राष्ट्र रत्न एवं मेवाड़ मणि —महान महाराणा प्रताप Part 1

maharana_Pratapमहाराणा प्रताप मेवाड़ की अस्मिता के प्रतिक तो हैं ही उनका नाम देशभक्ति, स्वाभिमान और दृढ प्रण के लिये सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने जीवन पर्यन्त मेवाड़ की आजादी एवं अस्मिता के लिए मुगल बादशाह अकबरके साथ अपने सीमित साधनों के साथ संघर्ष किया एवं कभी भी अकबर की आधीनता स्वीकार नहीं की। अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिये एवं दिल्ली सल्तनत की अधीनता स्वीकार करने हेतु कई दूतों को भेजा जिनमें प्रमुख हैं— जलाल खान कोरची (सितम्बर 1572), मानसिंह (1573), भगवान दास (सितम्बर–अक्टूबर 1573) एवं टोडरमल (दिसम्बर 1573)
महाराणा प्रताप का जन्म 15 मई 1540 यानि जेयष्ट शुक्ला तर्तीया, विक्रम सवंत 1597 को कुम्भलगढ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर के यहाँ हुआ था | महाराणा प्रताप की माता का नाम जैवन्ताबाई था, जो पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुन्दामें हुआ। महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थीं | कहा जाता है कि उन्होंने ये सभी शादियां राजनैतिक कारणों से की थीं |

संकलनकर्ता डा. जे. के गर्ग

error: Content is protected !!