भारतियों के दिलों में रहने वाले राष्ट्र नायक अटल बिहारी वाजपेयी

(अटलजी के 93वें जन्म दिवस पर समस्त भारतियों दुवारा उनके शतायु होने एवं स्वस्थ रहने के कामना के साथ) Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
अटल जी के भाषणों में ऐसा जादू होता था कि लोग उन्हें निरंतर घंटों सुनते ही रहना चाहते थे। उनकी वाणी में सदैव विवेक और संयम होता है, उन्होंने कभी मर्यादाओं का उलंघन नहीं किया | गम्भीर से गम्भीर बात को बात हँसी की फुलझड़ियों के बीच कह देने की विलक्ष्ण क्षमता उन्हीं में हैं। उनके व्याख्यानों की प्रशंसा संसद में उनके विरोधी भी करते थे। कहते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूजी ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था कि ये अद्धभुत प्रतिभा के धनी हैं और इनका भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है जिसकी वजह से ये एक दिन देश के सर्वोच्च पद पर पदासीन होगें “ | अटलबिहारी तीन बार प्रधानमंत्री बने पहली बार 16-31 मई 1996, 1997 में दुबारा एवं 19 अप्रैल 1998 को पुनः तीसरी बार प्रधानमन्त्री बने |
अटलजी भी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में प्रमुख नेताओं में थे | उन्होंने लम्बे समय तक पत्रकारिता करते हुए राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि का सम्पादन किया | अपने सार्वजनिक जीवन की शरुआत राष्ट्रीय सेवक संघ के प्रचारक के रूप में की | वे जीवनपर्यन्त अविवाहित रहे | अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दोरान परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी की परवाह नहीं करते हुए राष्ट्र हित में 1998 में दुबारा परमाणु परीक्षण कर राजनेतिक परिपक्वता का परिचय दिया। स्मरणीय है कि उन्होंने इस परमाणु परीक्षण की अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की गुप्तचर एजेंसीयों को भनक तक नहीं लगने दी। इस परीक्षण के बाद कई पश्चिम देशो ने कई प्रतिबन्ध लगा दिए थे | विगत कई सालों से अपनी अस्वस्था के कारण अटलजी राजनीती से दूर हैं |
वाजपेयीजी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था | .धकृष्ण बिहारी के चार पुत्र अ बिहारी, सदा बिहारी, प्रेम बिहारी, अटलबिहारी तथा तीन पुत्रियाँ विमला, कमला, उर्मिला हुये । अटलजी ने BA विक्टोरिया कालेज ग्वालियर से किया, यहाँ वे छात्र संघ के मंत्री एवं उपाध्यक्ष रहे | उन्होंने कानपूर से पोलेटिकल साइंस में M.Aकिया | एल.एल.बी की पढाई बीच में छोड़कर वे संघ के काम में लग गये |

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