पाँच दिन का पर्व हैं —— दीपावली – भाग-2

डा. जे.के.गर्ग
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2. नरक चतुर्दशी:— नरक चतुर्दशी 14वें दिन पडती है, जब भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मारा था। नरक चतुदर्शी को बुराई की सत्ता या अंधकार पर अच्छाई या प्रकाश की विजय के संकेत के रुप में मनाया जाता है। आज के दिन लोग जल्दी (सूर्योदय से पहले) सुबह उठते है, और एक खुशबूदार तेल और स्नान के साथ ही नये कपडे पहनकर तैयार होते है। तब वे सभी अपने घरों के आसपास बहुत से दीपक जलाते है और घर के बाहर रंगोली बनाते है। वे अपने भगवान कृष्ण या विष्णु की भी एक अनूठी पूजा करवाते है। सूर्योदय से पहले स्नान करने का महत्व गंगा के पवित्र जल में स्नान करने के बराबर माना जाता है।
3. अमावस्या- लक्ष्मी पूजा: यह मुख्य दिन दीवाली जो लक्ष्मी पूजा (धन की देवी) और गणेश पूजा (सभी बाधाओं को हटा जो ज्ञान के देवता) के साथ पूरी होती है। महान पूजा के बाद वे अपने घर की समृद्धि और भलाई का स्वागत करने के लिए सड़कों और घरों पर मिट्टी के दीये जलाते है। विभिन्नरंगों,फूलों,धान्यों और दीयों से रंगोली बनाई जाती है | घरों के दरवाजों को तोरण या बंदनवार से सजाया जाता है | सभी लोगों को पूर्ण विश्वास होता है की माता लक्ष्मी जी उनके घर आकर उन्हें आशीर्वाद देंगी ओर उन पर धन-धान्य की वर्षा करेंगी |
प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के गर्ग
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