समाजवाद के प्रणेता एवं प्रथम वैश्य सम्राट कर्मयोगी महाराजा अग्रसेन Part 3

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
अग्रोहा शहर का जन्म——देवी महालक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करने के बादराजा अग्रसेन ने नए राज्य की स्थापना एवं राजधानी के चयन हेतु रानी माधवी के साथ भारत का भ्रमण किया, अपनी यात्रा के दौरान वे एक जगह रुके जहाँ उन्होंनेदेखा कि कुछ शेर और भेडीये के बच्चे साथ-साथ खेल रहे थे | राजा अग्रसेन ने रानी माधवी से कहा के ये बहुत ही शुभ दैवीय संकेत है है जो हमें इस पुण्य भूमी पर उन्हें राज्य की राजधानी स्थापित करने का संकेत दे रहा है | ॠषि मुनियों और ज्योतिषियों की सलाह पर नये राज्य का नाम अग्रेयगण रखा गया जिसे कालान्तर में अग्रोहा नाम से जाना गया। अग्रोहा हरियाणा में हिसार के पास हैं। आज भी यह स्थान अग्रवालसमाज के लिए तीर्थ स्थान के समान है। यहां भगवान अग्रसेन, माता माधवी और कुलदेवी माँ लक्ष्मी जी के भव्य और दर्शनीय मंदिर है |

समाजवाद के प्रेरणता

महाराजा अग्रसेन जी के राज्य में यह परंपरा थी कि जो भी व्यक्ति या परिवार उनके राज्य में आकर बसता था, अग्रोहा के सभी निवासीनवागुंतक नागरिक को सम्मान स्वरुप एक रुपया और एक ईंट भेंट करते थे। कहा जाता है कि उस समय अग्रोहा में लगभग एक लाख सेअधिक परिवार बसते थे। इस प्रकार उनके राज्य में आने वाले प्रत्येक नागरिक एक लाख रुपये तथा एक लाख ईंटों का स्वामी बन जाता था।इन रुपयों से वह अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर लेता था वहीं ईंटों से अपना खुद का मकान बना लेता था। निसंदेह अग्रसेन जी ने विश्व में सबसे पहिले समाजवादी राष्ट्र की स्थापना की थी |
प्रस्तुती— डा. जे. के. गर्ग, Visit our blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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