गुरू उसे ही करना चाहिए जो समर्थ हो

नरेंद्र सिंह शेखावत
नरेंद्र सिंह शेखावत
हम सब देशवाशी आज गुरु पुर्णिमा मना रहे है मेरे गुरु ने मुझे बताया था जो गुरू की पुजा करते है वह उस वयक्ति की नहीं करते है उसके ज्ञान की करते है क्यो की गुरू दो शब्दो से बना है गु और रू गु का अर्थ होता है अंधेरा रू का अर्थ प्रकाश यानि अंधेरे से प्रकाश की और ले जाने वाला या अज्ञान से ज्ञान की और ले जाने वाले का नाम ही गुरू है पानी पीओ छान कर गुरू करो जान कर इस जीवन का एक मात्र उदेश्य है मोक्ष की प्राप्ति करना जो की मनुष्य जन्म मे ही संभव है इसलिए देवता भी मनुष्य जन्म के लिए तरसते है इसलिए गुरू उसे ही करना चाहिए जो समर्थ हो जिसने परमात्मा का अनुभव कर लिया है वही तो हमे अनुभव करवा सकता है मेरे गुरू के अनुसार परमात्मा परम आनन्द व परम शांति का ही नाम है जो एक बार प्राप्त होने पर कभी नहीं जाती इसे जीते जी भी प्राप्त किया जा सकता है ईसी का दूसरा नाम मोक्ष है जन्म मरण से पीछा छूट जाना ही मोक्ष है क्यो की आत्मा न मरती है न जन्म लेती है सुख और दुख दुनिया मे कंही नहीं है ये केवल हमारे विचारो मे है जब तक हम दुख के बारे मे विचार नहीं करेंगे तब तक दुनिया का कोई व्यक्ति हमे दुखी नहीं कर सकता आत्मा परमात्मा का ही प्रतिरूप है व्यक्ति के तीन शरीर होते है स्थुल शरीर ,सुक्ष्म शरीर ,कारण शरीर,स्थुल शरीर जो हमारा बाहरी शरीर दिखता है वो है ,सुक्ष्म शरीर,हमारे शरीर के अंदर होता है और अति सूक्ष्म होता है ये मन,बुद्धि ,चित्त ,अंहकार ,से बना है कारण शरीर स्वयं आत्मा है सुक्ष्म शरीर को जीव भी कहते है आत्मा के साथ रहने से ये जीवात्मा कहलाता है आत्मा परमात्मा का ही एक प्रतिरूप है आत्मा एक तरह की ऊर्जा है ,चेतन स्वरूप है ,यह जड़ रूपी जीव को चेतनता प्रदान करती है जय गुरुदेव
नरेंद्र सिंह शेखावत 9929206665

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