जन जन के पूज्यनीय लोक देवता तेजाजी -Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
लोकगाथाओं के मुताबिक तेजाजी का विवाह उनके बाल्यकाल में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ समय बाद ताहरजी और पेमल के मामा में अनबन एवं वादविवाद हो जाने की वजह से पेमल के मामा की म्रत्यु हो गई जिसके कारण परिवार वालों ने तेजाजी को उनके पेमल के साथ शादी के बारे में नहीं बताया | तेजाजी के गावं में ज्येष्ठ महीने की पहली बारिश हो गई थी सभी गावं वाले ज्येष्ठ मास की वर्षा बहुत शुभ मानते थे | उस वक्त गावं में परंपरा थी की वर्षा होने पर कबीले के मुखिया सबसे पहिले खेत में हल जोतने की शुरुहात करते थे और उसके बाद ही गावं के अन्य किसान हल जोतते थे किन्तु उस समय ना तो गावं के मुखिया ताहरजी और ना ही उनका बड़ा पुत्र गाँव में मोजूद था | ईसीलिये मुखिया की पत्नी रामकुवंर ने अपने छोटे बेटे तेजा को खेतों में जाकर हळसौतिया का शगुन करने के लिए कहा | माँ की आज्ञानुसार तेजाजी खेतों में पहुँच कर हल चलाने लगे ,काम करते करते दोपहर हो गई एवं तेजाजी भूख से बेहाल होकर अपनी भाभी का बेसब्री से इंतजार करने लगे क्योंकि वही उनके लिये भोजन लेकर आने वाली थी | भाभी काफी देरी तेजा का खाना लेकर खेतों पर पहुँची, भूख के मारे तेजाजी ने अपनी भाभी को उल्हाना देते खरी-खोटी सुनाई , भाभी तेजाजी के उल्हाने से तिलमिला गई और कहने लगी और तेजा तुम्हें तो अपनी भूख की पड़ी है मैने एक मन अनाज पीसा और अनाज पीसने के बाद ढेरों रोटियां बनाई, घोड़ी की खातिरदारी की, बैलों के लिए चारा लाई और छोटे बच्चे को झूले में रोता छोड़ कर तेरे लिये लिये खाना लाई हूँ फिर भी तुम मुझ पर बेवजह गुस्सा कर रहे हो, अगर तुम्हें मुझ से कोई शिकायत है तो तुम्हारी पत्नी पेमल जो पीहर में बैठी है उसे लिवा क्यों नहीं लाते ? भाभी की बातें तेजाजी के दिल में चुभ गई और उन्होंने अपने खाने को फेकं दिया और तिलमिलाते हुए तुरंत घर आ गये और माँ से पूछा “ मेरी शादी कहाँ और किसके साथ हुई? “ माँ ने उन्हें सारी बातें बताई और कहा तुम्हारा ससुराल गढ़ पनेर में रायमलजी के घर है और तुम्हारी पत्नी का नाम पेमल है| तेजा ससुराल जाने से पहले भाभी से भी आज्ञा लेने लगे तब उसने कहा “देवरजी आप दुश्मनी धरती पर मत जाओ, मैं आपका विवाह मेरी छोटी बहिन से करवा दूंगी”| तेजाजी ने दूसरे विवाह से इनकार कर दिया | तेजाजी की जिद्द को देख भाभी बोली अपनी दुल्हन पेमल को घर पर लाने अपनी बहन राजल को तो पीहर लेकर आओ और उसके बाद ससुराल जाना | तेजाजी अपनी बहन राजल को लिवाने उसकी ससुराल के गाँव तबीजी के रास्ते में थे तब एक मेणा सरदार ने उन पर हमला किया जहाँ भयंकर लड़ाई हुई जिसमें तेजाजी जीत गए | तबीजी पहुँच करके उन्होंने पनिहारियों से राजल के पति जोगाजी सियाग के घर का पता पूछा उनके घर जाकर उनसे इजाजत लेकर अपनी बहिन राजल को खरनाल ले आए |

सम्पादन एवं प्रस्तुतिकरण—–डा.जे,के.गर्ग, सन्दर्भ—- विभिन्न पत्र- पत्रिकायें, मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न भोपाओं से बात चीत आदि

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