लोक देवता किसी जाति विशेष के नहीं होेते-युनूस खान

yunus khanब्यावर। सार्वजनिक निर्माण मंत्राी श्री युनूस खान ने ब्यावर के तीन दिवसीय मेला के दूसरे दिन तेजा दशमी गुरूवार रात्रि आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूपमें मेलार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विभिन्न धर्माे एवं जातियेां के हमारे राजस्थान प्रान्त के गांव-गांव में लोक देवता वीर तेजाजी पूजे जाते हैं । वीर तेजाजी किसी जाति विशेष नहीं बल्कि सभी के पूज्य लोक देवता हैं। तेजाजी बल्कि त्याग एवं बलिदान की साक्षात् मूर्ति थे। जो स्वयं की जाट जाति से भिन्न गूजर जाति की महिला की गायों की रक्षार्थ लड़ाई लड़ी तथा गायों को लाकर उसकी मालिक को सौंपा एवं अपने रक्त रंजित शरीर के एकमात्रा बचे शारीरिक अंग जिव्हा को डसने केलिये सर्प से डंसवाकर अपना पूर्व वायदे का निभातेहुए प्राण न्यौछावर त्यागें लेकिन आज के जमाने में इन्सान इतना गिर गया है जो लोक देवता को भी जातियों मे बांटने लग गया है जो उचित नहंीं हैं।इन्सान की पहचान उसकी जाति से नहीं बल्कि नहीं बल्कि कर्मेां से होती है।
कार्यक्रम में ब्यावर विधायक श्री शंकर सिंह रावत ने वीर तेजाजी महाराज को क्षेत्रा में अच्छी बारिश की मेहरबानी करने की कामना की । सार्वजनिक निर्माण मंत्राी के यहां के सबसे बड़ा तेजा मेला में मुख्य आतिथ्य ग्रहण करने के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मेलार्थियों के लिये सांस्कृतिक आयोजन दौरान कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा ।
इस मौके पर ब्यावर विधायक श्री रावत, नगर परिषद ब्यावर के सभापति लेखराज कंवरिया, एवं उनके सहयोग पार्षदों ने सार्वजनिक निर्माण मंत्राी श्री युनुस खान का माला एवं साफा पहना कर अभिनन्दन किया। स्वागत कार्यक्रम का संचालन रमेश बंसल ने किया। समारोह के दौरान अतिविशिष्ट अतिथि चैन सुख हेडा तथा विशिष्ट अतिथि सर्वश्री रिखबचन्द खटौड, कोमलसिंह मेहता, नरेश मदानी, रमेश बंसल व महेन्द्र सिंह रावत, का नगर परिषद ब्यावर तथा सभापति श्री कंवरिया, पार्षद सर्वश्री गणपतसिंह मुग्धेश, सुरेन्द्र यादव, भूपेन्द्र सिंह तौमर, कैलाश गहलोत, दिनेश भाटी इत्यादि ने भावभीना स्वागत किया।
गणेश इन्फ्राटेªड के सौजन्य से आयोजित सांस्कृतिक कार्यकम में मयूरी आर्केस्ट्रा ग्रुप के कलाकारों ने अनेक कार्यक्रमों की बेहतरीन प्रस्तृतियों से मेलार्थियों को अभिभूत कर दिया। कार्यक्रम का संचालन अरूण सिंह चौहान ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत गणेश वन्दना से हुई। उसके बाद तेजाजी रै ढोल-नगाड़ा बाजे रै, म्हांरी घूमर छै नखराली रै मां, सहित अनेक कार्यक्रम की सुमधुर ध्वनि तथा नृत्यों के संग प्रस्तुत देकर कलाकारों ने मेलार्थियों का दिल जीता।

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