राजस्थान के जन के देव —-बाबा रामदेव—रामसापीर Part 2

रामदेवजी की बाल लीलायें

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
एक दिन सुबह रामदेव एवं विरमदेव अपनी माता मैणादे की गोद में खेल रहे थे, बच्चों के साथ हंसी मजाक करते हुए वे दूध को बर्तन में डालकर चूल्हे पर चढ़ाने चली गई, उसी वक्त रामदेव जी अपनी माता को चमत्कार दिखाने के लिये अपने बड़े भाई विरमदेव जी के गाल पर चुमटी काट दी जिससे विरमदेव को क्रोध आ गया और उन्होंने राम देव को धक्का मार कर गिरा दिया | रामदेवजी गिर गये और रोने लगे हैं। रामदेव जी के रोने की आवाज सुनकर माता मैणादे दूध को चुल्हे पर ही छोड़कर उनके पास आ गई और रामदेव जी गोद में लेकर पुछ्कारने लगी | उधर दूध को भगोनी के बाहर गिरता देखती माता मैणादे रामदेवजी को गोदी से नीचे उतारना चाह रही थी किन्तु उन्होंने उस वक्त देखा रामदेवजी अपना हाथ दूध की ओर करके अपनी देव शक्ति से उस बर्तन को चूल्हे से नीचे आसानी से जमीन पर रख दिया। यह चमत्कार देखकर माता मैणादे वह वहीं पर उपस्थित पिता अजमलजी तथा दासीयां अचम्भित होकर भगवान द्वारकानाथ की जय जयकार करने लगे ।
कपड़े के घोड़े को आकाश में उड़ाना
बालक रामदेव ने अपने पिता से खिलोने वाले घोड़े की जिद की तब राजा अजमल ने खिलोने वाले को चन्दन और मखमली कपडे का घोड़ा बनाने को कहा। कीमती मखमली कपड़ों को देख खिलोने वाले के मन में लालच आ गया और उसने बहुत सारा कपडा अपनी पत्नी के लिये रख लिया और और बहुत कम कपड़े से घोडा बना कर राजा को दे दिया । जब बालक रामदेव घोड़े पर बैठे तो घोड़ा उन्हें लेकर आकाश में चला ग़या। राजा खिलोने बनाने वाले पर गुस्सा होते उसे जेल में डाल दिया। कुछ समय पश्चात, बालक रामदेव वापस घोड़े के साथ आये। खिलोने वाले ने राजसी कपड़े को चुराने की बात कबूल कर रामदेवजी से उसे राजा के क्रोध से बचाने के लिये प्राथना की, बाबा रामदेव ने दया दिखाते हुए उसे माफ़ किया। आज भी, कपडे वाला घोड़ा बाबा रामदेव की खास चढ़ावा माना जाता है।
प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—– इतिहासकार मुंहता नैनसी का ग्रन्थ “मारवाड़ रा परगना री विगत”, मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न पत्र पत्रिकायें आदि
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