चेतना के स्तर को बढ़ाने के प्रभावकारी तरीके

जुड़ें अपनी चेतना के साथ(Connect yourself with your Consciousness)———

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
क्या आपको कभी ऐसा लगता है कि आपकी बाहरी गतिविधियां एवं जैसा आप अपने वर्तमान समय में कर रहें हैंआप उससे कहीं ज्यादा करने का सामर्थ्य रखते हैं?
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपके भीतर अनन्त प्रकाशमयी महान शक्ति (उर्जा) मौजूद है?
क्या आपको अपने वर्तमान जीवन के उद्देश्यों को देखकर यह आभास होता है कि आपके इस मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य इससे बहुत ज्यादा गहरा और विशिष्ट हैं?
अगर इन सवालों के जवाब हां में हैं,तो आप अवश्य ही अपनी चेतना को समझने के मार्ग पर निकल चुके हैं ।
1.अपनेआपकोमाफ़ करेंऔरदूसरोंकोभीमाफकरें(Forgive you as well as forgive others too) ——
अगर आप अपनेअतीत के बोझ को साथ लेकर चलेगें तो आपको अपने जीवन में आगे बढ़ने में तकलीफ ही होगी। जीवन मे आगे बढने का एक ही सर्वश्रेस्ट तरीका है और वो है‘गलतियों के लिए अपने आपको और दूसरे लोगों को सच्चे दिल से माफ कर दें‘। माफ कीजिए और अपने आपको भार मुक्त करके अपनी खुद की चेतना से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त कीजिये ।
2.आत्म-मूल्यांकनकरें(Do self introspection&Self Evaluation)
जब भी आप किन्हीं गलत आदतों या गतिविधियों में लिप्त हों जायें या अपने आप में नकारात्मक ऊर्जा (जैसे कि क्रोध,शक,चिंता,तनाव,निराशा,परनिंदा . व्यर्थ की आलोचना एवंनाराजगी आदि ) को महसूस करें,तो उन बातों को एक कागज अथवा डायरी में लिख लें,उन आदतों की एक सूची बनाएं जो आपको खुद को सबसे ज्यादा बुरी लगती हैं । आप अपनी इन कमजोरियों पर एक एक करके उन पर विचार करें और उनका हल ढूढने की कोशिश करें एवं कोशिश कर अपनी इन बुरी आदतों से पार पाएं। अपने मन मे विश्वास रक्खें कि पक्के इरादे,दृढ़ संकल्प और एकाग्रता से आप अपनी किसी भी आदत से छुटकारा पा सकते हैं। ऐसा करने से आप अपने आपको बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।ध्यान रक्खें कि चेतना से जुड़ने का सबसे आसान तरीका है अपने आप को जानना ।

3.अपने आपको सीमित न करें(Do Not Limit Yourself)
यह देखा गया है कि हम अपने जीवन अथवा दिनचर्या में अपनी कुछ सोच (विश्वास) या Faith को चुन लेते हैं तब हम अपने आपको उन्हीं विश्वासों या faith तक सीमित कर लेते हैं । ऐसा करने से हम अपने आपको उन कार्यो को सम्प्पन करने से रोक लेते हैं जो हम कर सकते थे । हमारे चुने हुए विश्वास हमें दर्द और दुख भी दे सकते हैं । अत: हमें उन विश्वासों को खोजना या ढूढना चाहिए जो वाकई हमसें जुड़े हुए हैं या जिनसे जुड़ कर आप आत्म संतुष्टि या खुशी महसूस करते हैं ।अपने दिमाग और सोच को खुला रखें।याद रखें अपने आपको सीमित करने से आप अपनी ही चेतना से जुड़ने में बाधा डाल रहे हैं।

4.सकारात्मकबलबढ़ाएं(Increase YourPositivism)
आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले लोगों के पास सकारात्मकता(Positivism)का होना जरूरी है । हर रोज अपनेसकारात्मक बल पर ध्यान केन्द्र्दित करें,प्रति दिन एवं प्रति पल अपने आपको विश्वास दिलाते रहें कि आप जो भी कर रहे हैं वो आपकी आध्यात्मिक प्रगति एवं आपकी चेतना को परिष्क्र्त करने के लिए जरूरी है। हमेशा उन लोगों के साथ रहने का प्रयास करें जिनकी सोच सकारात्मक हो तथा नकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से सदेव दूरी बनायें | सकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों को अर्जित करने में मदद करेगी|सभी से सदभाव बनायें, खुद खुश रहें,अन्य लोगों को भी खुश रखने का प्रयत्न करें। दूसरों की मदद करें, ऐसा करने से आपका सकारात्मक बल बढ़ेगा । विश्वास रक्खें किसकारात्मकता आपको आपकी स्वयं की उच्च चेतना के साथ जोड़ने में मदद करती है ।
5.सबके प्रति कृतज्ञ रहें( Express Your Gratitude to others )
क्या आपने कभीअपने ही आंगन में खिलखिलाते एवं महकते हुए मनमोहक फूलों को धन्यवाद दिया है ? यही खिलखिलाते फूल हर सुबह आप में खुशीयों के विभिन्न रगं भरते है?अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो निश्च्च्य ही आप कृतज्ञ होना नहीं जानते हैं । अत: अपने रोजमर्रा के जीवन में उन सबके प्रति कृतज्ञ रहें जो आपके जीवन को प्रसन्न,सुखमय बनाते हैं। प्रक्रति की छटा-खूबसूरती,मनलुभावन खूबसूरत फूल–पौधें,सूर्य का प्रकाश, अपने बच्चे के चेहरे की मुस्कुराहट,आपके जीवनसाथी की सात्विकता और आपकी अच्छी सेहत के लिये परमात्मा के कृतज्ञ बने । आप किसी भी सजीव और निर्जीव वस्तु के प्रति कृतज्ञ हो सकते हैं,जिसने कभी भी आपको आपके जीवन में खुशी प्रदान की है। नियमित तौर पर ऐसा कीजिए और फिर इसके सकारात्मक एवं सुखद परिणामों का आनन्द लीजिये |निसंदेहकृतज्ञता की भावना चेतना का दरवाजा खोलती है।
6.सदभावना (सामंजस्य) बनाए रखें( Be Good to Everyone )
सदभावना सिर्फ एक बाह्य अभिव्यक्ति नहीं है। सदभावना एक आंतरिक गुण है जो कि व्यक्ति विशेष के ह्रदय से उत्पन्न होती है। अपनी चेतना को जगाने और आध्यात्मिकता के सच्चे मार्ग के लिए सदभावना बहुत जरूरी है।जितना संभव हो अपने दिल को सदभावना के लिए खोल दें। जब आप सदभावना बनाए रखेंगे तो आपके और आपसे जुड़ेसमस्त लोगों के जीवन में वास्तविक शांति स्थापित होगी।याद रक्खें शांति की स्थिति में ही चेतना से जुड़ना संभव है।
7.वर्तमान को जियें(Live In Present )
अतीत (भूतकाल) में नहीं जिये, अतीत को भूलना सीखें और भविष्य को ध्यान में तो रक्खें किन्तु भविष्य की व्यर्थ में चिंता भी नही करें । भविष्य की व्यर्थ में चिन्ता करने से आप अपने वर्तमान से दूर होते चले जायेगें । हमेशा यह बात याद रक्खें कि शांति और सुख सिर्फ आज यानि वर्तमान में ही है|ज्यादातर दुख हमें इसलिए होते हैं क्योंकि हम अपने आज में नहीं जीते । वर्तमान में ही आपकी शक्ति मौजूद है। यह महत्वपूर्ण बात याद रक्खें किआप अपनी चेतना से तभी जुड़ सकते हैं जब आप अपने वर्तमान में जी रहे हों ।
8.ध्यान (Mediation)——
निसंदेह चेतना के स्तर को परिष्क्र्त करने एवं बढ़ाने में ध्यान(Mediation)और व्यायाम (Exercise) अत्यंत उपयोगी तथा महत्वपूर्ण होते हैं | ध्यान(Mediation)से आपअपने विचारों और भावनाओं में संतुलन स्थापित करने के साथ साथ अपनेतनाव को कम करने तथा अपनीखुशीयों को बढ़ाने में सक्षम बनते हैं|अत: प्रतिदिन कुछ समयध्यान(Mediation)और व्यायाम (Exercise) के लिये निकालें | ध्यान(Mediation)और व्यायाम (Exercise) को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनायें |

9.दया-करुणा ( Be Kind )—
आप अपने स्वयं के प्रति दयालु एवं करुणा मय बने,अन्य लोगों के प्रति सदेव करुणा एवं दया का भाव रक्खें,अपने साथीयों और सहयोगीयों की भावनाओं का हमेशा सम्मान करें|दया-करुणा का अभ्यास आपकी चेतना के स्तर को अवश्यंभावी परिष्क्र्त करेगा|
10.क्रोध-अहंकार को त्यागे (Get Rid of Anger & Ego)——-
वैज्ञानिकों ने इस तथ्य को साबित किया है कि अहंकार (ANGER & EGO)चेतना के लिए एक संक्रमण की तरह काम करता है, निसंदेहअंहकार (ANGER & EGO)चेतना के स्तर को बढ़ाने के रास्ते में एक मुख्य बाधा है | अंहकार ही आपकी चेतना के विकास को रोकता है|
चेतना के स्तर को बढ़ाने के कुछअन्य तरीके——–
स्वयं के साथ थोडा समय बितायें |
स्वयं की अंतरात्मा से बात करें | अंतरात्मा की बात सुने एवं उसी के अनुरूप कार्य करें |
प्रति दिनघूमने जायें,संगीत सुने,हंसी-मजाक करें,प्रफुल्लित रहें|
अपनेComfort-Zone( सुविधा-क्षेत्र) से बाहर निकलें | मन की अनिश्चितता ( Confusion) और बेचैनी को नियंत्रित कर आगे कदम बड़ाये |असफलताओं से कभी भी नहीं घबरायें, याद रक्खें कि हर असफलता आपके जीवन में सफलता के नये दरवाजे खोलती है|
अपना निर्णय या सोच दूसरों पर न थोपेंएवं ना ही थोपने की कोशिश करें |
अपनी खुशीयों में दूसरों को भी शामिल करें | अपनी उपलब्धियों-सफलताओं पर जश्न बनाये|
खुद से प्रेम करे एवं दूसरों को भी प्रेम-स्नेह-प्यार दें|
मधुर वाणी बोलें |
डा. जे. के. गर्ग
सन्दर्भ (References es )—-विकिपीडिया,Anthropology of Consciousness,Journal of Consciousness Studies,Cognition Psyche,Science&Consciousness Review,ASSC e-print archivecontaining articles, book chapters, theses, conference presentations by members of the ASSC.,Stanford EncyclopediaofPhilosophy,Levels of Consciousness, bySteve Pavlina),डेविड आर. हव्किंस,अपनी किताबPower vs. Force,dhyan dhyanam,.onlymyhealth.com,Enlightenment-ways-to-expand-your-consciousness. आदि|

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