
अजमेर। आज शास्त्रीनगर स्थित लाल बहादूर शास्त्री सामुदायिक भवन में ‘‘ राष्ट्रीय समरसता को चुन्नोति-साम्प्रदायिक हिंसा अधिनियम’’ विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया।कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्य वक्ता श्री हनुमान सिंह राठौड द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया एवं विकास समिति के अध्यक्ष सम्मान सिंह ने मुख्य अतिवक्ता का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस विषय पर श्री हनुमान सिंह ने विस्तार से यू.पी.ए सरकार द्वारा लगाये जा रहें अधिनियम के बारें में जानकारी दी।
संसार में कही भी अगर दुःख होता है तो यहां (भारतवर्ष) में आईयें। यह वर्ष स्वामी विवेकानन्द की 15 जन्म शताब्दी वर्ष हैं। स्वामी का कथन ‘‘ आप चाहे जिस पद्धति से ईश्वर की आराधना करते हो लेकिन लक्ष्य सबका एक हैं। अनेक प्रकार के मार्ग से जातें परन्तु सबको एक ही स्थान पर पहुचना हैं। जिस प्रकार नदिया भिन्न-भिन्न मार्ग में चलती हुई अन्त में सागर में मिल जाती हैं।
यहुदिया ने कहा भारतवर्ष ही दूनिया में एक मात्र देश है जहां हमें सम्मान मिला चाहें फारसी हो चाहे इस्लाम सबको भारत मां ने अपनी गोद दी हैं। ऐसे देश में इस प्रकार के कानून को लागू करना कहां उचित हैं। उन्होंने इसके लिए दोषित चुनाव प्रणाली की बुराईयां गिनवाई। वोट प्राप्त करने के लिए रानीतिक पार्टिया गीत के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं।
स्वाधीनता के पश्चात् अल्पसख्यक और बहुसख्यंक का नारा उचित नही है, इस आधार पर देश का विभाजन कर लिया तो फिर से वही मांग दोहराना उचित नहीं हैं। अतः ऐसा करना संविधान की भूत भावना से खिलवाड. करना हैं।
पटावी सीतारमैया (कांग्रेस) ने कहा जब जब पृथक निर्वाचन को माना गया उसका परिणाम सर्दव नकारात्मक रहा हैं। उनेक हिसाब से अल्पसंख्यक को भय दिखाकर उनका उपयोग अपने हित में किया जायेगा।
श्री राठौड ने विस्तार में भारत के विभाजन के बारे में जानकारी दी और यह कहा एक बार पुनः वही स्थिती आज उत्पन्न की जा रही हैं। समाज में समरसता को स्थापित नही होने दिया जा रहा है इस अधिनियम को बनाने वाले भी ऐसे विचार के लोग हैं। उन्होंने इसके पिछे तथा-कथीत मानवाधिकार आयोग को जिम्मेदार बताया। सलाहकार परिषद में जो लोग है वे न तो चुने हुऐ प्रतिनिधी है बल्की वही लोग है जिनका सोय कभी भी राष्ट्रवादी नहीं रहा, राधा ध्वज जलाने वाले सहाबुद्धीन भी हैं, तिरत्रा शितलवाड़, फराह नकवी, 2011 में इस अधिनियम बनाया था। उन्होंने सय्यर कमेटी के सुझावों के बारें में भी बताया। राष्ट्र को दो समूह में विभाजित कर एक समूह (बहुसख्यंक) को हिंसा में स्वतः दोषी मानना एवं शिकायत करने पर गैर जमानती वांरट जारी होगा एवं बहुसंख्यक को ही सिद्ध करना होगा कि वो बेकसूर है, शिकायत करने वालो का नाम उजागर नही किया जायेगा। अल्पसंख्यक को शिकायत करने पर सारी सुविधा (वकील) सरकारी खर्च पर उपलब्ध होगें। शिकायत करने पर उस संगठन के प्रमुख पर भी स्वतः मुकदमा दर्ज हो जायेगा। लेकिन बार बार विरोध करने पर इस विधेयक पर परिवर्तन किये हैं। इस बार यह अधिनियम सभी मुख्यमंत्रियों को भेजा गया। सभ्ज्ञी मुख्यमंत्रियों ने केन्द्र पर जल्दबादी का आरोप लगाया और राज्यों पर केन्द्र द्वारा दखलबाजी कहां अब 2 समूह के नाम में ससोधन किया गया है परन्तु इसकी आवश्यकता ही क्यू है जब राष्ट्र में समरसता का भाव स्थापित करना है तो यह प्रयास क्यू देश में हिंसा इत्यादि के लिये पहले से ही प्रयाप्त कानून उपलब्ध है। इस कार्यक्रम में बडी संख्या में युवाओं ने भाग लिया। अन्त में विकास समिति के सचिव रमेश गोयल ने आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम में विधायक अनिता भदेल, वासुदेव देवनानी, डाॅ. बी.पी.सारस्वत, आनन्द सिंह राजावत, संदीप भार्गव, डाॅ. अरविन्द शर्मा, वीरेन्द्र सिंह यादव, अजीत चैधरी, हेमन्त फौजी, सुखदेव गुर्जर, लोकेश शर्मा, इत्यादि मौजूद थंे।