एक दीपक

मोहन थानवी
मोहन थानवी
समग्र समाज (और सभी दोस्तों) को दीपावली की लाख-लाख बधाइयां। दीपावली हमें एक दीपक जरूर प्रज्वलित करने का संदेश दे रही है। भलेशक आज के जमाने में बिजली और जेनरेटर जैसे संसाधन रोशनी के लिए मुहैया हैं। भलेशक प्रत्येक व्यक्ति लखपति-करोड़पति है मगर मानवीयता के लिए जज्बा भी जिंदा रहना जरूरी है। जीवन और प्राणियों के लिए दया भावना हजारों वॉट के बल्वों की रोशनी से अधिक जीवन को रोशन करती है। वक्त आने पर आलीशान अट्टालिकाओं की चमक दमक एक दीपक की रोशनी के आगे फीकी पड़ जाती है।

एक दीपक –

आलीशान महल में राजा-रानी का बड़ा और सुसज्जित कक्ष रोशन फानूस से चमक रहा था। फानूस इतरा कर अपने तले में धूल से सने मिट्टी के दीपक को चिढ़ा रहा था। दीपक अपनी चिर परिचित सादगी से अपने तेल और बाती को सदैव मुस्तैद रहने का सबक सिखा और वक्त पर काम आने की हिदायत दे रहा था। बाहर आंधी-बरसात आ रही थी और इस वजह से घुप अंधेरा भी था। रानी ने राजा को कहा – कोई दास-दासी आस पास नहीं है। बुलाने पर भी नहीं आ रहा। मुझे बाहर टंगा हुआ मैना का पिंजरा अंदर मंगवाना है। आप फानूस उठा कर रोशनी में पिंजरा उठा कर ले आओ। फानूस ने राजा के लिए रानी का यह निर्देश सुना तो घमंड से दीपक को दिखा दिखा कर और अधिक मटकने लगा। इतराने लगा। फानूस ने कहा – देख दीपक… मिट्टी के दीपक… मुझे राजा अपने हाथों में संभाल कर उठा कर घुमाएगा। तू बेचारा यहां कोने में पड़ा रह। दीपक ने कोई जवाब नहीं दिया मगर तेल-बाती को आश्वस्त करता रहा। दिलासा देता रहा। रानी की फरमाईश सुन राजा फानूस की ओर बढ़ा मगर ये क्या… राजा ने तो फानूस को देखा तक नहीं बल्कि खुद झुक कर दीपक को उठाया और अपने हाथों से झाड़-पोंछ कर हथेली में संभाला। रानी से बोला – इतना भारी फानूस… इसे यहीं पड़ा रहने दो। राजा ने तेल में डूबी बाती को प्रज्वलित किया और दीपक को सहेजता हुआ बाहर जाकर मैना के पिंजरे को उठा लाया। सामने आई मैना से बात कर रानी बहुत प्रसन्न हुई और राजा से बोली – रात गहरा गई है। फानूस को बुझा कर इस रोशन दीपक को मेरे पलंग के सिरहाने की तरफ मैना के पिंजरे के पास संभाल कर रख दीजिए। फानूस की तेज रोशनी हमारी नींद में खलल डालेगी लेकिन दीपक अपनी शांत और सुकून देने वाली रोशनी फैलाता रहेगा। मैना और हम सुख चैन से सकेंगे।
मैना संसार के भांति भांति के प्राणियों की प्रतिनिधि पात्र है। फानूस आधुनिक संसाधनों का नेतृत्व करता है। राजा-रानी इस संसार के व्यक्तियों के प्रतिरूप है। आंधी-बरसात समय बदलने पर सामने आने वाले हालात हैं। इन सभी से अधिक महत्व रखने वाला है एक दीपक। उठो, जागो तो अपनी इस मातृभूमि को संवारें। एक दीपक प्रज्वलित करने का अर्थ किसी बालक को शिक्षा दिलाना। किसी जरूरतमंद की मदद करना। किसी को प्रोत्साहित कर उसके लक्ष्य की ओर अग्रसर करने में सहयोग करना सहित मानवीयता के लिए कोई भी एक काम कर अपने समाज, अपने शहर, राज्य, राष्ट्र और विश्व के लिए एक दीपक प्रज्वलित करना हो सकता है।
– मोहन थानवी

1 thought on “एक दीपक”

  1. बहुत ही शानदार लेख है। सही में एक दीपक की तुलना में कोई ठहर नहीं सकता। वैसे भी सूरज डूबता है तो दीपक अपना जलवा बिखेरने के लिए तैयार रहता है

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