प्रिया वच्छानी उल्हासनगर की दीपावली पर विशेष कविता

प्रिया वच्छानी
प्रिया वच्छानी
क्यूं न इस दीवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाये
किसी के घर के
बुझे दीप को
रोशन कर अपने दीप से
उसके घर को भी
रोशनी से नहलाया जाए
क्यों न इस दीवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाये

ब्रांड भले न पहने हम
पर गरीब बच्चों को
दिलाकर कपडे व पटाखे
उसकी मासूम मुस्कराहट
संग मुस्कुराया जाये
भुला कर सारे गिले शिकवे
मिटा मन के भेदभावों को
रूठे हुए अपनों को
आज चलकर
फिर से मनाया जाये
क्यों न इस दीवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाये

बजाय सभी को कहने
अंग्रेजी में हैप्पी दीवाली
बडों के पैर छू
बच्चों को गले लगा
हाथों से मिठाई खिलाकर
शुभ दीपावली कहा जाये
क्यों न इस दीवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाये

न लगायें घरों में चाईना की
विद्युत लडीयों को
कुम्हार भाई से दिए ले
क्यूं न दीपों की माला से
घरों को सजाया जाये
क्यों न इस दीवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाये

लक्ष्मी पूजा के बाद
तिजोरी में रख लक्षमी को
नम्रता के भावों और
अपनेपन की ललक को
दिल में जगाया जाये
क्यूं न इस दीवाली
इक प्यार का दीप
जलाया जाये।

प्रिया वच्छानी
उल्हासनगर

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