प्रथ्वी पर भगवान के देवदूत—-पापा—-Part 3

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
बुद्दीमान लोगों ने सही ही कहा हे—
मुझे मेरे पिता से सबसे अमूल्य उपहार मिला जो कोई किसी व्यक्ति को दे सकता है और वो था उनका मुझमें अटूट भरोसा एवं विश्वास—–अज्ञात
पिता अपने बच्चों को जीवन में हर गेम को सही तरीके से सही समय पर खेलने की सीख सिखाता है—अज्ञात
पापा सबसे स्पेशल हैं क्यों कि जब कभी हमें तकलीफ होती है तो वो हमारा हाथ पकड़ कर हमें सहारा देते हैं एवं हिम्मत देते हैं,जब कभी हम जानें-अनजाने में नियमों का उल्ल्घन करते हैं तो वे हमें ड़ाटते-फटकारते हैं,जब कभी हमें सफलता मिलती है उस क्षण गर्व से उनका सीना 56 इंच चोडा हो जाता है एवं उनका चेहरा चमक उठता है—–अज्ञात
हमें अपने आप को पिता के प्रेम के योग्य बनाना है—–रोबर्ट फ्रॉस्ट
किसी ने पूछा वो कोन सी जगह है जहाँ हर गलती, हर जुर्म और हर गुनाह माफ़ हो जाता है? नन्हा बच्चा मुस्कराया और बोला मेरे पापा का दिल—-अज्ञात
जब कभी हम जानें-अनजाने में नियमों का उल्ल्घन करते हैं तो वे हमें ड़ाटते-फटकारते हैं,जब कभी हमेंसफलता मिलती है उस क्षण गर्व से उनका सीना 56 इंच चोडा हो जाता है एवं उनका चेहरा चमक उठता है—–अज्ञात
किसी ने पूछा वो कोन सी जगह है जहाँ हर गलती,हर जुर्म और हर गुनाह माफ़ हो जाता है? नन्हा बच्चा मुस्कराया और बोला मेरे पापा का दिल—-अज्ञात
इसलिए अपनी जुबान की तेजी उनके लिये कभी भी मत इस्तमाल कीजिये जिसने हमें बोलना और मुस्कराना सिखाया है |
प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—–विभिन्न पत्र-पत्रिकायें, मेरी डायरी के पन्ने

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