हंसते—मुस्कराते जीये जिन्दगी Part 3

हंसना हंसाना भी है एक चिकित्सा

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
स्ट्रेस, तनाव, चिंता, भय, क्रोध, निराशा, चिड़चिड़ापन, हड़बड़ी, अधीरता आदि नकारात्मक प्रवृत्तियों से हमारी अंतःस्रावी ग्रन्थियाँ खराब होती है जो शरीर में विभिन्न रोगों को निमन्त्रण देने में मुख्य भूमिका निभाती है। यदि हमारा चेहरा सदैव मुस्कराता हुआ प्रसन्नचित्त रहे तो निच्चीत ही हम अनेक रोगों से अपने आपको आसानी से बचा सकते हैं। मुस्कराने से जहाँ एक तरफ कार्यक्षमता बढ़ जाती है वहीं दूसरी तरफ सोच भी नकारात्मक के बजाय सकारात्मक हो जाती है। दूसरी बात अकारण भी मुस्कराने से तनाव, भय, चिंता, अशांति, स्वतः दूर भाग जाते हैं। प्रेम, मैत्री,आनन्द, प्रसन्नता बढ़ने लगती हैं। हंसने हंसाने वाला आदमी प्रतिकूलता और वियोग में भी समतामय जीवन जीता है। उसका चिन्तन सकारात्मक होने लगता है, सकारात्मक भाव पैदा होते हैं, जिससे शरीर के लिए उपयोगी रसायन पैदा होने लगते हैं। कार्य क्षमता बढ़ जाती है। अशान्ति की आग में आकुल-व्याकुल व्यक्ति के लिए हास्य एक वरदान होता है।

लाफ्टर से तन की शाररिक और मन की मानसिक थकान से छुटकारा पाया जा सकता है, शोधकर्ताओं ने मालूम किया है कि हार्दिक लाफ्टर से आदमी की मांसपेशियां 45 मिनट तक रिलेक्स रहती हैं | लाफ्टर शरीर की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधात्म्क शक्ति को बडाता भी है हास्य चिकित्साशरीर में निःश्वास के साथ विजातीय तत्त्वों को विसर्जित करने का सरलतम उपाय है |

हास्य योग अर्थात् मुस्कराना —– खुलकर हँसने एवं मुस्कराने में छिपा है जीवन की समस्याओं का समाधान– अधिक हँसने वाले बच्चे फुर्तिले एवं अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली होते हैं। 10 मिनट हँसने मात्र से इतनी ऊर्जा मिलती है, जो साधारणतया लगभग एक किलोमीटर प्रातः स्वच्छ वातावरण में भ्रमण करने से प्राप्त होती है। अमेरिका के प्रख्यात कार्डियोलिजिस्ट डा. विलियम फ्रार्ड के अनुसार एक मिनट का हँसना लगभग 40 मिनट आराम के बराबर होता है। मेक अस लाफ (Make us Laugh) में उन्होंने लिखा हँसने से दर्द से छुटकारा मिलता है। रक्त-चाप सुधरता है। रक्त नलिकाएं साफ होती है एवं रक्त संचार सुधरता है। हास्य से जो हारमोन्स बनते हैं वे गठियां, एलर्जी एवं वात रोगों से मुक्ति दिलाते हैं, दर्द दूर करते हैं। मात्र 10 से 15 मिनट मुस्कराने से रक्तचाप चाहे बढ़ा हो अथवा कम हो, सामान्य हो जाता है। मधुमेह के रोगी को दवा लेने की आवश्यकता नहीं रहती। शरीर के अधिकांश चेतना केन्द्र जागृत होने लगते हैं। हंसने-मुस्कराने से श्वसन आदि रोगों में भी विशेष लाभ होता है। हँसी से शरीर में वेग के साथ आक्सीजन का अधिक संचार होने से मांसपेशियाँ सशक्त होती है। जमें हुए विजातीय अनुपयोगी, अनावश्यक तत्त्व अपना स्थान छोड़ने लगते हैं, जिससे विशेष रूप से फेंफड़े और हृदय की कार्य क्षमता बढ़ती है। अवरोध समाप्त होने से रक्त का प्रवाह संतुलित होने लगता है। हँसी से शरीर में ताजगी आती है। अच्छी स्वाभाविक निद्रा आती है। बुखार दूर हो जाता है। दर्द और पीड़ा में राहत मिलती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे कई मानसिक रोग हैं जिनका इलाज केवल हास्य द्वारा ही किया जा सकता है अशान्ति की आग में आकुल-व्याकुल व्यक्ति के लिए हास्य एक वरदान होता है। | हंसते और खिलखिलाते चेहरे जहाँ एक तरफ सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत बनाते हैं वहीं उनके चेहरे मानसिक रूप अधिक स्वस्थ भी दिखाई देते हैं | याद रक्खें कि मुस्कान का आदान-प्रदान ही जीवन की मुस्कान का राज है | प्रात:कल उठ कर सबसे पहिले एक मिनट तक प्रसन्न मन से जी भर कर मुस्कराएं | जो मुस्कान में जीता है और अपने मन से दूसरों को मुस्कान बांटता है उसका जीवन सही अर्थ में भगवान का प्रसाद बन जाता है |

डा.जे.के. गर्ग, सन्दर्भ—– सन्दर्भ—–डॉ टी एस दराल, चंचल मल चोर्डिया, मेरी डायरी के पन्ने, विभिन पत्र- पत्रिकायें आदि | Visit our Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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