समय समय का फेर–समय तब और अब Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
8.किसी जमाने में पंचों को परमेश्वर माना जाता था किन्तु आज वे न्याय से कोसों दूर रहते हैं और सिर्फ अपने स्वार्थ के लिये न्याय का खुले आम कत्ल करते हैं |
9.किसी जमाने में सिद्धांतों पर राजनीती की जाती थी, राजनेता जीवन पर्यन्त अपने अपने सिद्धांतो पर अटल रहते थे किन्तु आज तोअपने तुच्छ निजस्वार्थों के खातिर नेताओं में अपने सिद्धांतों को छोड़ कर येंन केन सत्ता प्राप्ती के खातिर पार्टी बदल कर कल तक वें जिस पार्टी की सोच और सिद्धांतो का खुले आम विरोध करते थे उसी पार्टी में शामिल होकर अपने नये आकाओं का गुणगान करते नहीं थकते हैं | ऐसे लोग पार्टियाँ बदल कर मंत्री बनते हें | जो लोग कल तक भ्रष्ट कहलाते थे आज उन्हीं को इमानदारी का प्रमाणपत्र मिल जाता है | ऐसे कई नेता हैं जो हर सरकार में मंत्री बन जाते हैं |
10.एक समय था जब अख़बारों कीप्रसारण निती का निर्धारण अख़बार के संपादक सर्वहित में निस्वार्थ भावना से करते थे, अख़बार में सही एवं सच्ची खबरें ही प्रकाशित होती थी किन्तु आज व्यापारिक घराने समाचार पत्रों के सम्पादकों को अपना सेवक बना कर अख़बार एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडियाके जरीयें अपने स्वार्थ पूर्ती हेतु आधी सच्ची-झूठी खबरें देकर जनमानस को भ्रमित कर अपने व्यापरिक स्वार्थ एवं अपने राजनेतिकआकाओं की जी हजुरी के लिये करते हैं | पेड न्यूज़ के जरिये सत्ता प्राप्त की जाती है | फेक न्यूज का जाल फेलता ही जा रहा हे, हाल में सम्मपन्न अमेरिका के चुनावों में इसका खूब उपयोग हुआ था |
11.कोई समय था जब साधारण जनता भी डॉक्टर एवं शिक्षक का दिल से आदर और सम्मान करती थी उन्हें अपना आदर्श मानती थीकिन्तु आज तो डॉक्टर –गुरु को चाहिए सिर्फ पैसा-पैसा-पैसा |स्कुलों-कोलेजों में छात्र पढ़ते नहीं और कोचिंग इंस्टिट्यूट मालामाल हो रहे हें |
12.एक जमाने में शिक्षक शिक्षा प्रदान करता था और शिष्य शिक्षा ग्रहण करता था किन्तु आज शिक्षक पूर्णत व्यापारी बन गया है औरशिष्य उसके उत्पाद का खरीददार हो गया है |
13.एक वक्त्त जनसंख्या एक बड़ी और विकराल समस्या बन गयी थी किन्तु आज यह एक उभरता बाज़ार बन चुका है |
प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग

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