दुःख दारिद्र्य दूर करने व रूप प्राप्ति का अवसर नरक चतुर्दशी

दयानन्द शास्त्री
दयानन्द शास्त्री
प्रिय पाठकों/मित्रों, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, नरका चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस द‍िन को हुनुमान जयंती के रूप में भी मनाते हुए बजंरग बली की पूजा-अर्चना करते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार महाबली भगवान् हनुमान जी ने आज ही के द‍िन जन्‍म ल‍िया था। इसी दिन देवाधीदेव महादेव के एकादश अवतार बजरंग बली भगवान हुनमान जी की जयंती मनाई जाती है। हिन्दू साहित्य बताते हैं कि असुर (राक्षस) नरकासुर का वध कृष्ण, सत्यभामा और काली द्वारा इस दिन पर हुआ था ।यह दिन सुबह धार्मिक अनुष्ठान, उत्सव और उल्हास के साथ मनाया जाता है।

छोटी दिवाली से पहले के दिन (आज बुधवार –18 अक्टूबर 2017 ) को ही नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन दीपदान करने और यमराज की पूजा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं। यही नहीं इस घर के बाहर रात को चौमुखी दीपक जलाना चाहिए।मान्यतानुसार इस दिन जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व अभ्यंग-स्नान अर्थात तिल का तेल लगाकर अपामार्ग अर्थात चिचड़ी की पत्तियां जल में डालकर स्नान करता है, उसे यमराज की कृपा वश नरक गमन से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति के सारे पाप नष्ट होते हैं। इस दिन से पाप व नरक से मुक्ति हेतु व्रत भी प्रचलित है। प्रातः काल अभ्यंग-स्नान के बाद राधा-कृष्ण के मंदिर में दर्शन करने से पाप नाश होता है और सौन्दर्य व रूप की प्राप्ति होती है।

क्या है मान्यता?
ऐसा बताया जाता है कि इस दिन अालस्य और बुराई को हटाकर जिंदगी में सच्चाई की रोशनी का आगमन होता है. रात को घर के बाहर दिए जलाकर रखने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु की संभावना टल जाती है. एक कथा के मुताबिक इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था.

ऐसे करें यम पूजा—-
नरक चतुर्दशी के द‍िन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल की माल‍िश करके नहाना शुभ माना जाता है। स्‍नान के दौरान अपामार्ग पौधे की टहन‍ियों को अपने ऊपर से सात बार घुमाकर स‍िर पर रखना होता है। साथ थोड़ी सी म‍िट्टी भी रखी जाती है। इसके बाद पानी डालकर इसके बहा दि‍या जाता है। अंत में पानी में त‍िल डालकर यमराज को तर्पण क‍िया जाता है। इसके बाद सांध्‍य बेला में घर के बाहर तेल का एक दीपक जलाकर यमराज का ध्‍यान क‍िया जाता है। यमराज के ल‍िए क‍िए गए इस दीपदान को लेकर माना जाता है कि‍ इसकी रोशनी से प‍ितरों के रास्‍ते का अंधेरा दूर हो जाता है।

आज बुधवार (18 अक्टूबर 2017 ) को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर्व पर सूर्योदय से पूर्व अभ्यंग-स्नान करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। अभ्यंग-स्नान के लिए शास्त्रों ने ब्रह्म मुहूर्त का समय निर्देशित किया है। चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है। अभ्यंग स्नान के लिए मुहूर्त का समय चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए चंद्रोदय व सूर्योदय के मध्य रहना चाहिए।

इसी के तहत अभ्यंग स्नान मुहूर्त बुधवार दी॰ 18.10.17 को सुर्यौदय से पूर्व और चंद्रमा के उदय रहते हुए प्रातः 04:47 से प्रातः 06:27 तक रहेगा। इसकी अवधि 1 घंटे 40 मिनट रहेगी।

इस मुहुर्त में करें पूजन—-

इस बार यम दीपदान व पूजन मुहूर्त शाम को 6 बजे से शाम 7 बजे तक रहेगा।

यह दीपक जलाते समय,

सितालोष्ठसमायुक्तं संकण्टकदलान्वितम्। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:…मंत्र का जाप करना चाह‍िए।

मान्‍यता है कि दीपदान करने से यमराज खुश होते हैं। पापों की मुक्‍त‍ि के साथ मृत्‍यु के भय से भी मुक्‍त‍ि म‍िलती है। इतना ही नहीं इससे नरक जाने से बचा जा सकता है। इस द‍िन को हुनुमान जयंती के रूप में भी मनाते हुए बजंरग बली की पूजा-अर्चना करते हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार महाबली भगवान् हनुमान जी ने आज ही के द‍िन जन्‍म ल‍िया था।

इस मंत्र का करें जाप—

सितालोष्ठसमायुक्तं संकण्टकदलान्वितम्। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।

यह हैं नरक चतुर्दशी पर पूजा करने की विधि—-
– नरक चतुर्दशी के दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें.
– सूर्योदय से पहले स्नान करें.
– स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करें.
– अपामार्ग को निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाए.
– नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें.
– तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए.
निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए—
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:
इस दिन दीये जलाकर घर के बाहर रखते हैं. ऐसी मान्यता है की दीप की रोशनी से प‌ितरों को अपने लोक जाने का रास्ता द‌िखता है. इससे प‌ितर प्रसन्न होते हैं और प‌ितरों की प्रसन्नता से देवता और देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. दीप दान से संतान सुख में आने वाली बाधा दूर होती है. इससे वंश की वृद्ध‌ि होती है |

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी हनुमत जयंती —
इसी दिन देवाधीदेव महादेव के एकादश अवतार बजरंग बली भगवान हुनमान जी की जयंती भी मनाई जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सारे पापों से मुक्त करने ओर हर तरह से सुख-आनंद एवं शांति प्रदान करने वाले हनुमान जी की उपासना लाभकारी एवं सुगम मानी गयी है। पुराणों के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मंगलवार, स्वाति नक्षत्र मेष लग्न में स्वयं भगवान शिवजी ने अंजना के गर्भ से रुद्रावतार लिया | विभिन्न मतों के अनुसार देश में हनुमान जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। पहली चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को व दूसरी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को। बाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ है। आज के दिन हनुमान जी का षोडशोपचार पूजन करे | पूजन के उपचारो मे गंधपूर्ण तेल मे सिंधूर मिलाकर उससे मूर्ति चर्चित करे| पुन्नाम (हजारा ,गुलहजारा) आदि के फूल चढ़ाए और नैवैद्य मे चूरमा या आटे के लड्डू व फल इत्यादि अर्पण करके ‘वाल्मिकीय रामायण’ अथवा श्री राम चरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ करे और रात के समय दीप जलाकर छोटी दीपावली का आनद ले |

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमत जयन्ती मनाने का यह कारण है लंका विजय के बाद जब हनुमानजी को अयोध्या से विदा करते समय सीता जी ने हनुमानजी को बहुमूल्य आभूषण दिये किन्तु हनुमान जी संतुष्ट नहीं हुए, तब माता सीता जी ने उन्हें अपने ललाट से सिंदूर प्रदान किया और कहा कि “इससे बढ़कर मेरे पास अधिक महत्व कि वस्तु कोई नहीं है, अतएव इसको धारण करके अजर-अमर रहो” यही कारण है इस दिन हनुमान जी को सिंदूर अवश्य लगाया जाता है और हनुमान जयन्ती मनाई जाती है | हनुमत जयंती के पावन अवसर पर हनुमान चालीसा, हनुमत अष्टक व बजरंग बाण का पाठ करने से शनि, राहु व केतु जन्य दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन सुंदर कांड का पाठ करते हुए अष्टादश मंत्र का जप भी करना चाहिए।

अष्टादश मंत्र –
|| ॐ भगवते आन्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ||

पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)

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