कंप्यूटर क्रांति के जनक राजीव गांधी Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
कुछ लोग ज़मीन पर राज करते हैं और कुछ लोग दिलों पर। स्वर्गीय राजीव गांधी एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने ज़मीन पर ही नहीं, किन्तु जनमानस के ह्रदय पर भी राज किया। स्व. राजीव गांधी ही वो इंसान थे जिन्होंने उन्नीसवीं सदी में इक्कीसवीं सदी के भारत का सपना देखा था। स्वभाव से धीर- गंभीर लेकिन आधुनिक सोच और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले स्व. राजीव गांधी देश को विज्ञानं-उच्च तकनीक में दुनियाँ का अग्रिम देश बनाना चाहते थे । वे बार-बार कहते थे कि भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के साथ ही उनका लक्ष्य इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण है। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल हैं। वे देश की कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। वे युवाओं के लोकप्रिय नेता थे। जब राजीव ने भारत में कम्प्युटर क्रांति का सूत्रपात किया था तब तत्कालीन विपक्षी पार्टी एवं वर्तमान शासक दल के नेताओं उनका मखोल उड़ाया और उन्हें नोसिखिया कहा | समय ने प्रमाणित कर दिया कि राजीव दूरदर्शी नेता थे | ईगो की भावना से राजीव मुक्त थे उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैने यह किया मैने वो किया किन्तु वे कहा करते थे कि हमें ऐसा या वैसा करना है | राजीव शालीनता की प्रतिमुर्ती थे उन्होंने कभी भी अपने घोर विरोधियों के प्रति अनर्गल एवं कर्कश शब्दों का प्रयोग नहीं किया | लोग उनका भाषण सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार किया करते थे। उन्‍होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में देखने को मिल रहा है। आज हर हाथ में दिखने वाला मोबाइल उन्हीं फ़ैसलों का नतीजा है। राजीव ने राजनीती में भी नेतिकता को सर्वोच्च स्थान दिया, बोफोर्स कांड के आरोपों के बीच संसद भंग कर नये चुनाव करवाने का जज्बा उन्हीं में था | 1989 के चुनाव में 195 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद उन्हें विपक्ष में बैठना मंजूर हुआ जबकि वर्तमान दोर में पार्टीयाँ एनकेन प्रकारेण सत्ता प्राप्त कर रहीं हैं | उनकी कथनी और करणी में कोई अंतर नहीं था | राष्ट्र राजीवगांधी के 73वें जन्मदिवस पर नमन करता है |

प्रस्तुतिकरण—-डा. जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—विभिन्न पत्र पत्रिकायें, मेरी डायरी के पन्ने आदि

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