समय समय का फेर–समय तब और अब Part 5

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
25.एक जमाने मे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा/प्रतिद्वंद्वीता के फलस्वरूप श्रेष्ट गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण होता था किन्तु आज तो
मार्केटिंग के आडम्बर में जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है |
26.कभी हमारे देश मै संत-योगी महात्मा समाज को मानव धर्म की सीख देते थे और खुद एकांत में तपस्या-साधना करते थे वहीं आज तो अधिकतर तथाकथित संत-योगी व्यापारी बन गये हैं और सभी सुख साधन सहित एश्वर्य पूर्ण जीवन जीते हैं एवं कुछ के तो अपने टीवी चेनल और उद्ध्योग भी हैं |
27.कुछ वर्षों पहिले आपसी मेल जोल और मिलने जुलने से सामाजिक समबन्ध सोहार्दपूर्ण और मधुर बनते थे , वे आपस में सुख दुःख के साथी बनते थे वहीं आज का इन्सान अपने में ही और अपने ड्राइंगरूम, अपने मोबाईल, टीवी में सुखड कर रह गया है यहाँ तक परिवार के सदस्य भी कई दिनों तक आपस में खुलेपन से बात नहीं करते हैं |
28.एक जमाने में हमारी संस्क्रति में वाणी की हिंसा को शाररिक हिंसा से भी बुरा माना जाता था किन्तु आज के उच्चतम पद पर आसीनलोग अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप, दोषारोपण, चरित्र हनन के द्वारा जनमानस को भ्रमित कर सत्ता प्राप्त करने का कोई अवसर नहीं छोड़तेहैं, उनके लिये एन केन प्रकारेन सत्ता प्राप्त करना हीं एक मात्र लक्ष्य होता हैं | आपस में विश्वास की बजाय अविश्वास पनप रहा है |
29.किसी समय में कारीगर/दस्तकार/शिल्पकार गुणवत्ता वाले उत्पाद का सर्जन कर अपने आपको गोरान्वित अनुभव करता था किन्तु आजगुणवत्ता मात्र डीपार्टमेंटल वस्तु बन गयी है |
30..एक जमाना था जब बुद्धीजीवी , अपनी बुद्धी से लोगों को जागरूक करते थे, किन्तु एक जमाना अब है जब बुद्धी का प्रचार अपनेब्रान्डेड महंगे शर्ट और T शर्ट पर खुल्ले आम हास्यास्पद तरीके से प्रदर्शित किया जाता है |
31.एक समय था जब हंस मोती देते थे और खुद दाना-चुनगा खाते थे और एक जमाना अब है जब, कोवें मोती खाते हैं | समय-समय का भेद है—–समय समय का नजरिया हैं —–सबको साधुवाद
प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग

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