भगवान विष्णु के हर रूप के साथ माता लक्ष्मी भी अवतरित हुई Part–1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
धरती पर अधर्म-अनाचार-अत्याचार के खात्में और धर्म-न्याय-सोहार्द की स्थापना के लिये जब जब भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेते हैं तब तब माता लक्ष्मी भी उनके साथ अवतरित होती है | भाग्य विधाता और भाग्य लक्ष्मी माता लक्ष्मीजी को देवताओ मे धन-दोलत- ऐश्वर्य, स्नेह , सफलता, आध्यात्मिक एवं भौतिकी प्रगति का अवतार माना जाता है | लक्ष्मीजी भगवान विष्णु की धर्मपत्नी है, ऐसा माना जाता है वे अपने भक्तों को सोभाग्य प्रदान करतीं हैं और उन्हें गरीबी, दरिद्रता एवं दुखों से भी बचाती है | ऐश्वर्य आदि षडगुणों की धात्री माता लक्ष्मीजी को श्री और मंगला भी कहा जाता है क्यों की वे भगवान विष्णु के लिए भी शक्ति का स्त्रोत हैं | जब भगवान विष्णुजी ने धरती पर राम एवं कृष्ण का अवतार लिया तब भी लक्ष्मीजी, माता सीता एवं रुक्मणि के रूप मे अवतरित हुई थी | राधा जी एवं सत्याबामा को भी लक्ष्मीजी का ही रूप माना जाता हैं | भक्त अपने घर-दुकान-कल-कारखानों मे हर दिन धन की देवी लक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना करते हैं | लक्ष्मीजी की पूजा भगवान विष्णु के साथ मंदिरों मे भी होती है | भारत भर मे ही नहीँ किन्तु दुनिया भर मे जहां जहां हिन्दू रहते है वहां दिवाली को उल्लास और आनन्द पूर्वक मनाया जाता है |
प्रस्तुतिकरण—–डा,जे.के.गर्ग

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