समय समय का फेर–समय तब और अब Part 3

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
14.एक जमाने में गोल्डन रूल से शासन चला करते थे किन्तु आज अगर आप के पास गोल्ड (सोना चांदी -रूपये ) हो तो ही आप शासन कर सकते है |
15.एक जमाने में जीवन मे सफलता का अर्थ था अपने सिद्धांतों एवं आदर्शों पर चल कर जीना किन्तु आज के समय सफलता अर्जन केलिये जरूरी है अपने सिद्धांतो और आदर्शों को तिलाजंली देना उन्हें पुरी तरह से भूल जाना |
16.एक जमाने में आदमी अपनी आत्मा के कल्याण हेतु सच कहना, सच सुनना और सच देखना आवश्यक मानता था किन्तु आज सफलताप्राप्त करनेया आगे बढने के लिये इन को तिलांजली देकर ,खुद की स्वार्थ पूर्ति के लिये ही झूठ बोलना,झूठ सुनना और झूठ को सच बना करप्रचार करना जायज बन चुका है | झूठ को सो बार बोलकर उसे सही बनाकर पेश किया जा रहा है और जो कोई इसे नहीं माने उसे प्रताड़ित कर मारा-पीटा जा रहा है |
17. कभी गांधीजी के तीन बन्दर अपनी आखें दोनों हाथों से बंद करके सन्देश देते थे कि बुरा नहीं देखो, बुरा नहीं सुनो और बुरा नहीं कहो वहीं आज कल इन दिनों उनकी आखें खुली हुई है और ऐसा लगता कि वें कह रहें हैं कि बुरा देखो,बुरा कहो और बुरा सुनो |
18. एक जमाने में धार्मिक सहिष्णुता हमारी सनातन संस्क्रति का अभिन्न अंग होता था किन्तु आज तो धार्मिक उन्माद का बोलबाला है |
19. बापूजी के जमाने में “रघुपति राजा राम, पतित पावन सीता राम, ईश्वर अल्लाह एक ही नाम, सबको सन्मति दे भगवान” के भजन की गूंज सुनाई देती थी वहीं आज विभिन्न समुदायों, धर्मों और जातियों के बीच में छोटी मोटी बातों मैं तलवारे खीच जाती है और दुश्मनी- घ्रणा की लकीरें खीचजाती है, धार्मिक सोहार्द की जगह धार्मिक उन्माद ने ले ली है |
प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग

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