्न भिन्न संस्कृतियों के मध्य संपन्न हुई, ऐसा इसी लिए हुआ क्यों की राजकुमार अग्रसेन एक सूर्यवंशी थे और राजकुमारी माधवी एक नागवंशी थी. इंद्र देवता राजकुमारी माधवी की सुंदरता पर आकर्षित थे. और उन्होंने स्वयंवर जीत कर माधवी से शादी करने की योजना बनाई थी. जब राजकुमारी माधवी का विवाह अग्रसेनजी से हुआ तब इंद्र देवता बहुत क्रोधित हुए, और इंद्र देवता ने प्रताप नगर पर वर्षा होने पर रोक लगा दी. जिससे प्रताप नगर में भयानक अकाल पड़ा और हजारों लोगो की जान  चली गई. सम्राट अग्रसेन ने अपनी प्रजा की सुरक्षा के लिए इंद्र के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया, और क्योंकि वे धर्म के पक्ष मे थे,सम्राट अग्रसेन की सेना ने इंद्रकी सेना को परास्त कर दिया. और इस स्तिथि में नारद मुनि ने दोनो के बीच मे मध्यस्थता की और शांति वार्ता करवाकर उनमे सुलह करवाई.
भगवान शिव और माता लक्ष्मी की तपस्या
अग्रसेन महाराज ने काशी जाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की, तपस्यासे खुश हो कर भगवानब शिव जी प्रगट हुए,और उन्होंने अग्रसेन महाराज को महालक्ष्मीजी की पूजा और ध्यान करने का आदेश दिया.अग्रसेन महाराज ने महालक्ष्मी की आराधना शुरू करदी, महालक्ष्मी प्रसन्न हुई और उन्हे दर्शन दिए. महालक्ष्मी ने प्रसन होकर उन्हें क्षत्र्यी धर्म को त्याग कर वैश्य धर्म अपनाने को कहा और यह आशिर्वाद भी दिया की वह सदेव उनके एवं उनके परिजनों के साथ ही रहेगी. लक्ष्मी माता का आदेश मान कर अग्रसेन महाराज ने क्षत्रियकुल को त्याग वैश्य धर्म को अपनाया. वे पहले वैश्य सम्राट बने.

अग्रोहा शहर का जन्म

देवी महालक्ष्मी के आशीर्वाद के साथ राजा अग्रसेन ने नए राज्य  की स्तापना हेतु रानी माधवी के साथ भारत  का भ्रमण किया, अपनी यात्रा के दौरान वे एक जगह रुके जहाँ उन्होंने देखा के कुछ शेर और भेडीये के बच्चे साथ-साथ खेल रहे थे. राजा अग्रसेन ने रानी माधवी से कहा के ये बहुत ही शुभ संकेत है. यह क्षेत्र वीरभूमि है. और फिर राजा अग्रसेन ने उस भूमी को अग्रोहा का नामदिया ओर उसे अपनी कर्म भूमी बनाया, एव उस स्थान पर अपना राज्य बनाने का फैसला किया. आगे चल कर महाराजा अग्रसेन का अग्रोहा कृषि और व्यापार का प्रसीद्ध केन्द्र बन कर निखरा ओर समृद्ध शक्ती शाली देश बन गया.

अग्रोहाएक सच्चा लोक तंत्र देश था, जहाँ पर हर नागरिक देश निर्माण मे अपनी भागेदारी रखता था. हर नये नागरिक को पुराने नागरिक एक-एक ईट एव एक रुपये का योगदान देकर उसे अपना स्वंत्र व्यपार करने का अवसर देते थे. यही से सही समाजवाद की बुनियाद बनी है.

समाजवाद एव श्रेष्ठ व्यवस्था के तहत, अग्रोहा बहुत अच्छी तरह से समृद्ध औरनिखरा हुआ राज्य बन गया. वर्तमान मे कुछ मुट्ठी भर लोग समाज पर नियत्रण रखना चाहते हैजिसकी वजह से साधारण अग्र जनों की भागेदारी नहीं हो पाती है. समाज को इस पर विचारकरना होगा  महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में सिंहासन के लिए अपने ज्येष्ठ पुत्र”विभु” को चुना और वे वानप्रस्थ आश्रम ले कर वन में चले गए.

अग्रोहा की समृद्धि, से पड़ोसी राजाओं को असंतोष होने लगा. और कई बार अग्रोहापर अचानक हमला भी हो जाता. इन युद्धों के कारण अग्रोहा को कई समस्याओ का सामना भी करना पड़ा. सभी पडोसी राज्यों के अग्रोहा पर आक्रमण करने के  कारण अग्रोहा की ताकत कम होती गई. . एक बार अग्रोहा बड़ी आग में घीर गया. आग की वजह से वहां के नागरिक शहर छोड़ कर चले गए. और भारत के दुसरे क्षेत्रोंमें जाकर बस गए. आज वही लोग “अग्रवाल” के नाम से प्रसिद्ध है, आज भी अग्रवालों के 18 गोत्रो (गर्ग,तायल,कुच्चल,गोयन,भंदेल,मंगल,मित्तल,बंसल,बिंदल,कंसल,नागल, सिंघल, गोयल,तिंगल,जिन्दल,धारण,मधुकुल, एरेन ) वाले अगर्वंशी भारत देश मै ही नहीं  किन्तु सारे विश्व में  अपनी प्रतिभा के लिए जाने जाते है. वे सब महाराज अग्रसेन की नीतियों पर चलते है. महाराज अग्रसेन की tनीती का अनुशरण कर आज भी समस्त अग्रवाल सामाजिक सेवा,आर्थिक, शीक्षा,उद्योग, राजकीय सेवा आदि के क्षेत्र में सबसे अग्रणी हैं.

महाराज अग्रसेन ने यज्ञों मे पशु बली (वध ) का विरोध किया 
महाराज अग्रसेन ने अपने लोगों की समृधिके लिए कई यज्ञों (बलिदान) का आयोजन किया. उन दिनों में यज्ञ का आयोजन समृद्धि काप्रतीक होता था. ऐसे ही एक यज्ञ के दौरान महाराज अग्रसेन ने देखा की एक घोडा यज्ञकी वेदी पर बलि के लिए लाया गया, परघोडा खुद वेदी से दूर जाने की ओर भागने की कोशिश कर रहा था. इस दृश्य को देख करमहाराज अग्रसेन का दिल दया से भर गया. और उन्होंने सोचा के ये कैसा यज्ञ हैजिसके लिए हम मूक जानवरों की बलि चढ़ाते है? और इसी समय महाराज अग्रसेन के मन मेअहिंसा का विचार आया. उन्होंने इस बात पर अपने मंत्रियों के साथ विचार – विमर्शकिया. पर जब मंत्रियों ने कहा के इस विचार से आस पास के राज्य हमें कमजोरसमझेंगे, और अग्रोहा को कमजोर मान कर आक्रमण भी कर सकते है.इस के उत्तर मेमहाराज अग्रसेन ने उल्लेख किया है कि अहिंसा और न्याय कभी भी कमजोरी नहीं होती हैबल्कि एक दुसरे के प्रति प्रेम और अपनापन जगाती है. उसके बाद महाराजा अग्रसेन ने घोषणा की है कि उनके राज्य मे कभी भी कोई हिंसा ओर जानवरों की हत्या नहीं होगी. महाराज अग्रसेन ने 18 महायज्ञ का आयोजन किया. और अपने राज्यको 18 पुत्रो मई विभाजित कर दिया.और गुरुओं के आदेश पर 18गोत्रोका निर्माण किया( जिनका उल्लेख पूर्व मे किया जा चुका हैं). अग्रोहा की समृद्धि से पड़ोसी राजाओं मे असंतोष  एव  जलन होने ल लगी. और कई बार  अग्रोहा पर अचानक हमला भी हो जाते थे. इन युद्धों के कारण अग्रोहा को कई समस्याओ का सामना भी करना पड़ा. सभी पडोसी राज्यों के  द्वारा अग्रोहा पर आक्रमण करने के कारण अग्रोहा की ताकत को कम होती गई..

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

महाराजा अग्रसेन ने अपने विशाल परिवार को हमेशा एकता के सूत्र मे बाधे रखा.वे एक महान मेनेजमेंट गुरु थे. हम सभी अग्रवाल जन को ही नहीं किन्तु सभी वर्गों को महाराजा अग्रसेन के जीवन को आदर्शएव रोल मॉडल बनाना चाहिए. अपनी अदभुत प्रतिभा एव श्रेष्ट मेनेजमेंट स्किल की वजय से सभी अग्रवाल देश- विदेश मे शक्तिवान, धनवान, संस्कारित,उच्च इन्सान के रूप मे जाने जाते है, देश सेवा मे हमारे योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.  अग्रवालो को अपने  अतीत, वर्तमान और भवीशय पर  गौरव  होना चाहिए. महाराजा अग्रसेन ओर माता माधवी ने अपने पुत्रों को श्रेष्ठ संस्कार प्रदान किये थे. माता माधवी के समान सभी माता  बहनों को चाहिए की वे अपने बच्चो-भाई बहनों को उच्च संस्कार देकर श्रेष्ट इन्सान बनाये.

संकलनकर्ता डा. जे. के. गर्ग—डा. श्रीमती विनोद गर्ग

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