प्रेरणा स्त्रोत एवं युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानन्द Part 1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
स्वामी विवेकानन्द कहा करते थे, “जिसके जीवन में ध्येय नहीं वह तो खेलती -गाती, हँसती-बोलती लाश ही है। ”जब तक व्यक्ति अपने जीवन के विशिष्ट ध्येय को नहीं पहचान लेता तब तक तो उसका जीवन व्यर्थ ही है। युवको अपने जीवन में क्या करना है इसका निर्णय उन्हें ही करना चाहिये। स्वामी विवेकानन्द परमात्मा में विश्वास से अधिक अपने आप पर विश्वास करने को अधिक महत्व देते थे। स्वामीजी कहा करते थे कि ” रुढीवादी धर्मावलम्बी कहते है कि ईश्वर में विश्वास ना करने वाला नास्तिक है किन्तु मै कहता हूँ कि जिस मनुष्य का अपने आप पर विश्वास नहीं है वो ही नास्तिक है” | स्वामीजी ने कहा कि जीवन में हमारे चारो ओर घटने वाली छोटी या बड़ी, सकारात्मक या नकारात्मक सभी घटनायें हमें अपनी असीम शक्ति को प्रगट करने का अवसर प्रदान करती है।
देखा गया है कि युग प्रवर्तक और मनीषीयों का जीवन काल साधरणतः अल्प कालीन ही होता हे, ऐसे ही युग प्रवर्तकों में शीर्ष स्थान पर स्वामी विवेकानन्द का नाम आता है जिन्होंने ने अपने उन्तालीस वर्ष की अल्पायु (12 जनवरी 1863से 4 जुलाई 1902 )में जो काम किये उसके लिये समस्त मानव हजारों साल तक याद करते रहेंगे। स्वामीजी की अनूठी भाषण शैली तथा ज्ञान को देखते हुए शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन के बाद अमेरिकन मीडिया ने स्वामीजी को साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया था । स्वामीजी के अनुसार कि अतीत की नीवं पर ही भविष्य की श्रेष्टताओं का निर्माण होता है| स्वामी विवेकानन्द मानते कि ”अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जायेगा”। स्वामीजी हमेशा अपने को ‘गरीबों का सेवक’ कहते थे। सच्चाई तो यही है कि रामक्रष्ण परम हंस के शिष्य विवेकानन्द एक बड़े स्‍वप्न‍दृष्‍टा थे। उन्‍होंने एक ऐसे समाज की कल्‍पना की थी जिसमें जाति या धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं हो। विवेकानन्दजी सन्त होने के साथ एक महान देशभक्त, श्रेष्ट वक्ता, मूलविचारक, प्रख्यात् लेखक एवं मानवतावादी भी थे। अमरिका में संगठित कार्य के चमत्कार से स्वामीजी अत्यंत प्रभावित हुए थे। उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें भारत में भी इस संगठन कौशल को पुनर्जिवित करना विवेकानंदजी ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर सन्यासियों तक को संगठित कर उन्हें समायोचित उत्तम कार्य करने का प्रशिक्षण दिया था | अमेरिका से लोटने पर स्वामीजी ने भारतीयों से नवभारत के निर्माण हेतु आह्वान किया | भारत की जनता भी स्वामीजी के आह्वान पर अपने उत्थान हेतु गर्व के साथ निकल पड़ी। स्वामी के वाक्य”‘उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ, अपने मानव जीवन को सफल करो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये |

प्रस्तुतिकरण एवं सकलंकर्ता—डा जे. के. गर्ग

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