(अटलजी के 93वें जन्म दिवस पर समस्त भारतियों दुवारा उनके शतायु होने एवं स्वस्थ रहने के कामना के साथ) Part1
अनेकों राजनितीकज्ञ शीर्ष पद पर पहुचेतें हैं किन्तु उनमें से विरले ही स्टेट्समैन बनते हैं जिनके लियेराजनीतक फायदे से ऊपर देश हित होता है और वें विपक्षीयों के दुवारा किये गये राष्ट्र हित के कामों की खुल्ले दिल से प्रशंसा करते हैं | पाकिस्तान के विघटन एवं बंगलादेश देश के जन्म के समय अटलजी ने अपनी प्रबल राजनेतिक विरोधी इंदिराजी जी की सराहना करते हुए उन्हें माँ दुर्गा के समान बता कर एक कुशल एवं परिपक्व राजनेता के रूप में अपने आप को स्थापित किया | 2002 के विभत्स साम्प्रदायिक दगों के समय अटलजी ने अपनी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री को रने कहा था ो ज धर्म के पा | अटलजी जब विदेश मंत्री बने तो विभाग के अधिकारीयों ने उनके कक्ष से प्रथम प्रधानमंत्री नेहरुजी की फोटो को हटाने पर उन्हें प्रताड़ित करते हुये उनसे कहा कि परम्परा की पालना होनी चाहिये इसलिये नेहरूजीजी का फोटो वापस लगाएँ | उन्होंने अपने विपक्षीयों पर कभी भी व्यकिगत आरोप लगाये और ना ही उनकी देशभक्ति पर अंगुली उठाई | उनकी लोकप्रियता का नतीजा था कि वे देश के विभन्न प्रदेशो यथा उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली से सांसद चुने गये। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गटबंधन के पहिले प्रधानमंत्री बने |
अटलजी के भीतर जहाँ एक तरफ मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की संकल्पशक्ति देखी गयी वहीं वें श्रीकृष्ण की राजनीतिक कुशलता एवं कूटनीति के धनी हैं | वें चाणक्य की निश्चयात्मिका बुद्धि के धनी भी हैं, इन्हीं विशेषताओं के कारण जन नायक अटलबिहारी का नाम शिखर पर लिया जाता हैं। अटलजी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्रसेवा हेतु अर्पित किया हैं। उनका तो मन्त्र है “ देश के लिए जियें और देश के लिए ही मरें, भारत माता का कण-कण शंकर है, वहीं पानी की हर बूंद गंगाजल है”, उन्होनें अनेको बार कहा है कि “भारत के लिए हँसते हुये अपने प्राण न्योछावर करने पर में गर्व का अनुभव करूगां |
डा. जे. के. गर्ग े