25 मई को विशेष संयोग, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत एक साथ

दयानन्द शास्त्री
दयानन्द शास्त्री
प्रिय पाठकों/मित्रों, इस वर्ष वट सावित्री व्रत यानि वर अमावस्या और शनि जयंती एक साथ होने से इस दिन विशेष संयोग बन रहे हैं। इसी के साथ ही इस दिन से नवतपा की शुरुआत हो रही है। ये तीन संयोग एक साथ बन रहे हैं, ऐसा संयोग काफी सालों बाद देखने को मिल रहा है।शनि जयंती पर शनि हमेशा वक्री रहता है। 25 मई को सूर्य,चंद्र और मंगल एक साथ वृषभ राशि में रहेंगे। शनि धनु राशि में वक्री है।

कहा जाता है कि शनि अमावस्या के दिन शनि भगवान से जुड़े उपाय करने से जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिन का स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। कहा जाता है शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते हैं की शनिदेव को न्याय के देवता कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते हैं की शनि भगवान कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि देव अपने भोग काल में उन्हीं को नुकसान पहुंचाते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं। जिन जातकों के कर्म अच्छे होते हैं शनि भगवान उनके साथ अच्छा ही अच्छा करते हैं।

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि 25 मई को ये संयोग देखने को मिलेगा। महिलाओं के साथ ही शनि भक्तों के लिए ये दिन बहुत खास है। जहां महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत कर वट वृक्ष की पूजा और 108 परिक्रमा करेंगी वहीं शनि भक्त इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करेंगे।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की शनिदेव अपनी महादशा, अंतर्दशा, ढैय्या तथा साढ़ेसाती में उन्हीं को नुकसान पहुंचाते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं। जिन व्यक्तियों के कर्म अच्छे होते हैं, शनिदेव उनका सदैव शुभ ही करते हैं।

धर्मशास्त्रों के अनुसार, शनिदेव सूर्य देव और देवी छाया के पुत्र हैं तथा इनका जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को हुआ था। इसी उपलक्ष में इस दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। साल 2017 में शनि जयंती का पर्व गुरुवार दिनांंक 25.05.17 को मनाया जाएगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते हैं की इस दिन अमावस्या तिथि दिनांक 25.05.17 तो प्रातः 05 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ होकर दिनांक शुक्रवार दिनांक 26.05.17 को रात 01 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।

इसके साथ ही 25 मई 2017 से सूर्य देव अपना उग्र रूप दिखाना शुरू करेंगे और नवतपा में 25 मई 2017 से लेकर 2 जून 2017 (नौ दिन) तक लोगों को भीषण गर्मी के रूप में सूर्य का प्रचंड रूप सहना होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस तरह का संयोग बहुत कम होता है, जब ये तीनों पर्व एक ही दिन पड़ते हैं।
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–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री से जानिए इस शनि जयंती पर क्या करें विशेष उपाय/टोटके—

—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें।
—इस दिन को काला तिल और गुड़ चीटों को खिलाएं। इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
—शनिवार के दिन चमड़े के जूते चप्पल दान करने से भी शनिदेव मनोकामना पूरी करते हैं।
—-शनि जयंती के दिन पीपल के पेड में केसर, चंदन, चावल, फूल मिलाकर अर्पित करें और तिल का तेल का दीपक जलाएं।
—–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अपने मता पिता का आदर-सम्मान करें |
—-यथा संभव सच बोलने का प्रयास करें |
— कभी भी किसी भिखारी, निर्बल-दुर्बल का मज़ाक या परिहास न करें |
—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुंह देखकर शनि मंदिर में रख आएं। तिल के तेल से शनि विशेष प्रसन्न रहते हैं।
—–समाज के निचले तबकों के लोगों और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की मदद करने वालों से शनिदेव हमेशा प्रसन्न होते हैं और उनके अच्छे कर्म के लिए अच्छा फल देते हैं।
—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस दिन न तो ना तो नीलम पहनें और ना ही लोहे से बनी कोई चीज खरीदें या पहनें इससे शनि का बुरे प्रभाव बढ़ जाते हैं।
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शनि के इन मन्त्रों से कीजिये प्रसन्न, शनि जयंती पर—

1. सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः
मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनिः

2. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

3. ओम शं शनैश्चराय नमः।

4. ओम शं शनैश्चराय नमः।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कण्टकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शं शनैश्चराय नमः।

5. ओम शं शनैश्चराय नमः।
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।।
ओम शं शनैश्चराय नमः।

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री

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