जय नवदुर्गे स्वरूपिणी नोसरा माँ

jअजमेर सीमांत और पुष्कर घाटी के प्रारम्भ में बसा आद्य शक्ति पीठ जिसकी स्थापना पुष्कर तीर्थ की स्थापना से पूर्व स्वयम जगतपिता ब्रम्हा विष्णु महेश ने यज्ञ की राक्षस कुल से रक्षार्थ हेतु नवदुर्गाओं का आव्हान किया।नवदुर्गाओं को आसन देने हेतु नागलोग के राजा ने नाग पहाड़ स्वरूप धर कर अपनी विशाल जिव्हा पर नवदुर्गाओं को आसन दिया तब से आज तक इसी मूल स्वरूप में नवदुर्गा प्रतिश्ठित ह।स्वयं पृथ्वीराज चौहान ने इस स्थान पर साधना की और परम् शत्रु मोहम्मद गौरी को इसी घाटी के रास्ते आने से 17 बार रोका और परास्त किया। इन्ही पराम्बा भगवती महाशक्ति की कृपा से पृथ्वीराज शब्द भेदी बाण की विद्या में पारंगत हुए।भारत में शब्द भेदी बान की विद्या मन्त्र सीद्धि द्वारा प्राप्त होती जिसका सम्पूर्ण भारत में पुष्कर क्षेत्र स्थित नाग पहाड़ ही वह स्थान था जहां ये विधा सिद्ध की जा सकती ,और मात्र तीन ही साधक ये सिद्धि प्राप्त कर पाए।त्रेता में राजा दशरथ को शब्दभेदी बाण की विद्या प्राप्त थी जिन्होंने गहन अंधकार में भी जल ध्वनि सुनकर बाण चलाया और बाण मात्रपित्र भक्त श्रवण कुमार को लगा।द्वितीय द्वापर युगीन योद्धा एकलव्य को ये विधा प्राप्त थी ,मात्र श्वान के भोंकने की आवाज सुनकर आवाज की दिशा में बाण चलाया और स्वान का मुख् बाणो सेबन्द कर दिया। शब्द भेदी बाण के तीसरे योद्धा सम्राट पृथ्वीराज चौहान थे जिन्होंने माँ नोसर के चरणों में 9 दिन तक निराहार उपवास क्र गुरु के सानिध्य में इस विद्या को इसी क्षेत्र से प्राप्त कर 17 बार दुष्ट गौरी को धूल चटाई।
गर्व ह मुझे की में महिमामय माँ के चरणों में तपोस्थली तीर्थराज पुष्कर निवासिनी हु और नित्य नाग पहाड़ के प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त करती हूँ ।जय श्री तीर्थराज पुषकर जय जगतपिता ब्रम्हा जी की जय जय तपस्थली नाग पहाड़ की ,जय हो संरक्षकारिणी जगत पोषिणी माँ नवदुर्गा नोसर माई की।

ज्योति दाधीच

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