युवाओ के लिए नजीर बन गए

संघर्ष से सफलता की ओर बढ़ते रहे कदम बुंदेलखंड के कर्मयोगी संतोष गंगेले
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16403197_1229709580438061_2057700970878434286_oछतरपुर -मध्यप्रदेश की हृदयस्थली पावन पवित्र भूमि बुंदेलखंड का इतिहास का याद दिलाती है साथ ही महाराजा छत्रसाल का जीवन संघर्षमय हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। इस बुंदेलखंड की धरा पर अनेकानेक महापुरुष ने जन्म लेकर के भूमि को पवित्र बनाया है। इसी क्रम में छतरपुर जिले की छोटे से ग्राम वीरपुरा तहसील थाना नौगांव से लगा इस गांव में एक सामान्य सेकिसान परिवार में जन्म लेने वाले बुंदेलखंड के सामाजिक कार्यकर्ता , कर्मयोगी संतोष गंगेले के जीवन परिचय आप सभी को अवगत कराना आवश्यक हैं। वर्तमान समय और परिस्थितियों के अनुसार सामाजिक समरसता से परिपूर्ण विलक्षण विवेक और बुद्धि विवेक के धनि और समाज हित में भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बचाने के लिए अपने तन मन धन से समर्पित होकर समाज सेवा में लगे। आज ऐसे त्यागी मेहनती परिश्रमी व्यक्ति का परिचय वर्तमान युवा पीढ़ी को कराना आवश्यक समझता हूं। .
नगर नौगाव से पश्चिम दिशा में स्थित ग्राम बीरपुरा में कृषक लेकिन समाज के लिए समर्पण त्याग की भावना से जीवन यापन करने वाले संत श्री प्यारे लाल जी गंगेले जोकि हरिहर बाबा के नाम से विख्यात थे। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमित्रा देवी गंगेले ने 11 दिसंबर 1956 को एक बालक को जन्म दिया जिसका नाम उनकी दादी श्रीमती फुलारी बाई ने इस बालक का नाम संतोष कुमार दिया बचपन से ही संतोष कुमार एक होनहार बालक नजर आते थे। कुछ समय बाद परिवार में तीन अन्य भाइयों कैलाश, राजेंद्र कुमार अधिवक्ता सुरेश कुमार लेखक के बाद एक बेटी का भी इस परिवार में जन्म हुआ जिसका नाम गीता रखा गया I
कर्मयोगी संतोष गंगेले को सर्वप्रथम वर्ष 1962 मैं 5 जुलाई को जब पहले दिन पाठशाला के लिए उसकी मां ने प्यार से जाने को कहा तो मां द्वारा बालक को सर्वप्रथम अपने से बड़ों का आदरभाव आशीर्वाद लेकर जाने की शिक्षा दी/ इस शिक्षा को संतोष गंगेले ने अपने हृदय में इस प्रकार से स्थान बनाया और वह घर से अपने माता पिता परिवार के बुजुर्गों के साथ साथ गांव के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद ले कर संस्था में शिक्षा ग्रहण करने पहुंचा तो पाठशाला में सिर झुका कर मां सरस्वती को प्रणाम किया और गुरुजनों का आशीर्वाद लेकर क्लास में प्रवेश किया। जीवन की प्रगति का पहला कदम शिक्षा और सम्मान का था इसी कारण से मां का पहला वचन संतोष गंगेले ने अपने हृदय में उसे वरदान के रूप में बनाया। जब तक वह गांव में रहे अपने मित्रों के साथ साथ सभी का मान सम्मान कर शिक्षा 5 वीं तक ग्राम वीरपुरा में ग्रहण इसके बाद हायर सेकेंडरी नौगांव में 1967 में कक्षा 6 में प्रवेश किया उस समय हाई सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य श्री DP सिन्हा साहब के अनुशासन था, बच्चों में शिक्षक के प्रति प्रेम और आस्था थी। उस समय अध्ययन के बाद परिवार की स्थिति अत्यधिक नाजुक हो जाने के कारण संतोष कुमार को अपने मां के साथ घरेलू कार्यों में हाथ बटाना पड़ा जिससे कक्षा छठवीं की परीक्षा में असफल हो जाने के बाद दूसरी साल भी अध्ययन किया उसमें भी असफलता होने के कारण स्कूल से पढ़ाई छोड़ दी और पारिवारिक की जुम्मेदारियाँ संभाली। विगत कई वर्षों तक लगातार परिवारिक विकास में भागीदार बनें जब समय आया तो वर्ष 1971 में मऊ- सहनियाँ के व्यापारी श्री लक्ष्मी चंद जी जैन के यहां किराना की दुकान पर नौकरी करना शुरू की उस समय मात्र 20 रुपया मासिक वेतन पर कार्य किया। व्यापारी श्री लक्ष्मी चंद्र जैन द्वारा संतोष गंगेले की बुद्धि विवेक को देखते हुए उन्होंने उसे पढ़ने के लिए उत्साहित किया और उसका नाम पुन्हा प्राइमरी माध्यमिक शाला में लिया और एक समय स्कूल जाना दोपहर बाद 12:00 बजे से 8:00 बजे तक दुकान का काम करना 1 घंटे खाना पीना परिवार के साथ व्यतीत करने के बाद रात्रि 9:00 बजे से 12:00 बजे तक घर पर चिराग की रोशनी में अध्ययन करना दिनचर्या बन गई थी। इसी कारण से 1974 में कक्षा आठवीं पास करने के बाद जिला रोजगार कार्यालय में Naam पंजीयन कराया भाग्य और कर्म दोनों की मिलते ही वर्ष 1977 में एमईएस आर्मी कॉलेज में चौकीदारी के पद पर नौकरी लग गई डेढ़ वर्षों तक नौकरी करने के बाद वर्ष 1979 में दिल्ली मजदूरी करने चली गई वहां पर एक साल तक मजदूरों की तरह ईंटगारा और सफाई का काम किया। वर्ष 1980 में पुनः हायर सेकेंडरी की परीक्षा प्राइवेट रूप से करने का निर्णय लिया और नौगाव में आकर के बुंदेलखंड कोचिंग कॉलेज के संचालक श्री आर के आनंद से मिले और वहां पर उन्हें अध्ययन के लिए प्राइवेट रूप से कोचिंग की साथ तहसील चौराहा नौगाव में चाय पान की दूकान खोली। अपना और अपने परिवार का भरण पोषण किया शिक्षा का अध्ययन शुरू किया। परिवार का संचालन भी किया ईश्वर की कृपा मेहनत से वर्ष 1980 में हाई सेकेंडरी की परीक्षा दी , जिसमे सफलता मिली। पास हो जाने के बाद संतोष गंगेले को प्रकाश और विकास का रास्ता दिखने लगा लेकिन आर्थिक स्थिति बराबर नाजुक होती रही परिवार में चुकी पिता संत थे इसलिए वह इस कार्य में पीछे रहेगी उत्तम शिक्षा ग्रहण कर सके फिर भी इसी बीच नौगांव के व्यापारियों से संबंध हो जाने के कारण वर्ष 1981 में बापू महाविद्यालय नौगांव में प्रवेश लिया और एक चाय पान की दुकान तहसील चौराहा पर खोली जिसमें कुछ रिश्तेदारों ने मदद की कुछ बैंक से लोन लिया और इस प्रकार से चाय पान की दुकान चलाते हुए बापू महाविद्यालय. की शिक्षा ग्रहण की. कालेज में विवाद हो जाने के कारण मुकद्मावाजी हो गई। कोर्ट में कारण अधिवक्ता श्री गोविन्द कुमार तिवारी जी से भेंट हो जाने का फायदा मिला और उन्ही के संरक्षण में विकास का रास्ता मिलता गया. . इसी बीच भारत सरकार की योजना के तहत हाई सेकेंडरी पास बेरोजगारों को रोजगार के अवसर के तहत ₹25000 ऋण प्रदान किया जाने लगा जिस कारण से हिंदी टाइपिंग बोर्ड परीक्षा भोपाल से पास करने के कारण स्टेट बैंक नौगांव से ₹25000 गंगेले टाइपिंग सेंटर के लिए ऋण पास हो गया इसी बीच नौगांव न्यायालय में वकीलों के यहां भी संपर्क हो जाने के कारण उन्हें जिला न्यायालय द्वारा बाल टाइपिस्ट का लाइसेंस भी मिल गया इसी कारण उनका मुंशी गिरी का काम करते रहे परीक्षा अभी चलती रही चाय की दुकान भी चलती रही जीवन को कठिन तपस्या त्याग तप आते हुए संतोष गंगेले ने संघर्ष किया विभिन्न सामाजिक संगठनों सामाजिक कार्यों के साथ-साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कदम रखा और जिले के तमाम राजनीतिक नेताओं से सामाजिक सेवी संस्थाओं से और संपादकों से संबंध हो जाने के कारण पत्रकारिता में अत्यधिक रुचि हो गई इसी बीच 11 दिसंबर 1980 से उन्होंने छतरपुर से प्रकाशित देनिक राष्ट्र भ्रमण समाचार पत्र से पत्रकारिता शुरू की पत्रकार संघ अध्यक्ष पद पर चुने गए पत्रकारिता की लोकप्रियता के कारण उन्हें आम लोग पहचानने लगे इसी कारण कारण संतोष गंगेले का वैवाहिक जीवन नौगांव से लगा उत्तर प्रदेश का सीमा समीपवर्ती ग्राम जगतपुर गढ़िया में 21 फरवरी 84 में विवाह हो गया साथ ही छतरपुर जिला कलेक्टर द्वारा उन्हें नौगांव तहसील में बैठने के लिए अनुमति प्रदान की गई इस प्रकार से विकास की गति प्रगति की ओर बढ़ती गई पत्रकारिता के क्षेत्र में नए नए आयाम होते गए अनेक समाचार पत्रों से जुड़ने के कारण उनकी लोकप्रियता बहुत ही आगे बढ़ गई छतरपुर जिले के विभिन्न समाचार पत्रों के साथ-साथ रीवा सतना कानपुर भोपाल झांसी दिल्ली दिल्ली के समाचार पत्रों में समाचार भेजने का काम करने लगे और उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में नए नए आयाम शुरू की उन्हें पत्र लेखन का तरीक शौक था इस कारण से उस समय टाइपिंग सेंटर होने के कारण उन्होंने टाइपिंग से प्रशिक्षण किया मध्य प्रदेश बोर्ड भोपाल से पास हो गए करने के बाद मध्य प्रदेश के समस्त जिला कलेक्टर जिला पुलिस अधीक्षक सहित विभिन्न अधिकारियों को शुभकामनाएं संदेश अपनी बात जन्म संदेश जन जागरण अभियान के माध्यम से अपना नाम स्थापित किया। बर्ष 1983 में छतरपुर जिला कलेक्टर श्री होशियार सिंह जी ने सामाजिक कार्य को देखकर , नौगाव तहसील में याचिका लेखक की अनुज्ञप्ति जारी कर दी। बाद में 1984 में दस्तावेज लेखक बन गया. समाज में समाज सेवा करने कारण लोकप्रिय होने के कारण वह बहुत ही सक्रिय राजनीति में हो गए 1989 में उन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा नीचा दिखाने के लिए कई अपराधिक मामलों में भी उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा साथ ही विभिन्न परिस्थितियों में उन्होंने संकट भेज दीजिए अपना कदम आगे बढ़ाया वर्ष 1990 में नौगांव जनपद क्षेत्र पर जनपद अध्यक्ष चुनाव के लिए मैदान में उतरे लेकिन कानूनी अड़चन के कारण वह पंचायत चुनाव नहीं हो सके जिस कारण से वह राजनीति में पिछड़ गए संतोष गंगेले समाज सेवा के क्षेत्र में सामाजिक समरसता क्षेत्र में आम जनता से मिलते रहे महाराजपुर विधानसभा एवं विचार विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों गांव में आम जनता से मिलना उनकी समस्याओं को उठाना शासन का भेजना उनका एक दायित्व करतब समझते थे इसी कारण से वह कर्मयोगी नाम से जाने जाने लगे लेकिन वर्ष 1993 उनकी धर्मपत्नी श्रीमती प्रभादेवी अचानक निधन हो 20 अक्टूबर 2013 को हो जाने के कारण चार बच्चे बिन मां के रोते-बिलखते लेकिन ईश्वर की कृपा के कारण 14 दिसंबर 1993 में उनका दूसरा व्यवहार जीवन निवासी के पास श्रीमती रंजना देवी के साथ हो गया और चारों बच्चों का भरण पोषण पालन होने लगा जिस कारण से उन्होंने अपनी समाज सेवा करना शुरू कर दी विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक समरसता के कारण लोकप्रिय प्रक्रिया होने के बाद छतरपुर जिला कलेक्टर श्री राधेश्याम जुलानिया ने उनका लाइसेंस बेवजह नष्ट करके पुनः संकट में डाल दिया लेकिन जब वह श्री राधेश्याम जुलानिया कलेक्टर से मिले और उन्होंने अपनी बेबाक बात रखी कलेक्टर महोदय ने उनका लाइसेंसी वालों ने किया बल्कि उन्हें शिक्षा और शिक्षक कार्य क्षेत्र में सक्रिय भूमिका अदा करने के लिए प्रेरणा थी जिस कारण से वर्ष 1995 से शिक्षा के क्षेत्र में नौगांव जिला छतरपुर जनपद क्षेत्र में उन्होंने उत्तम कदम रखा और बच्चों से मिलना जुलना 1995 से शुरू किया साक्षरता शिक्षा के साथ साथ वह बच्चों के बीच जाकर बालसभा कराना बच्चों से मिलना उनका ही जीवन का लक्ष्य सा बन गया था इसी कारण वर्ष 2007 से वह लगातार शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा स्वास्थ्य स्वछता समरसता समाज विषय को लेकर वह विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में अपनी बात रखकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखाते आ रहे हैं पिछले दोनों भारत सरकार के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान स्वच्छ भारत अभियान को लेकर जन जागृति के लिए उन्होंने तन मन धन से अपनी मोटरसाइकिल से छतरपुर जिले एवं टीकमगढ़ जिले के सैकड़ों शिक्षण संस्थानों में अपने उद्बोधन के माध्यम से लाखों बच्चों को भारतीय संस्कृति जीने की कला सिखाई वह लगातार अपने तन मन धन से समाज सेवा में लगे हुए हैं मध्य प्रदेश शासन के विभिन्न अधिकारी-कर्मचारी उनके इस कार्य को सराहना कर चुके हैं टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद डॉक्टर वीरेंद्र खटीक जी द्वारा उन्हें समय-समय पर अपने क्षेत्र में सम्मानित भी किया गया है श्री संतोष गंगेले बुंदेलखंड के कर्म योगी हैं उनका विभिन्न स्थानों पर सामाजिक समरसता समाज क्षेत्र के सामाजिक समरसता के लिए सम्मान सूचक है उन्होंने अपने ब्राह्मण समाज में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर अपने बेटी का विवाह है बिना दहेज का एक सदस्य प्रेरणा भरा संदेश समाज को दिया है उनकी कथनी करनी में कभी कोई अंतर नहीं रहा है इस कारण से वह आज समाज में एक नजीर बन कर उभरे हुए समाज सेवा के प्रति अत्यधिक समर्पित होने के कारण वह क्षेत्र में जगह-जगह एक सोशल वर्कर और सामाजिक समरसता के कम योगी व्यक्ति के नाम से पहचाने जाने लगे वर्ष 2004 इंटरनेट से जुड़ने के कारण उन्होंने विभिन्न महापुरुषों की जीवनी को पढ़ा और समझा साथ ही उन्होंने पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजा राममोहन राय बाल गंगाधर तिलक गणेश शंकर विद्यार्थी महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे अनेक महापुरुषों की जीवनी को पढ़कर पत्रकारिता और सामाजिक कार्यो के प्रति रूचि बढ़ी। बर्ष 2011 में सागर के श्री पवन देवलिया जी भोपाल में मुलाकात हो जाने के कारण इलेक्ट्रानिक बेब साईट में और मासिक पत्रिका में मेरी नियुक्ति हुई। प्रदेश में पत्रकारिता से जुड़ा। इसी कारण वर्ष 2013 में गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब का संगठन बनाकर के और उसको मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित किया लगातार 3 वर्षों तक वह मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने निजी वाहन से पहुंचकर पत्रकारों की समस्याओं को हल कर आया तथा उनके लिए संघर्ष किया विभिन्न शिक्षण संस्थाओं महाविद्यालय में जाकर के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्वच्छ भारत अभियान दहेज प्रथा नशा मुक्ति अभियान यातायात शिक्षा स्वास्थ्य स्वछता समस्त कविताएं बेटियों का कन्या पूजन करके उन्होंने एक बुंदेलखंड में अपना नाम स्थापित किया है आज उनको Google में भेज Facebook WhatsApp मैं प्रमुख स्थान प्राप्त उन्हें Google में आप कहीं भी किसी भी समय संतोष गंगेले लिखकर सर्च कर सकते हैं उनके जीवन के बारे में अनेक उदाहरण आपको मिल जाएंगे संतोष गंगेले छतरपुर जिले के ही नहीं बुंदेलखंड के एक ऐसे समाजसेवी हैं जिन्होंने अपने जीवन में अद्वितीय काम किए हैं जो अभी तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं करता है वह स्कूली टाइम पर अपनी दो पहिया गाड़ी से बच्चों को राहत सामग्री लेकर पुष्पमाला लेकर प्रॉब्लम निजी माइक लेकर स्कूल पहुंचते हैं अध्यापक की अनुमति के बाद संस्था में बच्चों को एकत्रित कर उन्हें शिक्षा स्वास्थ्य स्वच्छता समरसता समाज विषय के साथ साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्वच्छ भारत अभियान नशा मुक्ति अभियान दहेज से परहेज यातायात के नियमों से अवगत कराना समाज में उत्तम जीवन किस प्रकार किया जाए इस बारे में बच्चों को विचारों से प्रभावित करते हैं उन्होंने बच्चों के साथ चाचा नेहरू की तरह अपना जीवन व्यतीत करने का संकल्प लिया है इसी कारण से आज वह पूरे बुंदेलखंड मध्यप्रदेश में एक कर्मयोगी के रूप में जाने जाते हैं लाखों बच्चे उन्हें अंकल जी चाचा जी के नाम से पुकारने लगे हैं उनका रहन सहन उनकी दिनचर्या प्रकृति से जुड़ी हुई है सुबह उठना और दिनचर्या के बाद सुबह घूमना सुबह से समाज सेवा करना लोगों को सम्मान देना सामाजिक समरसता के कार्यों की रूपरेखा तैयार करना स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न संगठनों से जुड़कर काम कर रहे हैं छतरपुर जिले के नवागांव ईशा नगर छतरपुर बिजावर राजनगर महाराजपुर नौगांव हरपालपुर पलेरा जतारा पृथ्वीपुर टीकमगढ़ विभिन्न विकासखंडों में शिक्षण संस्थाओं में पहुंचकर कन्याओं का पूजन करना उनका सम्मान करना प्रतिभावान बच्चों को प्रोत्साहित और सम्मान करना उनकी दिनचर्या है लगातार बच्चों को सम्मान देकर शिक्षकों को विचार गोष्ठियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति पर अपने विचार रखते हैं महापुरुषों कहानियां लोकगीतों के माध्यम से बच्चों में ऊर्जा का संग्रह करने का प्रयास लगातार कर रहे इस प्रकार से अपने तन मन धन से समर्पित बुंदेलखंड के कर्मियों की संतोष कुमार गंगेले लगातार समाज सुधारने और सामाजिक समरसता के प्रति समर्पण और त्याग के साथ काम करने में लगे हैं स्नातक की उपाधि प्राप्त करने वाले श्री संतोष गंगेले हमेशा गरीबों निर्धन असहाय व अनाथों किसानों व्यापारियों आम व्यक्तियों के लिए उद्बोधन करता और कर्मों के के माध्यम से संघर्ष की चाबी बनकर लोगों को नजीर प्रस्तुत कर रहे हैं उनका कहना है संघर्ष जीवन को निखारता है संभलता है संघर्ष ही जीवन को तरसता है इसलिए संघर्ष हमें जीवन जीने की प्रेरणा देता है सतत सक्रिय बने रहने के लिए हमेशा संघर्ष के साथ जीवन जीना चाहिए संघर्ष का दामन थाम कर ना केवल आगे बढ़ते हैं बल्कि जीवन जीने की सही अंदाज को आनंद का अनुभव कर पाते हैं जिसके जीवन में संघर्ष नहीं होता वह मनुष्य समाज हित और राष्ट्रप्रेमी नहीं हो सकता है इसलिए संघर्ष ही जीवन का आनंद है और संघर्ष के कारण ही वह आगे बढ़े आज उन्होंने संघर्ष के द्वारा अपने कर्मों के द्वारा भाग को बदलकर समाज में एक नजीर उदाहरण प्रस्तुत की है ऐसे महान कर्मयोगी संतोष कुमार गंगेले जो हम सभी प्रेरणादाई समाजसेवी समझकर अपनी युवा पीढ़ियों के लिए उन्हें समाज में एक नजर के रूप में उपस्थिति प्रस्तुत करना चाहती है
हमें ऐसे महापुरुष के लिए मध्यप्रदेश सरकार एवं भारत सरकार के विभिन्न पदाधिकारियों समाजसेवी नेताओं और मंत्रियों से अनुरोध करते हैं कि श्री संतोष गंगेले कर्मयोगी के जीवन परिचय को वह पढ़ना शामिल हैं देखें सुने उसके बाद उन्हें प्रोत्साहित ही न करें बल्कि उन्हें सरकार में एक जिम्मेदारी से पद देने का प्रयास करें जिससे कि वह समाज में अपनी प्रतिभा के माध्यम से करोड़ों बच्चों को संस्कारवान बनाकर बच्चों को प्रतिभावान और प्रोत्साहित कर सकें तथा भारतीय संस्कृति बचाने में अपना जीवन समर्पित करते हैं हम मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी से निवेदन करते हैं कि संतोष गंगेले की जीवन परिचय को पता लगाकर समझ कर के उन्हें मध्य प्रदेश सरकार में ऐसा कोई सामाजिक समरसता का पद दें जिससे समाज में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत हो सके I बर्तमान में भारत सरकार और प्रदेश सरकार की जन कल्याणकारी योजना को निजी तौर पर जन जन तक पहुँचाने में अभियान जारी है। इसी कारण अनेकोवार उनका बिभिन्न स्थानों पर सम्मानित किया जा चूका है. क्षेत्रीय सांसद डॉ वीरेंद्र खटीक ने बचन दिया की राष्ट्रिय स्तर पर सम्मान करना हमारा फर्ज है।
इस समाज में अनेक अनेक महापुरुष संत हुए हैं लेकिन वर्तमान बहुत अधिक में भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए जिस प्रकार से बुंदेलखंड के कर्म योगी संतोष गंगेले ने अपने जीवन को तन मन धन से समाज को समर्पित किया है वास्तविक वह समाज के लिए अद्वितीय उदाहरण हैं हम ऐसे मानव को वर्तमान युग में महापुरुष की श्रेणी में भी समाज के सामने प्रस्तुत करें कम होगा उनके जीवन के बारे में छतरपुर जिला सहित मध्यप्रदेश एवं भारत सरकार को चिंतित होना चाहिए और उनके बारे में पता लगा कर के उन्हें भारत सरकार मध्य प्रदेश सरकार की ओर से एमवे स्टेट बनाकर समाज में जिम्मेदारी सौंपी जिससे को है प्रदेश और देश के करोड़ों बच्चों को अपने विचारों के माध्यम से भारतीय संस्कृति बचाने में तन मन धन लगाकर देश की संस्कृति को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभा सके

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