जीवन को आनन्दमय बनाये रखने का मन्त्र—-सामना करे कड़वी सच्चाइयों का Part 1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
वास्तविकता तो यही है कि हम स्वयं ही हमारी जिन्दगी को अशांत, दुखी, शंखालु एवम् अस्त-व्यस्त बना डालने का कारण खुद ही होते हैं | जी हाँ, क्योंकि हम अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या या जिन्दगी में कुछ कड़वी सच्चाईयों से मुहं मोड़ कर उनकी जानबुझ कर अनदेखी कर देते अथवा उन्हें नकार देते हैं | इसलिये जरूरत इस बात की है कि जीवन में सच्चाईयां चाहे वे कितनी ही कडवी क्यों न हो, उनका का सामना करते हुए जिंदगी के हर क्षण को प्रसन्नतापूर्वक जीना सीखना होगा | स्मरण रक्खें कि जैसा जीवन आप स्वयं के लिये तय करेंगे उसी में आप अपनी पूरी जिंदगी गुज़ारेंगे। यह जरूरी नहीं है कि हमें हमेशा सफलता ही मिले, याद रक्खें कि सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू है | असफलता हाथ लग रही है तो निराश नहीं हों किन्तु यह मान कर चलें कि कि आगे चल कर आपको अपने लिये कोई बड़ी सफलता हाथ लगने वाली है, मुझे याद है कि कुछ वर्षों पहले मेरे एक स्वजन को एक महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा मै असफलता मिली जिससे वो दुखी और निराश हो गये उसी वक्त घर के मुखिया ने उससे कहा “ बेटे,निराश मत हो क्योंकि भगवान आप से अधिक महत्वपूर्ण काम करवाना चाहते है’ उन्होंने उससे कहा जीवन में परिश्रम करते हुये आगे बढ़ो | कुछ समय बाद इसी स्वजन का इंडियन सिविल सर्विस मै चयन हुआ और वो सफल प्रसासनिक अधिकारी (IAS) बने| याद रक्खें कि जिस प्रकार अंधकारमयी काली अम्मावस के बाद पूर्णिमा की शीतल रोशनी आती ही है इसी तरह जीवन में भी सफलता से पहले कुछ विफलताएं हाथ लगती ही हैं और ऐसे में निराश या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। आशावान रहते हुये अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक निष्पादन करें | यह भी सही है कि हर वक्त अपने आपको व्यस्त रखने का मतलब यह नहीं कि आप कोई रचनात्मक अथवा प्रोडक्टिव काम कर रहे हैं। जीवन में हम कई मतरबा बिना किसी सार्थक काम किये भी व्यस्त रह सकते हैं। आजकल मोबाईल पर गेम या विडियोगेम खेलना, व्हाट्सएप पर चिटचेट करना, फेसबुक का जरूरत से ज्यादा उपयोग करना और आपसी गपशप में मशकुल रहना आदि आदि |

प्रस्तुती—डा. जे.के.गर्ग, सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न पत्रिकायें आदि visit our blog—gargjugalvinod.blogspot.in

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