युगप्रवर्तक कर्मयोगी महाराजा अग्रसेन—-Part 6

अग्रवालों के 18 गोत्र एवं उनका नामकरण

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
कुलदेवी माता लक्ष्मी की कृपा से भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र हुये। राजकुमार विभु उनमें सबसे बड़े थे। महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन को 18पुत्र के साथ 18 यज्ञ करने का संकल्पकरवाया। माना जाता है कि इन 18 यज्ञों को 18 ऋषि-मुनियों ने सम्पन्न करवाया और इन्हीं ऋषि-मुनियों के नाम पर ही अग्रवंश के गोत्रों का नामकरण हुआ | प्रथम यज्ञ के पुरोहित स्वयं गर्ग ॠषि बने, राजकुमार विभु को दीक्षित कर उन्हें गर्ग गोत्र से मंत्रित किया। इसी प्रकार दूसरा यज्ञ गोभिल ॠषि ने करवाया और द्वितीय पुत्रको गोयल गोत्र दिया। तीसरा यज्ञ गौतम ॠषि ने गोइन गोत्र धारण करवाया, चौथे में वत्स ॠषि ने बंसल गोत्र, पाँचवे में कौशिक ॠषि ने कंसल गोत्र, छठे शांडिल्य ॠषि ने सिंघलगोत्र, सातवे में मंगल ॠषि ने मंगल गोत्र, आठवें में जैमिन ने जिंदल गोत्र, नवें में तांड्य ॠषि ने तिंगल गोत्र, दसवें में और्व ॠषि ने ऐरन गोत्र, ग्यारवें में धौम्य ॠषि ने धारणगोत्र, बारहवें में मुदगल ॠषि ने मन्दल गोत्र, तेरहवें में वसिष्ठ ॠषि ने बिंदल गोत्र, चौदहवें में मैत्रेय ॠषि ने मित्तल गोत्र, पंद्रहवें कश्यप ॠषि ने कुच्छल गोत्र दिया। 17 यज्ञ पूर्ण होचुके थे। जिस समय 18 वें यज्ञ में जीवित पशुओं की बलि दी जा रही थी,भगवान अग्रसेन को उस दृश्य को देखकर घृणा उत्पन्न हो गई। उन्होंने यज्ञ को बीच में ही रोक दिया औरकहा कि भविष्य में मेरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यज्ञ में पशुबलि नहीं देगा, न पशु को मारेगा, न माँस खाएगा और राज्य का हर व्यक्ति प्राणीमात्र की रक्षा करेगा। अठारवें यज्ञ मेंनगेन्द्र ॠषि द्वारा नांगल गोत्र से अभिमंत्रित किया। अग्रवालों के 18 गोत्र हैं—–गर्ग, तायल, कुच्चल, गोयन, भंदेल, मंगल, मित्तल, बंसल, बिंदल, कंसल, नागल, सिंघल, गोयल,तिंगल, जिन्दल, धारण, मधुकुल, एरेन | ॠषियों द्वारा प्रदत्त अठारह गोत्रों को भगवान अग्रसेन के 18 पुत्रों के साथ भगवान द्वारा बसायी 18 बस्तियों के निवासियों ने भी धारणकर लिया एक बस्ती के साथ प्रेम भाव बनाये रखने के लिए एक सर्वसम्मत निर्णय हुआ कि अपने पुत्र और पुत्री का विवाह अपनी बस्ती में नहीं दूसरी बस्ती में करेंगे। आगे चलकर यह व्यवस्था गोत्रों में बदल गई जो आज भी अग्रवाल समाज में प्रचलित है।
मैनेजमेन्ट गुरु-महाराजा अग्रसेन
महाराजा अग्रसेन ने अपने विशाल परिवार को हमेशा एकता के सूत्र मे बाधे रखा | वे एक महान मेनेजमेंट गुरु थे | महाराजा अग्रसेन ओर माता माधवी ने अपने सभी 18 पुत्रों कोश्रेष्ठतम संस्कार प्रदान किये थे | हम सभी को महाराजा अग्रसेन को अपना रोल मोडल बना कर उनका अनुसरण करना चाहिये |
भारतवर्ष की प्रगति में अग्रवंशियों का योगदान :
एक सर्वे के अनुसार भारतवर्ष की कुल इनकम टैक्स का 24% से अधिक हिस्सा अग्रसेन के वंशजो का हैं। कुल सामाजिक एवं धार्मिक दान में 62% हिस्सा अग्रवंशियों का है। भारतमें लगभग 50,0000 मंदिर व तीर्थस्थल, 16,000 गौशालाओं में से 12,000 अग्रवंशी वैश्य समुदाय द्वारा संचालित है। भारत के विकास में 25% योगदान भगवान अग्रसेन के वंशजोका ही हैं, जिनकी जनसंख्या देश की जनसंख्या के 1% से भी कम है। अपनी अदभुत प्रतिभा एव श्रेष्ठ मेनेजमेंट स्किल की वजह से सभी अग्रवाल देश- विदेश मे शक्तिवान, धनवान,संस्कारित, उच्च इन्सान के रूप मे जाने जाते है, देश सेवा मे अग्रवालों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है |
संकलनकर्ता डा. जे. के. गर्ग—डा. श्रीमती विनोद गर्ग

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